किसी भी देश या प्रदेश के जनजातीय कविता को समझने के लिए उस देश की उस प्रदेश की लोक संस्कृति को जानना बहुत जरूरी होता है। हमारी संस्कृति अपनी भाषाओं और उपभाषाओं में बिखरी हुई है। हर राज्य की जनजातीय कविता भाषा और संस्कृति के आधार पर निहित है। यहां …
Read More »जनजातीय कथाओं की लोक दृष्टि
जनजातीय कथा साहित्य की दृष्टि से देखें तो वनवासियों का व्यावहारिक जीवन सदैव से विद्यमान है। वनवासी जंगलों में रहकर अपना जीवन पूर्वजों की धरोहर को समेटने में समय लगा देते हैं। प्रकृति के नाना रूपों में दृश्यों के खुले वातावरण में जीवन व्यतीत करने के कारण लोक संस्कृति के …
Read More »घटवारिन दाई अंगार मोती : छत्तीसगढ़ नवरात्रि विशेष
जनश्रुतियाँ भी इतिहास एवं संस्कृति जानने का सशक्त माध्यम हैं, ऐसी ही एक जनश्रुति लगभग चार सौ वर्ष पुरानी हैं। माता अंगार मोती बड़ी फुरमानुख देवी है। न जानें दिव्य देवी शक्तियाँ कब किस पर अपार स्नेह की बारिश कर दे, रोग, शोक, भय रहित कर दे, सुख शांति और …
Read More »बिलाई माता : छत्तीसगढ़ नवरात्रि विशेष
बिलाई माता के नाम से सुविख्यात विन्ध्यवासिनी देवी अर्थात महिषासुर मर्दिनी ही धरमतराई (धमतरी) की उपास्य देवी है प्रस्तर प्रतिमा के रूप में जिसका प्रादुर्भाव हैहयवंशी राज्य के अधीनस्थ किसी गांगवंशीय मांडलिक के शासनकाल का बतलाया जाता है। तब से आज तक यह मंदिर इस क्षेत्र की जनता के लिए …
Read More »धरती और परिवेश को ऊर्जात्मक पहचान देता संग्रह – रात पहाही अंजोरी आही
छत्तीसगढ़ी गीत संग्रह ‘‘रात पहाही अंजोरी आही’’ कवि डाॅ. पीसीलाल यादव छत्तीसगढ़ी के अत्यंत प्रतिभाशाली कवि हैं। प्रतिभाशाली कवि कहना ही काफी नहीं ‘अत्यंत’ भी लगाना पड़ता है। मैं तो छत्तीसगढ़ी के पूरे ही परिवेश से परिचित हूं, डाॅ. पीसीलाल यादव जी से मेरा परिचय डेढ़ दशक से है-कह सकता …
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