“घोड़ा रोवय घोड़ासार म, हाथी रोवय हाथीसार म …मोर रानी ये या, महलों में रोवय …” भरथरी की विधा में इस गीत का राग-संगीत तबले की थाप, बांसुरी के सुर में जीवन की सच्चाई को ब्यक्त करता है। छत्तीसगढ़ को इतिहास को झांक कर देंखें तो यहाँ का इतिहास यहाँ …
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