वन्य पर्यटको एवं प्रकृति प्रेमियों के लिए छत्तीसगढ़ स्वर्ग से कम नहीं है। राज्य का लगभग 44 फ़ीसदी भू-भाग वनों से अच्छादित है। यहाँ विभिन्न तरह की वन सम्पदा के साथ जैविक विविधता भी दिखाई देती है।
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यहाँ भरपूर वन संपदा एवं वन्यप्राणि है। वन्य प्राणियों एवं वनों की रक्षा करने के लिए यहाँ इंद्रावती, कांगेर, गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान हैं।
साथ ही अचानकमार, बादलखोल, बारनवापारा, सेमरसोत, सीतानदी, तमोर पिंगला ,भैरमगढ़, भोरमदेव, गोमर्डा, पामेड़, उदन्ती अभयारण्य हैं। हर अभयारण्य के साथ उनकी सदियों की कथा जुड़ी हुई हैं, जो वनवासियों के साथ कुछ समय गुजारने पर मिल सकती हैं।
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इंदिरा उद्यान, कानन पेंडारी चिड़ियाघर, मैत्री बाग चिड़ियाघर, नंदन वन चिड़ियाघर रायपुर एवं कोटमी सोनार मगरमच्छ पार्क भी है जो पर्यटकों की आंखों के रास्ते हृदय को प्रफ़ुल्लित करती है।
इन राष्ट्रीय उद्यानों एवं अभ्यारण्यों में साल, सागौन, बेंत, धावड़ा, हल्दु, तेन्दु, कुल्लू , कुसुम, आंवला, कर्रा, जामुन, सेन्हा, आम, बहेडा, बांस आदि के वृक्ष पाए जाते हैं, इसके अतिरिक्त सफेद मूसली , काली मूसली , तेजराज, सतावर, रामदतौन, जंगली प्याज, जंगली हल्दी, तिखुर, सर्पगंधा आदी औषधीय पौधे भी पाए जाते हैं।
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वन्य प्राणियों में शेर, तेन्दुआ, बाघ, चीतल, सांभर, लकडबग्घा, जंगली भालू, काकड, सियार, घड़ियाल, जंगली सुअर, लंगूर, सेही, माऊस डीयर, छिंद, चिरकमाल,, खरगोश, सिवेट, सियार, लोमड़ी, नील गाय, उदबिलाव, गौर, जंगली भैंसा, विभिन्न तरह के सर्प एवं मुर्गे, मोर, धनेश, महोख, ट्रीपाई, बाज, चील, डीयर, हुदहुद, किंगफिशर, बसंतगौरी, नाइटजार, उल्लू, तोता, बीइटर , बगुला, मैना, आदि पक्षी पाये जाते है।
वन प्रेमी एवं वन्य फ़ोटोग्राफ़ी करने वाले पर्यटकों के लिए छत्तीसगढ़ के वन अलौकिक अनुभव कराते हैं। बरसात के दिनों में उमड़ते घुमड़ते काले बादल पर्वतों पर मंडराते हैं, शरद ॠतु में सुहाना मौसम मन को मोह लेता है।
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कोयल की कूक के साथ मयुर नृत्य अलौकिक वातावरण बना देता है। अगर किसी को प्रकृति का सौंदर्य देखना है तो वह छत्तीसगढ़ में दिखाई देता है।
सरल स्वभाव के स्थानीय निवासियों का सहयोग यात्रा को और भी सुखमय बना देता है और छत्तीसगढ़ भ्रमण का निमंत्रण देता है। कहने सुनने की अपेक्षा आँखो से देखना ही श्रेयकर होता है।
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मानकर चलें कि छत्तीसगढ़ भ्रमण गुंगे के गुड़ जैसा है, जिसका वर्णन अवर्णनीय है। छत्तीसगढ़ के बस्तर अंचल से लेकर सरगुजा तक के अभ्यारण्यो के चित्रों का मेरे कैमरे द्वारा आनंद लीजिए।
कैसे पहुंचे? – छत्तीसगढ़ पहुंचने के लिए देश के लगभग सभी शहरों से रेल सम्पर्क है तथा महानगरों से वायू सेवा भी उपलब्ध है। यहाँ के सभी स्थान सड़क मार्ग से जुड़े हुए हैं।
आलेख
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इंडोलॉजिस्ट