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Tag Archives: पुरातत्व

बरहाझरिया के शैलाश्रय और उसके शैलचित्र

कोरबा जिला 20°01′ उत्तरी अक्षांश और 82°07′ पूर्वी देशांतर पर बसा है। इसका गठन 25 मई 1998 को हुआ, उसके पहले यह बिलासपुर जिले का ही एक भाग था। यहाँ का क्षेत्रफल 712000 हेक्टेयर है। जिले में चैतुरगढ़ का किला, तुमान का शिव मंदिर और पाली का शिव मंदिर भारत …

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शिव द्वार का प्रहरी कीर्तिमुख

मंदिरों में एक ऐसा मुख दिखाई देता है, जो वहाँ आने वाले प्रत्येक भक्त के मन में कौतुहल जगाता है, वे उसे देखकर आगे बढ़ जाते हैं और मन में प्रश्न रहता है कि ऐसी भयानक आकृति यहाँ क्यों स्थापित की गई? फ़िर सोचते हैं कि शिवालयों में भयावह आकृति …

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पद्मश्री विष्णु श्रीधर वाकणकर की मल्हार (छत्तीसगढ़) यात्रा : एक संस्मरण

बात तब की है जब छत्तीसगढ़ अविभाजित मध्यप्रदेश का हिस्सा था। उज्जैन में एक 1987 में शोध संगोष्ठी का आयोजन हुआ था। मेरे पिताजी स्वर्गीय श्री गुलाब सिंह ठाकुर जी और राष्ट्रपति पुरस्कृत शिक्षक स्वर्गीय श्री रघुनंदन प्रसाद पांडेय जी शिविर में भाग लेने और शोधपत्र वाचन करने उज्जैन गए …

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दक्षिण कोसल की जोंक नदी घाटी सभ्यता एवं जलमार्गी व्यापार

प्राचीनकाल से मानव ने सभ्यता एवं संस्कृति का विकास नदियों की घाटियों में किया तथा यहीं से उनकी आवश्यकताओं की पूर्ति होती थी। नदी घाटियों में प्राचीन मानव के बसाहट के प्रमाण मिलते हैं। कालांतर में नदियों के तटवर्ती क्षेत्र आवागमन की दृष्टि से सुविधाजनक एवं व्यापार के केंद्र बने। …

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सुरही नदी के तीर देऊर भाना के पुरातात्विक अवशेष

गंडई की सुरही नदी सदानीरा है। बड़ी-बड़ी नदियाँ भीषण गर्मी में सूख जाती हैं, परन्तु सुरही नदी में जल प्रवाह बारहों महीने बना रहता है। सुरही नदी अपने उद्गम बंजारी से लेकर संगम कौहागुड़ी (शिवनाथ नदी) तक अनेकों पुरातातविक स्थलों को अपने आँचल में सेमेटी हुई है। गंडई अंचल अपनी …

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गंडई का शिवालय जहाँ पाषाण बोलते हैं

छत्तीसगढ़ प्राचीनकाल से आस्था का केन्द्र बिंदु रहा है। यहां सिरपुर, शिवरीनारायण, राजिम, मल्हार, रतनपुर, पाली,  ताला, भोरमदेव, आरंग, जांजगीर, देवबलौदा, बारसूर, जैसे अनेक पुरातात्विक स्थलों का अपना पृथक-पृथक ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और पुरातात्विक महत्व है। यहां के मंदिरों में उत्कीर्ण शिल्पांकन तत्कालीन समाज की धार्मिक व सांस्कृतिक स्थितियों के जीवन्त …

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बाणासुर की नगरी बारसूर

पर्यटन अथवा देशाटन प्रत्येक व्यक्ति को आकर्षित करता है। पर्यटन अथवा देशाटन के बिना जीवन को अधूरा कहा जा सकता है। इसी परिप्रेक्ष्य में अगर छत्तीसगढ़ को देखा जाए तो यहाँ की नैसर्गिक छटा अपने आप में अद्भुत है, उसमें भी बस्तर क्षेत्र की बात ही कुछ और है। जिनको …

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रहस्य और रोमांच से परिपूर्ण ताला की कलाकृतियाँ

देवरानी-जेठानी मंदिर ताला हमारे देश के गिने-चुने पुरातात्वीय धरोहरों में से एक है जो भारतीय कला परंपरा के गौरवशाली स्वर्णिम अध्याय में दुर्लभ और विलक्षण कलाकृतियों के लिए विख्यात है। छत्तीसगढ़ के महत्वपूर्ण पुरातत्वीय स्थलों में ताला का नाम विगत शताब्दी के आठवें दशक से जुड़ा है तभी से यह …

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प्राचीन नगर मल्हार का पुरातत्व

प्राचीन नगर मल्हार छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में अक्षांक्ष 21 90 उत्तर तथा देशांतर 82 20 पूर्व में 32 किलोमीटर की दूरी पर दक्षिण-पश्चिम में स्थित है। बिलासपुर से रायगढ़ जाने वाली सड़क पर 18 किमी दूर मस्तूरी है। वहां से मल्हार, 14 कि. मी. दूर है। देऊर मंदिर प्राचीन …

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सुअरलोट के शैलचित्र : क्या सीता हरण यहीं हुआ था?

छत्तीसगढ़ राज्य अपनी पुरातात्विक सम्पदाओं के लिए गर्व कर सकता है। छत्तीसगढ़ राज्य में ऐसा कोई भी स्थल नहीं है, जहाँ पुरासम्पदा न हो। जैसे-जैसे इनकी खोज आगे बढ़ती जा रही है, वैसे-वैसे ही नये-नये तथ्य प्रकाश में आ रहे हैं। यहाँ सभ्यता के विकास से पूर्व की भी गाथाएँ …

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