भारतीय इतिहास में ज्ञात होता है कि जिन लोंगो ने हमें स्वतंत्र बनाने के लिये अपना जीवन न्योछावर किया, अंग्रेजों की अमानवीय यातनाएं सहीं उनके साथ स्वतंत्रता के बाद भी कैसा व्यवहार हुआ। इनमें से एक हैं सुप्रसिद्ध क्रान्तिकारी बटुकेश्वर दत्त। जब बटुकेश्वर बहुत छोटे थे तब परिवार कानपुर आ …
Read More »ईश्वर का प्यारा छल: एक लघुकथा
मैंने एक ऐसी घटना के बारे में सुना है जब ईश्वर ने अपनी संतानों यानि मानव जाति के साथ छल किया। यह कथा मुझे मेरी दादीमाँ ने मेरे बचपन में सुनाई थी। मेरी दादीमाँ जिन्हे बचपन में मैं बहुत प्रेम करता था और आज भी उनको, उनकी स्मृति को उतना …
Read More »छत्तीसगढ़ी कविताओं में मद्य-निषेध
शराब, मय, मयकदा, रिन्द, जाम, पैमाना, सुराही, साकी आदि विषय-वस्तु पर हजारों गजलें बनी, फिल्मों के गीत बने, कव्वालियाँ बनी। बच्चन ने अपनी मधुशाला में इस विषय-वस्तु में जीवन-दर्शन दिखाया। सभी संत, महात्माओं, ज्ञानियों और विचारकों ने शराब को सामाजिक बुराई ही बताया है। छत्तीसगढ़ी कविताओं में मदिरा का गुणगान …
Read More »नारी शक्ति की अपरिमितता का द्योतक हैं, कालजयी वीरांगना रानी दुर्गावती
(24 जून को 460 वें बलिदान दिवस के पूर्ण होने, तदनुसार 461वें बलिदान दिवस पर सादर समर्पित) *गोंडवाना साम्राज्य का स्वर्ण युग *————– रानी दुर्गावती ने लगभग 16 वर्ष शासन किया और यही काल गोंडवाना साम्राज्य का स्वर्ण युग था।गोंडवाना साम्राज्य राजनैतिक, सामाजिक, आर्थिक, धार्मिक, सांस्कृतिक,कला एवं साहित्य के क्षेत्र …
Read More »देहि शिवा वर मोहि इहै, शुभ करमन ते कबहू न टरौं
गुरु गोविंद सिंह सिर्फ़ सिख समुदाय के ही नहीं, सारी मानवता के चहेते हैं। उनकी दूरदर्शिता अकल्पनीय है, उन्होंने भविष्य को देखते हुए श्री ग्रंथ साहिब को गुरु मानने की आज्ञा दी तथा खालसा पंथ की स्थापना की। आज्ञा भयी अकाल की, तभे चलायो पंथ। सब सिखन को हुकम है, …
Read More »चार दाग से सतगुरु न्यारा, अजरो अमर शरीर : कबीर जयंती विशेष
कबीर पंथ के चौदहवे आचार्य पंथ श्री गृन्धमुनिनाम साहब ने अपने ग्रंथ ‘सद्गुरु कबीर ज्ञान पयोनिधि’ की प्रस्तावना में लिखा है,- “संसार के लोग राख के ढेर पर ही पैर रखकर चलते हैं- जलती आग पर नहीं, किन्तु जो इसके ठीक विपरीत होते हैं, आग पर चलकर अग्नि परीक्षा देते …
Read More »छत्तीसगढ़ के गौरव पं. लोचन प्रसाद पाण्डेय
04 जनवरी पंडित लोचन प्रसाद पांडेय जन्म दिवस विशेष छत्तीसगढ़ जैसे वनांचल के किसी ग्रामीण कवि को साहित्य का सर्वोच्च सम्मान “साहित्य वाचस्पति” दिया जाये तो उसकी ख्याति का सहज अनुमान लगाया जा सकता है। बात तब की है जब इस सम्मान के हकदार गिने चुने लोग थे। छत्तीसगढ़ की …
Read More »पंडित मालिकराम भोगहा का साहित्यिक अवदान
30 नवंबर को पुण्यतिथि के अवसर पर विशेष आलेख छत्तीसगढ़ प्रदेश अनेक अर्थो में अपनी विशेषता रखता है। यहां ऐतिहासिक और पुरातात्विक अवशेषों का बाहुल्य है जो अपनी प्राचीनता और वैभव सम्पन्नता की गाथाओं को मौन रहकर बताता है लेकिन इसके प्रेरणास्रोत और विद्वतजन गुमनामी के अंधेरे में खो गये। …
Read More »छत्तीसगढ़ी काव्य में जन जागरण
साहित्य समाज का पहरुआ होता है। चाहे वह गीत, कविता, कहानी, निबंंध, नाटक या किसी अन्य साहित्यिक विधा में क्यों न हो। वह तो युगबोध का प्रतीक होता है। कवि वर्तमान को गाता है लेकिन वह भविष्य का दृष्टा होता है। साहित्य जो भी कहता है निरपेक्ष भाव से कहता …
Read More »जन जागरण का काव्य : संदर्भ छत्तीसगढ़
साहित्य समाज का पहरुआ होता है। चाहे वह गीत, कविता, कहानी, निबंध, नाटक या किसी अन्य साहित्यिक विधा में क्यों न हो। वह तो युगबोध का प्रतीक होता है। कवि वर्तमान को गाता है लेकिन वह भविष्य का दृष्टा होता है। साहित्य जो भी कहता है निरपेक्ष भाव से कहता …
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