भीतर अपने टटोल के देख।
मुख से राम तू बोल के देख।
स्पष्ट नजर आयेगी दुनिया,
अंतस द्वार तू खोल के देख।
राम नाम का ले हाथ तराजू,
खुद को ही तू तोल के देख।
है कीमत तेरा कितना प्यारे,
जा बाजार तू मोल के देख।
कितना मीठा कड़ुवा है तू,
ले पानी खुद घोल के देख।
बीच मोह यहाँ फंसा कौन है,
लगा के झोली झोल के देख।
डगमग दुनिया डोल रही है,
“दीप” जरा तू डोल के देख।
सप्ताह के कवि
भैया बहुत-बहुत बधाई