अंग्रेजी सत्ता ने भारत में अपनी जड़ों को गहरा करने के लिये व्यापार को माध्यम बनाया था। उन्होंने पहले विदेशी वस्तुओं का आकर्षण पैदा किया फिर स्वदेशी उत्पाद का दमन किया। 1857 में क्रान्ति की असफलता के बाद इस तथ्य अनेक महापुरुषों ने पहचाना उनमें सबसे प्रमुख थे गणेश वासुदेव …
Read More »अंग्रेजों की प्रताड़ना से प्राण त्यागने वाले स्वतंत्रता संग्राम सेनानी : यतीन्द्र मोहन सेनगुप्त
22 जुलाई, बलिदान दिवस विशेष आलेख भारत तो स्वतंत्रता सैकड़ों वर्षों के संघर्ष एवं लाखों की संख्या में बलिदानों को उपरांत प्राप्त हुई। जिनमें कुछ बलिदानियों का नाम तो लोग जानते हैं परन्तु असंख्य ऐसे हैं, जिनके विषय में बहुत कम ही ज्ञात हो पता है। हम प्रसिद्ध एवं सिद्ध …
Read More »भारतीय इतिहास का भयानक नरसंहार : सत्तीचौरा घाट
17 से 21 जुलाई 1857 : अंग्रेजों द्वारा कानपुर में भीषण नरसंहार जलियाँवाला बाग में हुये सामूहिक नरसंहार को सब जानते हैं। पर अंग्रेजों ने इससे पहले और इससे भीषण नरसंहार भी किये हैं। इनमें एक भीषण नरसंहार जुलाई 1857 को कानपुर में हुआ। इसमें लगभग बीस हजार से अधिक …
Read More »स्वातंत्र्य समर और गोपाल कृष्ण गोखले : जयंती विशेष
गोपाल कृष्ण गोखले का जन्म 9 मई 1866 को रत्नागिरी जिले के गुहालक तालुका के कोटलक ग्रामवासी चितपावन ब्राह्मण परिवार में हुआ था। परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी फिर भी इनके लिए अंग्रेजी शिक्षा की व्यवस्था की गई ताकि गोपाल कृष्ण गोखले ब्रिटिश शासन में क्लर्क की …
Read More »75 वर्ष स्वतंत्रता के : क्या खोया, क्या पाया
आजादी का अमृत महोत्सव विशेष आलेख भारत अपनी संस्कृति एवं सभ्यता के लिए पूरे विश्व में जाना जाता है। हमारे धर्मशास्त्र एवं पुराणों में जीवन जीने की कला के साथ साथ धर्म, आध्यात्म ,राजनीति, अर्थ व्यवस्था एवं विज्ञान की चमत्कृत कर देने वाली घटनाएँ एवं गाथाएँ मौजूद हैं। किसी भी …
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