भारत वर्ष ॠषि, मुनियों, महर्षियों की जन्म भूमि एवं देवी-देवताओं की लीला भूमि है। हमारी सनातन संस्कृति विश्व मानव समुदाय का मार्गदर्शन करती है, यहाँ वेदों जैसे महाग्रंथ रचे गए तो रामायण तथा महाभारत जैसे महाकाव्य भी रचे गये, जिनको हम द्वितीयोSस्ति कह सकते हैं क्योंकि इनकी अतिरिक्त विश्व में …
Read More »सिंधड़ी दा, सेवण दा सखी शाहबाज कलंदर : संत झूलेलाल
भारत में विभिन्न धर्मों, समुदायों और जातियों का समावेश है इसलिए यहाँ अनेकता में एकता के दर्शन होते हैं। यह हमारे देश के लिए गर्व की बात है कि यहाँ सभी धर्मों के त्यौहारों को प्रमुखता से मनाया जाता है चाहे वह दीपावली हो, ईद हो, क्रिसमस हो या भगवान …
Read More »जिनके चौबीस गुरु थे : भगवान दत्तात्रेय
भगवान दत्तात्रेय की माता अनुसइया एवं पिता अत्रि थे। दत्तात्रेय को विष्णु का अवतार माना जाता है। दत्तात्रेय के अन्य दो भाई चंद्र देव और ऋषि दुर्वाशा थे। चंद्रमा को ब्रह्मा और ऋषि दुर्वाशा को शिव का रूप ही माना जाता है। जिस दिन दत्तात्रेय का जन्म हुआ आज भी …
Read More »शरद पूर्णिमा : लोक मान्यता एवं वैज्ञानिक पक्ष
तीज त्यौहारों एवं उत्सवों के युक्त भारतीय संस्कृति में प्रकृति को महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। जिसमें हम सूर्य, चन्द्रमा एवं ग्रहों से लेकर वृक्ष-पौधों एवं जीव जंतुओं तक का मान करते हैं। इसी मान देने के दिन को हम त्यौहार या पर्व के रुप में मनाते है। लोक का …
Read More »योगश्चित्त वृत्ति निरोध: योग दिवस विशेष
भारतीय संस्कृति का अभिन्न हिस्सा योग है, यह विद्या भारत में प्राचीन काल से है और योगी जन के साथ सामान्य जन भी इसका लाभ उठा रहे हैं। योग न केवल आपके शरीर को रोगों से दूर रखता है बल्कि आपके मन को भी शांत रखने का काम करता है। …
Read More »प्रकृति एवं पर्यावरण संरक्षण का पर्व वट सावित्री पूर्णिमा
आदि मानव सभ्यता के विकास के क्रम में ही प्रकृति का महत्व जान गया था, जिसमें नदी, पहाड़, वृक्ष, वन, वायु, अग्नि आकाशादि तत्वों की उसने पहचान कर ली थी और इनका प्रताप भी देख चुका था। इनको उसने देवता माना एवं इनकी तृप्ति का वैज्ञानिक साधन यज्ञ के रुप …
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