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Monthly Archives: January 2022

संसार को भारत के ‘स्व’ से परिचित कराने वाले स्वामी विवेकानंद

स्वामी विवेकानंद ऐसे संन्यासी हैं, जिन्होंने हिमालय की कंदराओं में जाकर स्वयं के मोक्ष के प्रयास नहीं किये बल्कि भारत के उत्थान के लिए अपना जीवन खपा दिया। विश्व धर्म सम्मलेन के मंच से दुनिया को भारत के ‘स्व’ से परिचित कराने का सामर्थ्य स्वामी विवेकानंद में ही था, क्योंकि …

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दक्षिण कोसल के वनों की पहचान : साल वृक्ष

दक्षिण कोसल के वनों की पहचान साल यानी सरई, सखुआ और न जाने स्थानीय लोग इसे क्या-क्या नाम से जानते-पहचानते हैं। साल जिसका वैज्ञानिक नाम सोरिया रोबस्टा है। अपनी सैकड़ों खूबियों की वजह से आज यह वृक्ष न सिर्फ पवित्र माना जाता है, यह पूजनीय भी है। आदिकाल से यह …

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पकड़ लो हाथ रघुनन्दन

पकड़ लो हाथ रघुनन्दन, ये दिल फिर टूट ना जाए।प्रभु अब दे दो तुम दर्शन, कही सब छूट ना जाए।। समझ आती नही दुनिया, कठिन जीवन का ये आकार।यहां पल पल में है धोखा, कठिन तेरा है ये संसार।दिला दो ,शीश में आशीष, चरण रज छूट ना जाये।पकड़ लो हाथ …

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गोवा मुक्ति संग्राम में छत्तीसगढ़ की भूमिका एवं योगदान

कैसी विडेबना रही कि स्वतंत्र भारत के 14 वर्षों तक एक बड़ा भू-भाग पुर्तगाल के अधीन रहा। 19 दिसंबर 1961 का वह दिन था जब पणजी में तिरंगा लहराया। उससे पहले स्थानीय निवासियों पर अनेक तरह के प्रतिबंध थे, सेंसरशिप का आलम तो यह था कि विवाह के निमंत्रण पत्रों …

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छत्तीसगढ़ी के प्रथम नाटक के रचयिता : पंडित लोचन प्रसाद पाण्डेय

छत्तीसगढ़ के मनीषी साहित्यकारों में बहुमुखी प्रतिभा के धनी पंडित लोचन प्रसाद पाण्डेय का नाम प्रथम पंक्ति में अमिट अक्षरों में अंकित है। हिंदी और छत्तीसगढ़ी साहित्य को उनके अवदान का उल्लेख किए बिना प्रदेश का साहित्यिक इतिहास अपूर्ण ही माना जाएगा। कवि, कहानीकार, इतिहासकार और पुरातत्वविद तो वह थे …

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हम हिंदू, हिंदुत्व हमारा

हम हिंदू, हिंदुत्व हमारा, है जानो आदत न्यारी।वीर, अहिंसक, धर्मव्रती हम, करुण-हृदय, सेवाधारी। मर्यादा में रहना हमको, रघुनंदन ने सिखलाया।जिसने रक्षा हेतु आन की, रावण को मार गिराया ।किया सफाया निशाचरों का, शांति धरा में लाने को,जूठे फल खा प्रेम निभाया, विप्र, धेनु, सुर हितकारी।हम हिंदू हिंदुत्व हमारा, है जानो …

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आदिमानवों की शरणस्थली हितापुंगार घुमर

बस्तर अपनी जनजातीय संस्कृति एवं प्राकृतिक सुन्दरता के लिए प्रसिद्ध है । बस्तर का प्रवेश द्वार केसकाल ही बस्तर की जनजातीय कला एवं संस्कृति, धरोहर के रूप में अनेक प्राचीन भग्नावशेष, कल-कल छल-छल करते झरने एवं जलप्रपात बस्तर की प्राकृतिक एवं पुरातात्विक वैभव का आभास करा देता है। केसकाल में …

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