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आर्य इन्वेंशन थ्यौरी और छोटू-बड़कू

छोटू – बड़े भैया, ये AIT क्या होता है?

बड़कू – AIT यानी Aryan Invasion Theory, यह एक प्रकार का सिद्धांत है |

छोटू – ये सिद्धांत क्या होता है?

बड़कू – सिद्धांत यानी एक कल्पना या एक अटकल जिससे किसी घटना का स्पष्टीकरण दिया जा सकता है, जैसे कि डार्विन का उत्करांतिवाद, या फिर Big Bang Theory जिससे विश्व की उत्पत्ति का विवरण दिया जा सकता है। कई बार ऐसा भी हुआ है की अधिक संशोधन के बाद किसी सिद्धांत को रद्द करना पड़ा हो। जैसे की डॉल्टन की अटॉमिक थियरी, या फिर Heliocentric Universe का सिद्धांत जिसमें यह बताया गया था की सूरज विश्व के केंद्र मे स्थित है।

छोटू – अच्छा, अब इस AIT वाले सिद्धांत के बारे मे ज़रा विस्तार से बताओ ना भैय्या।

बड़कू – अरे! ये सिद्धांत ऐसे कहता है की अतीत में सिंधु की घाटी में रहने वाले लोग बहुत पिछड़े हुए थे। AIT ने उन्हे ‘द्रविड़’ कहा। उनके पास ना रथ था, ना घोड़े! तो हुआ यूँ की इस पूर्व 1500 मे आर्य लोगो ने द्रविड़ों पर हमला किया और उन्हे दक्षिण की ओर खदेड़ दिया। फिर आर्य लोग उत्तर मे बस गये।

छोटू – क्या आर्य लोग बड़ी सेना और घोड़े लेकर आक्रमण करने आए थे? जैसे के हम एतिहासिक फ़िल्मो मे देखते है?

बड़कू – नही नही! इस युद्ध वाली बात का तो कोई प्रमाण नही है। बल्कि, आर्य अपने पूरे परिवार के साथ आए थे ऐसा प्रतीत होता है।

छोटू- फिर ये तो एक प्रकार का स्थानांतरण हुआ न? इसे तो आक्रमण नही कह सकते?

बड़कू – सही कहा तुमने, चलो इस सिद्धांत का नाम बदलकर आर्यन माइग्रेशन थियरी (Aryan Migration Theory) रख देते है।

छोटू – और भैया, क्या एक बात आप जानते हो? भारतीय लोगों की Mitochondrial DNA ( MtDNA ) के अभ्यास से ये पता चलता है की इन लोगों की माता ज़रूर कोई हिन्दुस्तानी स्त्री ही है, कोई बाहर से आई हुई स्त्री नही है।

बड़कू – ओहो, सच मे? तो थोडा और विचार करते है, रूको। हम ऐसा कहते है की केवल पुरुष ही पारगमन या स्थानांतरण कर के आए थे। उनके साथ में कोई स्त्री या परिवार नहीं था। वैसे भी यह तर्क आर्यों को पितृसत्ताक साबित करने के लिए उपयुक्त होगा।

छोटू – पर एक बात बताओ, की सिंधु सभ्यता उस वक्त की सबसे बड़ी और सबसे ज्यादा लोकसंख्या वाली सभ्यता थी, तो ऐसे कितने आर्य पुरुष आए होंगे जिन्होंने यहाँ के मूल निवासियों को बाहर खदेड़ दिया?

बड़कू – अब तो मामला बड़ा ही गंभीर होता जा रहा है और तुम तो बड़े ही चुभने वाले सवाल पूछ रहे हो। हम AIT सिद्धांत भी बदल करते है … कहते है की सब आर्य एक साथ नही, बल्की छोटे छोटे टोलियों मे सैकड़ों साल तक आते रहे। इसे हम Migration in waves भी कहेंगे।
छोटू – भाई, ये कैसा सिद्धांत है जो हर सवाल पर बदल रहा है? खैर, एक बात बताओ, आर्योने आने के बाद सबसे पहले क्या किया?

बड़कू – इस सिद्धांत के अनुसार आर्यो ने सबसे पहले लाखों द्रविड़ लोगों को उनके विशाल और दीवारों से संरक्षित किए गये शहरों से बाहर निकाल दिया।

छोटू – भाईं अगर द्रविडों ने विशाल और संरक्षित शहर बनाए थे, तो वे पिछड़े हुए कैसे हो सकते है? और एक जगह से दूसरी जगह भटकने वाले आर्य प्रगत कैसे हुए?

बड़कू – अरे… अब तो ये मुश्किल हो गई न! चलो, अपना सिद्धांत फिर से थोडा बदलते है, ऐसा मानते है की आर्य प्रगत नही थे, वे जगह-जगह भटकने वाले लोग थे।

छोटू – लो, ये सिद्धांत फिर से डगमगाने लगा। बहुत ही लचीला है ये! ठीक है, अब एक बात बताओ इतनी दूर से धूप, तूफान, ठंड का सामना कर के आए आर्यों को यहां पहुँचते ही बने-बनाए घर और शहर भी मिल गये।

बड़कू – सुन, आर्य उन शहरों मे नही रहे। द्रविड लोग जाने के बाद सारे शहर सुनसान पडे रहे।

छोटू – तो फिर आर्य गये किधर?

बड़कू – मै भी इस सवाल से हैरान हूँ।

छोटू – एक सवाल तो फिर भी रह जाता है – अगर हम मान भी लें कि द्रविड़ दक्षिण दिशा मे जाकर बस गए, तो फिर दक्षिण दिशा के मूल निवासियों को उन्होंने कहा खदेड़ दिया?

बड़कू – जाओ भी अब, अपना काम करो, बहुत ज़्यादा और टेढ़े-मेढे सवाल पूछ रहे तो तुम।

छोटू- गुस्सा नही करो भाई! अब सीधा सवाल – ये आर्य कौन से रास्ते हिन्दुस्तान मे दाखिल हुए होंगे?

बड़कू – ऐसा प्रमाण है की वे मध्य एशिया कुछ टोलियाँ बनाकर निकले, कुछ टोलियाँ ईरान, कुछ यूरोप मे चली गयी। बाकी लोग दक्षिण को ओर गये और हिंदुकुश पर्वत को पार कर के भारत मे दाखिल हुए।

छोटू – ओहो, तो ये AIT ने तो वैश्विक स्तर पे बड़ी ही उथलपुथल की होगी। आर्यो ने ईरान और युरोप के मूल निवासियों को कहाँ भगा दिया था? और वहाँ के मूल निवासियों से भी तो कुछ प्रतिकार हुआ होगा न?

बड़कू – नहीं, उन देशों मे आर्यों के आगमन से कुछ भी प्रश्न नही उठे।

छोटू- इस बात को भी मान लेते है चलो! पर और एक सवाल तो रह जाता है न, अगर आर्य हिंदुकुश पर्वत के रास्ते से आए, तो वह अपने रथ कैसे लाए? क्योंकि रथ चलाने के लिए तो समतल ज़मीन चाहिए न?

बड़कू – देखो भाई, ऐसे सवालों के जबाब देना हम ज़रूरी नहीं समझते, और ऐसे सवाल पूछनेवाले को हम ‘हिंदुत्ववादी’ कहते है|

छोटू- अच्छा, वो बात छोड़ देते है चलो, पर सिनौली नाम के गाव मे रथ के अवशेष मिले है जो की ४००० साल पुराने है। यानी आर्य आने से पहेले से ही यहां के लोगों के पास रथ मौजूद थे, क्या पता वह रथ घोड़े से खींचे जाते हो?

बड़कू – ऐसा है, के सिनौली वाली बात तो अभी नई है, उन निष्कर्षों को कैसे ग़लत साबित करना है ये अभी तय नही हुआ है। पर छुटकु, सुनो, सिंधु सभ्यता के एक भी मुद्रा के उपर घोड़े का चित्र नही दिखाई देता। तो हम ये कह सकते है की उन्हे घोड़े के बारे मे पता नही था।

छोटू- उनकी मुद्रा पर गाय, बिल्ली या कुत्ता भी तो नही दिखाई देते है, तो क्या हम यह मान चले की उन्हे इन प्राणियों के बारे मे भी पता नही था।

बड़कू – चल छोड दे ये सवाल कुछ और पुछना होगा तो बोल।

छोटू – अच्छा ये बता भैय्या, के सिंध मे आने के बाद आर्य लोगों ने क्या किया?

बड़कू – अगले कुछ १००० सालों मे आर्यो ने संस्कृत भाषा का विकास किया। चारों वेद, उनकी सैकड़ों शाखाएँ, उपनिषद्, शास्त्र, व्याकरण, ज्योतिष्, रामायण, महाभारत आदि की रचना की। मौखिक परंपरा को सदा के लिए संरक्षित करने के लिए आर्यो ने पाठांत्र की विविध पद्धतियों का भी निर्माण किया और यह सब ज्ञान उन्होनें कंठस्थ भी कर लिया।

छोटू- ये तो बहुत बढ़िया है भाई! अचरज की बात है, ये जंगल-जंगल घूमने वाले लोग यकायक ज्ञानी और सभ्य बन गये। और केवल १००० वर्षो मे उन्होंने काफ़ी कुछ साहित्य, काव्य, तत्व ज्ञान का निर्माण कर लिया। इतने कम समय मे उन्होंने इतना सब कैसे कर लिया भाई?

बड़कू – छोटू! हर बात पे तुम्हारे कितने सवाल होते है? आर्यों ने सरस्वती नदी के किनारे बैठकर यह सब निर्माण किया, तो मान लो के उस ज्ञान देवी का आशीर्वाद उन्हें प्राप्त हुआ, ठीक?

छोटू – पर भैय्या, सरस्वती नदी तो ईसा. पूर्व १५०० से सैकड़ो साल पहेले यानी AIT से भी बहुत साल पहले ही सूख चुकी थी, तो क्या इस सूखी नदी के किनारे बैठकर आर्यो ने आशीर्वाद प्राप्त किया?

बड़कू – सुन छोटे, फिरसे आड़े तिरछे सवाल करने लगा न तू? भारतीय लोगों के DNA मे R1a haplogroup मिलता है, जो की आर्य भारत मे आने का पुख़्ता सबूत है।

छोटू – अरे मेरे ज्ञानी भाई, R1a तो सभी भारतीयों के DNA मे पाया जाता है, चाहे वो उच्चवर्णीय हो या फिर वनवासी।

बड़कू – भाई मै तो हार गया तुम्हारे सवालों के आगे, पर ये बात मै फिर भी कहूँगा के भारत देश मे R1a वाले आर्य लोग ही संकृत भाषा को लेकर आए और स्थानीय लोगों को उससे अवगत् कराया।

छोटू – अरे, डीएनए क्या भाषा का आधार है? अब आप अंग्रेजी बोलते हैं, तो क्या ये आपके डीएनए मे लिखा है?

बड़कू – लेकिन, लेकिन राखीगढ़ी के उत्खनन मे डीएनए मिला उसे मे तो R1a नही पाया गया? इसके बारे में तुम क्या कहोगे अब?

छोटू – राखीगढ़ी के केवल दो कंकालो मे यह R1a नही मिला इसका मतलब R1a बाहर से आया था ऐसा नही होता है।

बड़कू – तुमने तो इस सिद्धांत की नींव ही हिला दी। अब कैसे समझाऊ तुम्हे के AIT आख़िर क्या है?

छोटू – रुक, अब AIT क्या है यह मै ही तुम्हें बताता हूं। AIT एक ऐसा सिद्धांत है जिसके केवल पढ़ने से भारतीय लोगों को दो गुटों मे बाँटके उनमे द्वेष निर्माण किया जा सकता है। जैसे के सवर्ण-दलित, आर्य-द्रविड़, परदेसी-मुलनिवासी, नागरी–बनवासी या काले–गोरे।

बड़कू – वा भाई, तुम तो बड़े ही नॅशनलिस्ट बने फिर रहे हो। ये ठीक नही, वापस एक बार कोशिश करिए AIT का मतलब समझाने की।

छोटू – तो, AIT एक ऐसा सिद्धांत है, जिसे पढ़ने के बाद मनुष्य की मति भ्रष्ट हो जाती है, वो कहने लगता है कि ऐतिहासिक काल मे भारत मे जो इस्लामी और यूरोपिय आक्रमण हुए वो सब आर्यों के आक्रमण के आगे कुछ भी नही थे। मानो हिंस्र आर्यों की तुलना मे औरंगज़ेब, खिलजी, टीपू सुल्तान, General Dyer ये सब बहुत ही कोमल ह्रदयी और दयालु थे।

बड़कू – अरे जाओ, जाओ! तुम्हारी बात कौन सुनेगा? क्या तुम मेरे जैसे बुद्धिजीवी थोड़े ही हो?


छोटू – अरे! यदि आप वास्तव में एक बुद्धिजीवी हैं, तो आप इस सिद्धांत की त्रुटि तो देखो और भारत के इतिहास में सुधार करो।

बड़कू – मेरे राइहिट्स्ट भाई अब आप क्या नया इतिहास लिखना चाहते हो?

छोटा – अरे गुस्सा मत करो भाई! अभी अभी तुम्ही ने तो कहा था ना, की सिद्धांत एक कल्पना होती है। ये AIT का काल्पनिक खेल भाईयों के बीच ग़लतफहमी पैदा कर रहा है और कितने दिन हम ऐसे दांभिक और बचकाना सिद्धांत पे भरोसा कर के आपस मे लड़ते रहेंगे? ये झूठा सिद्धांत फेंक दो और चलो मेरे साथ, हम खेलने चलते है।

संदर्भ –

  1. Harappan site of Rakhigarhi: DNA study finds no Central Asian trace, junks Aryan invasion theory. – Economic Times, 13 June 2018
  2. Genetic study dismisses Aryan invasion as myth – Times of India, Mirror (Pune), Jul 06 2015
  3. New research debunks Aryan invasion theory – DNAIndia – 10 Dec 2011
  4. Sanauli Find Challenges Aryan Invasion Theory and Could Re-write Indian History – Ancient Origins, 23 June 2018
  5. “The genetic component which spread beyond India is significantly higher in India than in any other part of world. This implies that this genetic component originated in India and then spread to West Asia and Caucasus,” said Gyaneshwar Chaube of University of Tartu, Estonia. – India Today, 10 Dec, 2011
  6. … the origin of the R1a is far from settled …
    … it is almost certainly the case – tribal communities with high proportions of R1a assimilated into the caste matrix over the millennia. So how correct is it to link the R1a with an Indo-European migration?
  • Genetics Might Be Settling The Aryan Migration Debate, But Not How Left-Liberals Believe – by Anil Kumar Suri
  1. Genetics and the Aryan invasion debate – Koenraad Elst, June 2017.
  2. … The westward Indo-Aryan expansion is a plausible explanation for the male-mediated demic expansions of R1a1a (R-M17) into Europe beginning around 2,500 BCE, which, to a large extent, replaced indigenous European males and their Y-chromosome strata. It also explains R1a1a’s diversification into the European R1a-Z282 and Asian R1a-Z93 branches….
    … large number of ancient Harappan DNA samples need to be tested…
  • Propagandizing the Aryan Invasion Debate: A Rebuttal to Tony Joseph – A. L. Chavda
  1. … Up to 6000 BC, Europe was inhabited by dark skinned meat-eating hunters, who were nearly completely replaced by the arriving light-skinned Asians…
    … The mtDNA of the southern Indian locations have ultimately spread all over India and have even migrated to Europe during the Iron Age….
  • The Climate Change and the Environmental basis for the Human migrations during Holocene. Dr. P. Priyadarshi, MD, FRCP Edin, 16 July 2016
  1. … there was strong sex bias in Bronze Age migrations. In other words, those who migrated were predominantly male …
  • How genetics is settling the Aryan migration debate – Tony Joseph, The Hindu, 16 June 2017
  1. … AIT is of an entirely more impressive order than the relatively inconsequential Islamic or European colonial invasions …
    … India is composed of a large number of small populations …
  • 4500-year-old DNA from Rakhigarhi reveals evidence that will unsettle Hindutva nationalists – Kai Friese
  1. Lies, deception and character assassination: Aryan invasion propaganda touches new low – Abhijit Chavda 7, Sep 2018

मराठी आलेख – दीपाली पाटवदकर, पूना
हिन्दी अनुवाद – योगिनी बर्डे
चित्र – राजेन ठाकुर, रायपुर

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2 comments

  1. बहुत सुन्दर जानकारी

  2. Dayanand sharma

    बहुत ही रुचिकर लेख बातों ही बातों में खोजपरक जानकारी दी है ,साधुवाद आपको आपकी लेखनी को…

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