दीपावली का त्यौहार समीप आते ही छत्तीसगढ़ में लोग बाड़ी-बखरी की भूमि में दबे जिमीकंद की खुदाई शुरु कर देते हैं। किलो दो किलो जिमीकंद तो मिल ही जाता है। वैसे भी वनांचल होने के कारण छत्तीसगढ़ में बहुतायत में पाया जाता है।
धरती से उपजने वाला यह कंद हमारी लोक संस्कृति के साथ जुड़ा हुआ है, इसका प्रयोग भोजन में मुख्यत: सब्जी के रुप में तो किया ही जाता है। इसके साथ गोवर्धन पूजा के दिन पशुओं को भी खिचड़ी में कोचई के साथ मिलाकर खिलाया जाता है।
अन्य कई प्रदेशों में दीवाली के दिन इसकी सब्जी बनाने की परम्परा है, जिसके पीछे मान्यता है कि दीपावली के दिन जिमीकंद की सब्जी खाने से आदमी अगले जन्म में छछुंदर नहीं बनता।
इसके औषधीय गुणों के कारण धार्मिक त्यौहार से जोड़ दिया गया है, जिससे व्यक्ति कम से कम वर्ष में एक दो बार इसका सेवन कर ले।
भारत के अन्य प्रदेशों में इसे सूरन, ओल, जिमीकंद इत्यादि नामों से जाना जाता है। गुजरात में तो मुझे सूरनवाला सरनेम भी देखने मिला।
देशी जिमीकंद को खाने के बाद खुजली होने के कारण सब्जी बनाने के लिए लम्बी प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है। परन्तु अब हाईब्रीड जिमीकंद आ गए हैं जिनके खाने या काटने से खुजली नहीं होती।
दीवाली के समय यह बाजार में बड़ी मात्रा में दिखाई देता है। यह खोदकर बाहर निकालने के बाद भी साल भर तक खराब नहीं होता। इसे एकमुश्त खरीद कर घर में रखा जा सकता है और बरसात में भूमि में गाड़ने के बाद दीवाली तक यह बड़ा हो जाता है।
आयुर्वेद में इसे स्वास्थ्यकारक बताया है, एक तरह से यह औषधि का ही काम करती है। कहा जाता है कि ठंड के दिनों में प्रत्येक व्यक्ति को कम से कम इसका दो बार सेवन करना ही चाहिए, जिससे कफ़ जनित रोगों का शमन होता है और ठंड से होने वाली बीमारियों से बचा जा सकता है।
यह कफ़ एवं सांस की समस्या में भी कारगर औषधि के रुप में कार्य करता है। इसमें फाइबर, विटामिन सी, विटामिन बी 6, विटामिन बी1, फोलिक एसिड और नियासिन होता है। साथ ही मिनरल जैसे, पोटैशियम, आयरन, मैगनीशियम, कैल्शियम और फॉसफोरस पाया जाता है।
इसमें पाए जाने वाले विटामिन, खनिज आदि औषधि तत्वों के कारण ग्रामीण अंचल में प्रचलन है। इसकी सब्जी दही, टमाटर, ईमली आदि की खटाई के साथ बनाई जाती है, जो इसके खुजलीकारक तत्वों को खत्म कर देती है।
विशेषकर दही के साथ बनाई गई सब्जी का आनंद ही कुछ और है। मुझे इसकी सब्जी बहुत ही पसंद है, वैसे भी इसकी सब्जी को शाहीसाग की पदवी मिली हुई है।
इसकि सब्जी बनाने के लिए सुबह प्रक्रिया प्रारंभ की जाती है, तब जाकर रात को सब्जी मिल पाती है। चलिए जिमीकंद की सब्जी बनाकर खाईए और स्वस्थ रहने का आनंद लीजिए…।
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