वाचिक परम्पराएं सभी संस्कृतियों का एक महत्वपूर्ण अंग होती हैं। लिखित भाषा का प्रयोग न करने वाले लोक समुदाय में संस्कृति का ढांचा अधिकतर मौखिक परम्परा पर आधारित होता है। कथा, गाथा, गीत, भजन, नाटिका, प्रहसन, मुहावरा, लोकोक्ति, मंत्र आदि रूपों में मौखिक साधनों द्वारा परम्परा का संचार ही वाचिक …
Read More »बस्तर की प्राचीन सामाजिक परम्परा : पारद
बस्तर की हल्बी बोली का शब्द है “पारद”। इसका शाब्दिक अर्थ होता है। गोण्डी बोली में इसे “वेट्टा” कहते है। को हिन्दी, हल्बी, गोण्डी में खेल कहकर प्रयुक्त किया जाता है। इसे हिन्दी में खेलना, हल्बी में पारद खेलतो तथा गोण्डी में “कोटुम वली दायना” कहते है। जिसका अर्थ पारद …
Read More »दक्षिण कोसल में रामायण का प्रभाव : वेब संगोष्ठी सम्पन्न
ग्लोबल इन्सायक्लोपीडिया ऑफ रामायण छत्तीसगढ़ एवं सेंटर फ़ॉर स्टडी ऑन होलिस्टिक डेवलपमेंट के संयुक्त तत्वाधान में अंतर्राष्ट्रीय वेबिनार की श्रृंखला में दिनाँक 28/06/2020 को शाम 7:00 से 8:30 बजे के मध्य में एक कड़ी और जुड़ गई। इस वेबिनार का विषय “दक्षिण कोसल में रामायण का प्रभाव” था। उदघाटन संबोधन …
Read More »छत्तीसगढ़ी संस्कृति में रामकथा की व्याप्ति : वेबीनार रिपोर्ट
रामायण के इनसायक्लोपीडिया निर्माण को लेकर दिनांक 21/6 /2020 को शाम 5:00 से 6:30 तक “छत्तीसगढ़ी संस्कृति में रामकथा की व्याप्ति” नामक अंतरराष्ट्रीय वेबीनार का आयोजन किया गया। इस आयोजन में देश-विदेश से लगभग 109 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। इस अंतरराष्ट्रीय शोध संगोष्ठी वेबीनार का आयोजन सेंटर फॉर स्टडी हॉलिस्टिक …
Read More »भगवान जगन्नाथ मंदिर और भव्य रथयात्रा
ओडिशा राज्य के तटवर्ती क्षेत्र में स्थित जगन्नाथ मंदिर हिन्दुओं का प्राचीन एवं प्रसिद्ध तीर्थ स्थान है। हिन्दुओं की धार्मिक आस्था एवं कामना रहती है जीवन में एक बार भगवान जगन्नाथ के दर्शन अवश्य करें क्योंकि इसे चार धामों में से एक माना जाता है। वैष्णव परम्परा का यह मंदिर …
Read More »स्वास्थ्य के लिए महाऔषधि है योग : विश्व योग दिवस
मानव जीवन का प्रमुख लक्ष्य समस्त दुखों, क्लेशों, वासनाओं और अतृप्ति से मुक्त होकर सच्चे सुख-शांति और आनंद को प्राप्त करना है। वैसे तो इस उद्देश्य को पूर्ण करने के लिए समस्त विवेकवान मनुष्य अपनी रुचि, बुद्धि व क्षमता के अनुसार विभिन्न साधनों का सहारा लेते हैं। ऋषि-मुनियों ने नियमित …
Read More »राष्ट्र भक्ति, वीरता तथा आत्मसम्मान का प्रतीक रानी लक्ष्मी बाई
महारानी लक्ष्मी बाई बलिदान दिवस विशेष नारी सिर्फ़ कोमलांगी, त्याग या करुणा की मूर्ति ही नहीं है, इसके द्वारा किये पुरुषोचित कार्यों से इतिहास भरा पड़ा है। शक्ति एवं सुंदरता का संयोजन ईश्वर ने नारी को ही दिया। युद्ध स्थल में नारी की बहादूरी के सामने बड़े-बड़े शूरमा दांतों तले …
Read More »बस्तर की प्राचीन राजधानी बड़ेडोंगर
बस्तर का प्रवेश द्वार केशकाल आपको तब मिलेगा जब आप बारा भाँवर (बारह मोड़ों) पर चक्कर काटते हुए पहाड़ पर चढेंगे। केशकाल क्षेत्र में अनेक प्राकृतिक झरने, आदि-मानव द्वारा निर्मित शैलचि़त्र, पत्थर से बने छैनी आदि प्रस्तर युगीन पुरावशेष यत्र-तत्र बिखरे पड़े हैं। साल वृक्षों का घना जंगल, ऊँची- ऊँची …
Read More »वसुंधरा के ॠतुमति होने का उत्सव : भूमि दहनो
भारत भिन्न-भिन्न मान्यताओं एवं परम्पराओं का देश है, इस विशाल देश को संस्कृति ही एक सूत्र में बांधकर रखती है। संस्कृति की अजस्र धारा सभी प्राणियों को अपने पीयूष से सिंचित कर पुष्पित पल्लवित कर पोषण प्रदान करती है। हमारी संस्कृति प्रकृति के साथ एकाकार है। प्रकृति के बिना हम …
Read More »छत्तीसगढ़ भी आए थे भगवान बुद्ध
भारत के प्राचीन इतिहास में कोसल और दक्षिण कोसल के नाम से प्रसिद्ध छत्तीसगढ़ प्रदेश अनेक महान संतों और महान विभूतियों की जन्मस्थली, कर्म भूमि और तपोभूमि के रूप में भी पहचाना जाता है। कई महान विभूतियों ने यहाँ जन्म तो नहीं लिया, लेकिन अपनी चरण धूलि से और अपने महान …
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