हे मातृभूमे! कर रहे, तव अर्चना तुमको नमन।
प्रभु कर कमल की हो मनोहर सर्जना तुमको नमन।।
अमरावती के देवगण,
ले जन्म आते हैं जहाँ।
रघुनाथ औ यदुनाथ भी,
लीला रचाते हैं यहाँ।
वो जीभ गल जाये करे जो भर्त्सना तुमको नमन।
हे मातृभूमे! कर रहे तव अर्चना तुमको नमन।।
सब ज्ञान औ विज्ञान की,
उदगम यहीं से ज्ञात है।
पूर्वज हमारे मन्त्र दृष्टा,
शास्त्र सब विख्यात है।
सब वेद करते शुभ ऋचा में प्रार्थना तुमको नमन।
हे मातृभूमे! कर रहे तव अर्चना तुमको नमन।।
बापू, लाल बहादूर ने,
पूजन किये जिस धाम का।
सरदार ने दृढ़ मन लगा,
माला जपा जिस नाम का।
कोटिक शहीदों ने किया है वंदना तुमको नमन।
हे मातृभूमे! कर रहे तव अर्चना तुमको नमन।।
सप्ताह का गीतकार

हथबंद, छत्तीसगढ़