सबसे सुंदर रंग-बिरंगी तितली कौन-सी है! सुन्दर तितली का चयन विश्व सुंदरी की तर्ज पर हुआ। तितली सुन्दरी प्रतियोगिता में ‘ऑरेंज ऑकलीफ’ ने बाजी मारी और उसका नाम भारत की राष्ट्रीय तितली में दर्ज हो गया। छत्तीसगढ़ के भोरमदेव अभ्यारण में पाई जाने वाली तितली को राष्ट्रीय तितली का खिताब मिला है।
तितली सुंदरी ऑरेंज ऑकलीफ-
ऑरेंज ऑकलीफ को राष्ट्रीय तितली यूं ही नहीं बनाया गया है। एक लंबा इसने सफर तय किया उसके बाद ही उसका नाम घोषित किया गया। 2020 के दौरान सितंबर अक्टूबर में भारत की 1500 प्रकार की तितलियों में से सात प्रजातियों को राष्ट्रीय तितली की रेस में शामिल किया गया।अब फैसला करना था लोगों को कि इन तितलियों में सबसे सुंदर कौन है? इसके लिए के लोगों ने ऑनलाइन वोटिंग की और सबसे ज्यादा वोट ‘ऑरेंज ऑकलीफ’ को ही मिला। सात अक्टूबर वन्यजीव सप्ताह समापन पर यह घोषणा की गई। इस तरह यह भारत की राष्ट्रीय तितली बन गई।
तितली सुंदरी ऑरेंज ऑकलीफ का सौंदर्य तब दिखता है जब यह अपने पंख पसार बैठती है जिसके पंख खुलते ही तीन रंग चमक उठते हैं पंख के आगे भाग पर काला फिर नारंगी पट्टा और उसके बाद गहरा नीला रंग दिख पड़ता है। काले रंग के आधार पर दो सफ़ेद बिंदु इसके सौंदर्य में चार चांद लगा देते हैं। पंख के सिमटते ही यह एक सूखे पत्ते जैसी नज़र आती है। शिकारियों से बचने के लिए प्रकृति ने इसे ऐसा रूप दिया है।
ऑरेंज ऑकलीफ की खासियत यह है कि जब यह तितली अपने पंख बंद रखती है तो सूखी पत्ती के समान नजर आती है और पंख खुलते ही इसके 3 रंग के पंख नजर आते हैं, जिसमें काला, नारंगी, गहरा नीला रंग हर नजर को अपनी ओर आकर्षित कर लेता है। अपने गहरे भूरे रंग और पत्ती जैसे आकार के चलते यह शिकारियों से बच निकलने में माहिर होती है।
छत्तीसगढ़ कवर्धा के जंगलों में इसका बसेरा है,इस तितली का। भोरमदेव अभ्यारण के लगभग सात एकड़ इलाके में यह बहुतायत पाई जाती है। इसी के साथ देश के वेस्टर्न घाट और उत्तर-पूर्व के जंगलों में यह पाई जाती है जहां इसे डेडलीफ के नाम से जाना जाता है।
प्रतियोगिता में शामिल तितलियां-
कृष्णा पीकॉक बड़े पंखों वाली जिसके पंख 130 एम एम तक होते हैं। पंख के अग्र भाग में काला रंग जिसमें पीले रंग की लंबी धारी और नीचे की ओर नीले लाल बैंड होते हैं। यह उत्तर पूर्वी जंगलों सहित हिमालय में पाई जाती है।
कामन जेजबेल इसके पंख 66.83 एमएम आकार के होते हैं पंख की ऊपरी सतह सफेद और निचली सतह पीली होती है जिस पर मोटी काली धारियां और किनारे किनारों पर नारंगी छोटे-छोटे धब्बे इसे आकर्षक बनाते हैं।
फाइफ बार स्वार्ड टेल 70 से 90 एमएम के पंखों वाली तितली जिसके पीछे के पंखों पर एक लंबी सी तलवार जैसी पूंछ इसकी विशेषता है। पंखों के काले सफेद पट्टे पर हरे पीले रंग का सम्मिश्रण इसे सुंदर बनाता है।
कामन नवाब तितली के ऊपरी पंख काले और नीचे के चॉकलेटी रंग के पंखों के बीच एक हल्की हरी पीली सी टोपी जैसी रचना नजर आती है इसलिए इसे नवाब कहा गया है। यह पेड़ों के ऊपरी हिस्सों पर पाई जाती है इसलिए यह बहुत कम दिखाई पड़ती है लेकिन बहुत तेज उड़ती है।
यलो गोरगन तितली के अनूठे पंख कोण सा बनाते हैं, पंखों की ऊपरी सतह पर गहरा पीला रंग होता है। यह मध्यम आकार वाली सुंदर तितली है जो पूर्वी हिमालय और उत्तर-पूर्व के जंगलों में पाई जाती है।
नार्दन जंगल क्वीन तितली का रंग चॉकलेट ब्राउन होता है और उस पर नीली धारियां इसे और सुंदरता प्रदान करती है। पंखों पर चॉकलेटी गोल घेरे इसकी विशेष पहचान बताते हैं यह फ्लोरोसेंट कलर में भी दिखाई देती है। अरुणाचल प्रदेश में यह बहुतायत पाई जाती है।
पर्यावरण संकेतक है तितली-
राष्ट्रीय तितली के अभियान में बहुत सारी संस्थाएं सामने आईं। ‘राष्ट्रीय तितली अभियान संघ’ ने यह अभियान प्रारंभ किया। तितलियां प्रकृति संरक्षण और महत्वपूर्ण जैविक संकेतकों की दूत हैं जो हमारे स्वास्थ्य पर्यावरण को दर्शाती है। एक राष्ट्रीय तितली होना इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह लोगों में प्रकृति के बारे में जागरूकता फैलाने में मदद करेगा।
तितलियों की प्रजातियां पर्यावरण में बदलाव जैसे प्रदूषण के बारे में चेतावनी कैसे देती है यह हमें समझना चाहिए। मुंबई के जूलॉजी के प्रोफेसर अमोल पटवर्धन कहते हैं, एक बार चुन लेने के बाद यह विशेषताएं देश के लिए सांस्कृतिक पारिस्थितिक और संरक्षण महत्व को परिभाषित करने में मदद करेगी और यहां तक कि बाद के वर्षों में पर्यटन को भी आकर्षित करेगी। इसी के साथ छत्तीसगढ़ के भोरमदेव अभ्यारण को नए सिरे से संरक्षित किया जा रहा है जहां राष्ट्रीय तितली ऑरेंज ऑकलीफ बहुतायत पाई जाती है।
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