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मड़ई-मेला

श्रावण मास का आध्यात्मिक एवं पौराणिक महत्व

हिन्दू पंचांग में काल गणना एवं बारह मासों की पृष्ठभूमि वैज्ञानिकता पर आधारित है। जिसमें श्रावण या सावन मास पांचवे स्थान पर है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार जुलाई-अगस्त माह का समय श्रावण मास या सावन का होता है। यह मास जल के लिए जाना जाता है. साथ ही यह सृष्टि …

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सुख – समृद्धि, उर्वरता, और सौभाग्य की अधिष्ठात्री देवी : दशम महाविद्या माँ कमला

(गुप्त नवरात्र के दशम महाविद्या माँ कमला देवी पर सादर समर्पित) माँ कमला देवी दस महाविद्याओं में से अंतिम हैं। देवी कमला को कमलात्मिका के नाम से भी जाना जाता है और वे समृद्धि की देवी हैं। धन और सौंदर्य की देवी के रूप में, उनकी पूजा उनकी शक्ति के …

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जनजातीय समुदाय में श्री जगन्नाथ धाम का माहात्म्य

जनजातीय समुदाय में श्री जगन्नाथ धाम का माहात्म्यजगन्नाथ मंदिर विष्णु के 8 वें अवतार श्रीकृष्ण को समर्पित है। पुराणों में इसे धरती का वैकुंठ कहा गया है। यह भगवान विष्णु के चार धामों में से एक है। इसे श्रीक्षेत्र, श्रीपुरुषोत्तम क्षेत्र, शाक क्षेत्र, नीलांचल, नीलगिरि और श्री जगन्नाथ पुरी भी …

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छत्तीसगढ़ अंचल का प्रमुख पर्व रथयात्रा

छत्तीसगढ़ में भगवान जगन्नाथ का प्रभाव सदियों से रहा है, यह प्रभाव इतना है कि छत्तीसगढ़ के प्रयाग एवं त्रिवेणी तीर्थ राजिम की दर्शन यात्रा बिना जगन्नाथ पुरी तीर्थ की यात्रा अधूरी मानी जाती है। मान्यतानुसार जगन्नाथ पुरी की यात्रा के पश्चात राजिम तीर्थ की यात्रा करना आवश्यक समझा जाता …

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रामगढ़ का रामनवमी मेला

कालीदास की तपोभूमि कहे जाने वाले विश्व प्रसिद्ध रामगिरि रामगढ़ पर्वत पर मेला लगने का शुभारंभ कब से हुआ इसका कोई लिखित एतिहासिक प्रमाण तो नहीं मिलता और ना ही कोई चश्मदीद गवाह बाकी है। अपितु अंदाजा लगाया जाता है कि उस जमाने में कल्चुरी राजाओं के बाद के हुक्मरानों …

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पीथमपुर धूल पंचमी मेले में शिव बारात

इतिहास इस बात का साक्षी है कि छत्तीसगढ़ की भूमि अनादि काल से ही अपनी परंपरा, समर्पण की भावना, सरलता और कलाओं की विपुलता के कारण सारे देश के लिए आकर्षण का केंद्र रहा है। यहां के लोगों का भोलापन, यहां के शासकों की वचनबद्धता, दानशीलता और प्रकृति के निश्छल …

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आध्यात्म और पर्यटन का संगम गिरौदपुरी का मेला

नवगठित बलौदाबाजार भाटापारा जिलान्तर्गत बलौदाबाजार से 45 कि मी पर जोंक नदी के किनारे गिरौदपुरी स्थित है। गिरौदपुरी जाने के लिए रायपुर से सड़क मार्ग से कटगी से और गिधौरी से बरपाली होकर जाने का रास्ता है। यहाँ सतनाम पंथ के गुरु घासीदास की जन्मस्थल है और जोंक नदी के …

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पुन्नी मेला अब पुन: राजिम कुंभ

माघ पूर्णिमा को मेले तो बहुत सारे भरते हैं, परन्तु राजिम मेले का अलग ही महत्व है। राजिम को छत्तीसगढ़ का प्रयाग कहा जाता है, यहाँ पैरी, सोंढूर एवं महानदी मिलकर त्रिवेणी संगम का निर्माण करती हैं। भारतीय संस्कृति में जहाँ तीन नदियों का संगम होता वह स्थान तीर्थ की …

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शिवरीनारायण का माघी मेला

महानदी के तट पर स्थित प्राचीन, प्राकृतिक छटा से भरपूर और छत्तीसगढ़ की संस्कारधानी के नाम से विख्यात् शिवरीनारायण जांजगीर-चांपा जिलान्तर्गत जांजगीर से 60 कि. मी., बिलासपुर से 64 कि. मी., कोरबा से 110 कि. मी., रायगढ़ से व्हाया सारंगढ़ 110 कि. मी. और राजधानी रायपुर से व्हाया बलौदाबाजार 140 …

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नरोधी नर्मदा जहाँ झिरिया से बुलबुलों में निकलता है जल

लोक गाँवों में बसता है। इसलिए लोक जीवन में सरसता है। निरसता उससे कोसों दूर रहती है। लोक की इस सरसता का प्रमुख कारण, प्रकृति से उसका जुड़ाव है। लोक प्रकृति की पूजा करता है। आज भी गाँवों में जल को वह चाहे नदी हो, या तालाब का, किसी झरने …

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