गंगा-दशहरा पुण्य-सलिला गंगा का हिमालय से उत्पत्ति का दिवस है। जेष्ठ शुक्ल दशमी को यह पर्व मनाया जाता है। इस दिन गंगा स्नान से दस प्रकार के पापों का विनाश होता है इसलिए इस दिन को गंगा दशहरा नाम दिया गया। इसी दिन मां गंगा का पृथ्वी पर अवतरण हुआ था। …
Read More »भारतीय संस्कृति में पक्षियों का स्थान
पक्षी प्रेम और पक्षी निहारने की बहुत ही सशक्त परम्परा भारतीय समाज में प्राचीन काल से रही है। विविध पक्षियों को देवताओं के वाहन के रूप में विशेष सम्मान दिया गया है। भारतीय संस्कृति में पक्षियों को महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। विष्णु का वाहन गरूड, ब्रह्मा और सरस्वती का …
Read More »राम की दक्षिणापथ यात्रा में दक्षिण कोसल
आर्य संस्कृति के दक्षिण में प्रसार के लिए मर्यादा पुरुषोत्तम राम की भूमिका सर्वोपरि है। ऋग्वेद में विंध्याचल के आगे क्षेत्रों का कोई उल्लेख नहीं मिलता विंध्य पर्वत से ही उत्तर व दक्षिण भारत को विभाजित किया गया है। राम ने अपने चौदह वर्ष के वनवासी जीवन में दक्षिण क्षेत्र …
Read More »वसंत पंचमी से रंगपंचमी तक मनाया जाता रहा मदनोत्सव
प्रकृति से लेकर चराचर जगत का अभिनव स्वरूप जब नित निखरता सृजन की ओर अग्रसर होता है तो ऐसे समय में ऋतुराज वसंत का पदार्पण होता है। सूर्य देव के उत्तरायण होते ही समूची प्रकृति भी अपना कलेवर बदलती मनमोहक हो उठती है। वसंत के आगमन से पेड़- पौधों के …
Read More »प्रथम नहर और बीज विज्ञानी: भगवान हलधर
हल षष्ठी पर विशेष भारतीय धर्म और संस्कृति में बलराम एक हिंदुओं के देवता और भगवान श्री कृष्ण के बड़े भाई के रूप में पहचाने जाते है। जगन्नाथ परंपरा, त्रय देवताओं में से एक के रूप में वह विशेष रूप से महत्वपूर्ण है।उनके अन्य नामो के रूप में बलदेव,बलभद्र,बलदाऊ,बलभद्र, दाऊ, …
Read More »विराट भारत का महा संकल्प दिवस : श्रावणी पर्व
भारत की कृषिप्रधान और ऋषि परम्परा की संस्कृति में त्योहारों और पर्व उत्सवों का विशेष महत्वपूर्ण स्थान प्राचीन काल से ही रह है। यहां बाराहोमास ऋतु, तिथि, कर्म, धर्मानुसार पर्व और उपासना का विशेष महत्व रहा है ताकि जीवन मे रंग और उत्स बना रहे यद्यपि कुछ पर्वों के मनाने …
Read More »मानव इतिहास को सहेजती गोत्र प्रणाली
जो समाज अपने पूर्वजों के बारे में जानकारी नहीं रखता, अपने पुरखों की सांस्कृतिक विरासत का संरक्षण न कर उन्हें भूल जाता है ,वहां समाजीकरण में अत्यंत वीभत्स दृश्य पैदा होते है और अंततः विप्लप या आतंक का कारण बनते है। प्राचीन भारतीय मनीषी इस मनोवैज्ञानिक सत्य से भलीभांति परिचित थे …
Read More »योग मानव जाति के लिए संजीवनी
भारतीय मनीषियों एवं ॠषियों ने मन की एकाग्रता एवं शरीर के सुचारु संचालन के लिए योग जैसे शक्तिदायक क्रिया की प्रादुर्भाव किया। जिसका उन्होंने पालन कर परिणाम जग के समक्ष रखा तथा इसे योग का नाम देकर विश्व के मनुष्यों को निरोग, स्वस्थ एवं बलशाली बनाने का रसायन दिया। वर्तमान …
Read More »भोजन में निहित है मनुष्य के स्वास्थ्य का राज
धरती के किसी भी प्राणी को जीवन संचालन के लिए उर्जा की आवश्यकता होती है एवं प्राण संचालन की उर्जा भोजन से प्राप्त होती है। मनुष्य भी चौरासी लाख योनियों में एक विवेकशील प्राणी माना गया है, इसे भी उर्जा के लिए भोजन की आवश्यकता होती है। अन्य सभी प्राणियों …
Read More »वसंत पंचमी का धार्मिक एवं ऐतिहासिक महत्व
हमारा भारत पर्वों, उत्सवों का देश है, यहाँ साल के बारहों महीनें कोई न कोई उत्सव एवं पर्व मनाए जाते हैं। पृथ्वी का यह एकमात्र ऐसा भू-भाग है, जहाँ वसंत, ग्रीष्म, वर्षा, शरद, शिशिर और हेमंत नामक छ: ॠतुएं होती हैं। वैसे तो इनमें सभी ॠतुओं का अपना-अपना महत्व है। …
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