प्राचीन दंडकवन ॠषि मुनियों की तप स्थली रहा है, रामायण में दण्डकारण्य के बहुत सारे ॠषि मुनियों का जिक्र आता है। दंडकारण्य की तत्कालीन भौगौलिक स्थिति के विषय में विद्वानों की भिन्न भिन्न राय है, परन्तु यह तो तय है कि प्राचीन दक्षिण कोसल दंडकारण्य का ही हिस्सा रहा है। …
Read More »जानिए वाल्मिकी आश्रम एवं लवकुश की जन्मभूमि तुरतुरिया का रहस्य
मोहदा रिसोर्ट से तुरतुरिया की दूरी 22 किमी और रायपुर से पटेवा-रवान-रायतुम होते हुए लगभग 118 किमी है। रायतुम के बाद यहाँ तक कच्ची सड़क है। शायद अभयारण्य में पक्की सड़क बनाने की अनुमति नहीं है। बाईक से सपाटे से चलते हुए ठंडी हवाओं के झोंकों के बीचे वन के …
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