बालोद से दुर्ग मार्ग में पैरी नामक छोटा सा ग्राम है। पैरी ग्राम से लगा हुआ एक छोटा सा ग्राम है गौरेया। बालोद से आने वाली तांदुला नदी पैरी एवं गौरेया ग्राम की सीमा रेखा बनाती है। बालोद क्षेत्र अपने एतिहासिक एवं दर्शनीय स्थलों के लिये छत्तीसगढ़ में प्रसिद्ध है। …
Read More »ऐसा जिनालय जहाँ स्थापित हैं तीन तीर्थंकरों की प्रतिमाएं
छत्तीसगढ अंचल में जैन धर्मावलंबियों का निवास प्राचीन काल से ही रहा है। अनेक स्थानों पर जैन मंदिर एवं उत्खनन में तीर्थंकरों की प्रतिमाएं प्राप्त होती हैं। सरगुजा के रामगढ़ की गुफ़ा जोगीमाड़ा के भित्ति चित्रों से लेकर बस्तर तक इनकी उपस्थिति दर्ज होती है। चित्र में दिखाया गया मंदिर रायपुर …
Read More »देखिए ऐसा प्राचीन शिवलिंग जिसमें एक लाख छिद्र हैं
तपोभूमि छत्तीसगढ़ को महाजनपद काल में दक्षिण कोसल के नाम से जाना जाता था। रामायण में वर्णित यह दण्डकारण्य प्रदेश अपने सघन वनों, सरल एवं सहज निवासियों, वन्य प्राणियों की आदर्श निवास स्थली, खनिजों एवं सुरम्य प्राकृतिक वातावरण के नाम से प्रसिद्ध है। यहाँ तीर्थों की भी कमी नहीं है। …
Read More »