गुरु घासीदास का संपूर्ण जीवन संघर्ष पूर्ण रहा। उस समय देश में सामंती प्रथा व्याप्त थी। पूरा देश अंग्रेजी शासन के अधीन था। जनता शोषित और पीड़ित थी। दलित समाज में विचित्र छटपटाहट थी। विचार अभिव्यक्ति की स्वतंतत्रा तो दूर की बात, लोगों को रोटी-कपड़े के लिए भी संघर्ष करना …
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