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बस्तर की प्राचीन राजधानी बड़ेडोंगर

बस्तर का प्रवेश द्वार केशकाल आपको तब मिलेगा जब आप बारा भाँवर (बारह मोड़ों) पर चक्कर काटते हुए पहाड़ पर चढेंगे। केशकाल क्षेत्र में अनेक प्राकृतिक झरने, आदि-मानव द्वारा निर्मित शैलचि़त्र, पत्थर से बने छैनी आदि प्रस्तर युगीन पुरावशेष यत्र-तत्र बिखरे पड़े हैं। साल वृक्षों का घना जंगल, ऊँची- ऊँची …

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वसुंधरा के ॠतुमति होने का उत्सव : भूमि दहनो

भारत भिन्न-भिन्न मान्यताओं एवं परम्पराओं का देश है, इस विशाल देश को संस्कृति ही एक सूत्र में बांधकर रखती है। संस्कृति की अजस्र धारा सभी प्राणियों को अपने पीयूष से सिंचित कर पुष्पित पल्लवित कर पोषण प्रदान करती है। हमारी संस्कृति प्रकृति के साथ एकाकार है। प्रकृति के बिना हम …

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छत्तीसगढ़ भी आए थे भगवान बुद्ध

भारत के प्राचीन इतिहास में कोसल और दक्षिण कोसल के नाम से प्रसिद्ध छत्तीसगढ़ प्रदेश अनेक महान संतों और महान विभूतियों की जन्मस्थली, कर्म भूमि और तपोभूमि के रूप में भी पहचाना जाता है। कई महान विभूतियों ने यहाँ जन्म तो नहीं लिया, लेकिन अपनी चरण धूलि से और अपने महान …

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इतिहास का साक्षी बाम्हनसरा का वट वृक्ष एवं बस्तरहीन देवी

छत्तीसगढ़ स्थित महासमुन्द जिले के अंतिम छोर उड़ीसा सीमा पर राष्ट्रीय राज मार्ग 353 से लगा जनजातीय बाहुल्य ग्राम बाम्हनसरा विकास खण्ड बागबाहरा है। इसके प्राचीन वट वृक्ष ने सैकड़ो वर्षो के इतिहास को संजो रखा है। यह विशाल वट वृक्ष उत्तरी अक्षांश 20°58’21” पूर्वी देशांश 82°29′ 54”पर राष्ट्रीय राजमार्ग …

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अमुआ के डाली पे बैठी कोयलिया काली : खास आम

आम लोगों का आम, खास लोगों का आम, आम तो आम ही है पर आम खाने वाले लोग खास ही होते हैं। अब समय है वृक्षों पर आम के पकने का। इससे पहले तो कृत्रिम रुप से पकाए आम बाजारों में भरे पड़े है। पर उनमें वो मजा कहाँ जो …

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राम वनगमन पथ में रामगढ़ का महत्व विषयक वेबीनार सम्पन्न

ग्लोबल इनसाइक्लोपीडिया ऑफ रामायण, सेंटर फॉर स्टडी ऑन हॉलिस्टिक डेवलपमेंट रायपुर और दक्षिण कोशल टुडे छत्तीसगढ़ के तत्वाधान में ऑन लाईन शोध संगोष्ठी का आयोजन किया गया यह वेबीनार ग्लोबल इनसाइक्लोपीडिया ऑफ रामायण के संयोजक ललित शर्मा की होस्टिंग में राम वनगमन पथ में रामगढ़ का महत्व विषय पर आयोजन …

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कबीर पंथ एवं गुरु गद्दी परम्परा : छत्तीसगढ़

संत कबीर मध्यबिंदु के सन्देश वाहक थे क्योंकि प्रवृति एवं निवृति मार्ग के मध्यबिंदु को समाज जीवन में श्रेष्ठ माना जाता है।| छत्तीसगढ़ भौगोलिक कारणों से प्राचीनकाल से संस्कृति संगम का क्षेत्र रहा है। भारत के मध्य में होने के कारण चारों दिशाओं की सभ्यताओं का आगमन इस क्षेत्र में …

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प्रकृति का अजूबा मंडीप खोल : छत्तीसगढ़

प्रकृति ज्ञान और आनंद का स्रोत है। प्रकृति मनुष्य को सदैव अपनी ओर आकर्षित करती है। प्रकृति के आकर्षण ने मनुष्य की जिज्ञासा व उत्सुकता को हरदम प्रेरित किया है। इसी प्रेरणा के फलस्वरूप मनुष्य प्रकृति के रहस्यों को जान-समझ कर ही ज्ञानवान बना है। प्रकृति के हर उपादान उसे …

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बरहाझरिया के शैलाश्रय और उसके शैलचित्र

कोरबा जिला 20°01′ उत्तरी अक्षांश और 82°07′ पूर्वी देशांतर पर बसा है। इसका गठन 25 मई 1998 को हुआ, उसके पहले यह बिलासपुर जिले का ही एक भाग था। यहाँ का क्षेत्रफल 712000 हेक्टेयर है। जिले में चैतुरगढ़ का किला, तुमान का शिव मंदिर और पाली का शिव मंदिर भारत …

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प्रकृति का आभूषण कटुमकसा घुमर : बस्तर

पहाड़ियाँ, घाटियाँ, जंगल, पठार, नदियाँ, झरने आदि न जाने कितने प्रकार के गहनों से सजाकर प्रकृति ने बस्तर को खूबसूरत बना दिया है। बस्तर के इन्हीं आभूषणों में से एक है, कटुमकसा घुमर। कुएमारी (पठार) से बहता हुआ एक नाला घोड़ाझर गाँव की सीमा में आता है। यहाँ एक जलप्रपात …

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