कलचुरी राजवंश की माता महिषासुरमर्दिनी चैतुरगढ़ में आज महामाया देवी के नाम से पूजनीय है। परंपरागत परिधान से मंदिर में माता अपने परंपरागत परिधान से सुसज्जित हैं, जो 12 भुजी हैं, जो सदैव वस्त्रों से ढके रहते हैं। पूर्वाभिमुख विराजी माता को सूरज की पहली किरण उनके चरण पखारने को …
Read More »महामाया माई अम्बिकापुर : छत्तीसगढ़ नवरात्रि विशेष
अम्बिकापुर की महामाया किस काल की हैं प्रामाणिक जानकारी उपलब्ध नहीं है पर यह तो तय है कि महामाया, छत्तीसगढ़ की सर्वाधिक प्राचीन देवियों में से एक हैं। यह क्षेत्र सधन वनों से आच्छादित था। पूरे क्षेत्र में गोंड़, कोरवा, चेरवा आदि जनजातियां निवास करती थीं। जनजातियों में प्रतीकात्मक देवी-देवताओं …
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