मैं चित्रोत्पला सा सरल तरल, हूँ तन मन को सिंचित करता।मैं श्रृंगी पावन, अशेष चिन्ह, आगे बढ़ता ,,,,, राघव गढ़ता। मैं कोसल का सौम्य पथिक, जिन कौशल्या ने राम जना।उस चरित कौसला का आशीष, जिसने जग में श्रीराम गढ़ा।। माथे पर चंदन ,रघुनंदन, राजीव लोचन, अद्वैत रक्ष।ये चार भाई मात्र …
Read More »और क्या उम्मीद हो
जिन्होंने मृत्यु और अपमान में,वरण किया था अपमान का।उनकी बेटियां बिक रही है,और क्या उम्मीद हो।शकुनि के देश में,गांधार का गौरव चकनाचूर होकर,कन्धार बना खड़ा है।आहत होना दुर्भाग्य बना है।बन्दूक लिये मुजाहिद,अल्लाह हो अकबर के नारे।12 बरस की दुल्हनेंऔर 60 बरस के दूल्हे।कोई क्या कहेकैसे कहे।कुछ भी सही हैजो हो …
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