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Tag Archives: chhattisgarh

दे दे बुलौआ राधे को नगर में : होली फाग गीतों के संग

प्रकृति मनुष्य को सहचरी है, यह सर्वविदित है। किन्तु मनुष्य प्रकृति का कितना सहचर है? यह प्रश्न हमें निरूत्तर कर देता है। हम सोचने के लिए विवश हो जाते हैं कि सचमुच प्रकृति जिस तरह से अपने दायित्वों का निर्वाह कर रही हैं? क्या मनुष्य प्रकृति के प्रति अपने दायित्वों …

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बस्तर की मुरिया जनजाति का प्राचीन विश्वविद्यालय घोटुल

इसे बस्तर का दुर्भाग्य ही कहा जाना चाहिये कि इसे जाने-समझे बिना इसकी संस्कृति, विशेषत: इसकी वनवासी संस्कृति, के विषय में जिसके मन में जो आये कह दिया जाता रहा है। गोंड जनजाति, विशेषत: इस जनजाति की मुरिया शाखा, में प्रचलित रहे आये “घोटुल” संस्था के विषय में मानव विज्ञानी …

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रामनामी : जिनकी देह पर अंकित हैं श्री राम जी के हस्ताक्षर

प्राचीन छत्तीसगढ़ (दक्षिण कोसल) प्राचीन काल से ही राम नाम से सराबोर रहा है। छत्तीसगढ़ की जीवन दायनी नदी जिसका पुराणों में नाम चित्रोत्पला रहा है, राजिम स्थित इस नदी के संगम को छत्तीसगढ़ का प्रयागराज कहा जाता है। महानदी के किनारे स्थित सिहावा, राजिम, सिरपुर, खरौद, शिवरीनारायण, तुरतुरिया आदि …

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दक्षिण कोसल के रामायण कालीन ऋषि मुनि एवं उनके आश्रम : वेबीनार रिपोर्ट

दक्षिण कोसल के रामायण कालीन ऋषि मुनि एवं उनके आश्रम विषय पर ग्लोबल इनसाइक्लोपीडिया ऑफ रामायण उत्तर प्रदेश और सेंटर फॉर स्टडी एंड हॉलिस्टिक डेवलपमेंट छत्तीसगढ़ द्वारा अंतर्राष्ट्रीय वेबीनार श्रृंखला की 9 वीं कड़ी का आयोजन दिनाँक 9/8/ 2020, रविवार, शाम 7:00 से 8:30 के मध्य किया गया। इस वेबीनार …

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दक्षिण कोसल की जनजाति संस्कृति एवं धार्मिक विश्वास : वेबीनार रिपोर्ट

दक्षिण कोसल की जनजाति संस्कृति एवं धार्मिक विश्वास विषय पर दिनाँक 2 अगस्त 2020 को सेंटर फॉर स्टडी एंड हॉलिस्टिक डेवलपमेंट छत्तीसगढ़ और ग्लोबल इनसाइक्लोपीडिया ऑफ रामायण उत्तर प्रदेश के संयुक्त तत्वाधान में इंटरनेशनल वेबीनार की आठवीं कड़ी संपन्न हुई। इसमें उद्घाटन उद्बोधन श्री विवेक सक्सेना, सचिव सी एस एच …

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दक्षिण कोसल में रामायण से संबंधित पुरातात्विक साक्ष्य विषय पर संगोष्ठी सम्पन्न : वेबीनार रिपोर्ट

‘दक्षिण कोसल में रामायण से संबंधित पुरातात्विक साक्ष्य’ विषय पर एक दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय वेब संगोष्ठी का आयोजन सेंटर फॉर स्टडी एंड हॉलिस्टिक डेवलपमेंट छत्तीसगढ़ तथा ग्लोबल इनसाइक्लोपीडिया ऑफ रामायण उत्तर प्रदेश के संयुक्त तत्वाधान में दिनाँक 26 साथ 2020 को शाम 7:00 से 8:30 के मध्य सम्पन्न हुआ। वेब संगोष्ठी …

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दक्षिण कोसल की रामलीला एवं उसका सामाजिक प्रभाव : वेबीनार रिपोर्ट

दक्षिण कोसल की रामलीला एवं उसका सामाजिक प्रभाव विषय पर एक दिवसीय वेब संगोष्ठी का आयोजन सेंटर फॉर स्टडी ऑन होलिस्टिक डेवलपमेंट छत्तीसगढ़ तथा ग्लोबल इनसाइक्लोपीडिया ऑफ रामायण उत्तर प्रदेश के संयुक्त तत्वाधान में दिनांक 19 जुलाई 2020 को हुआ। वेब संगोष्ठी में स्वागत उद्बोधन अयोध्या शोध संस्थान उत्तर प्रदेश …

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छत्तीसगढ़ का हरेली तिहार और खेल की लोक परम्परा

लोक संस्कृति का वैभव लोक जीवन के क्रिया-व्यवहार में परिलक्षित होता है। यदि समग्र रूप से समूचे भारतीय लोक जीवन को देखें तो आँचलिकता व स्थानीयता के आधार पर, चाहे वह पंजाब हो, या असम हो, कश्मीर हो या केरल, महाराष्ट्र हो या पश्चिम बंगाल, गुजरात हो या राजस्थान, उत्तर …

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छत्तीसगढ़ में पारंपरिक देहालेखन गोदना और अंतर्भाव

लोक-व्यवहार ही कालांतर में परंपराएँ बनती हैं और जीवन से जुड़ती चली जाती हैं। जब पीढ़ी-दर-पीढ़ी उनका निर्वाह किया जाता है तब वह आगे चलकर संस्कृति का हिस्सा बन जाती हैं। वास्तव में लोक-व्यवहार ही एक है जो कि संस्कृति को जीवंत स्वरूप प्रदान करती है। लोक-परंपराएँ यूँ ही नहीं …

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सरगुजा के जनजातीय समाज पर रामायण का प्रभाव : वेबीनार रिपोर्ट

सरगुजा के जनजातीय समाज पर रामायण का प्रभाव विषय पर अंतरराष्ट्रीय वेबीनार का आयोजन इनसाइक्लोपीडिया ऑफ रामायण उत्तर प्रदेश एवं सेंटर फ़ॉर स्टडी ऑन होलिस्टिक डेवलपमेंट छत्तीसगढ़ के संयुक्त तत्वाधान में 12 जुलाई 2020 रविवार को सायं 6:30 से 8:30 बजे तक किया गया। इस वेबीनार का उद्घाटन उद्बोधन अयोध्या …

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