सरगुजा अंचल में कई लोकपर्व मनाएं जाते हैं, इन लोक पर्वों में “छेरता” का अपना ही महत्व है। इसे मैदानी छत्तीसगढ़ में “छेरछेरा” भी कहा जाता है। इस लोकपर्व को देशी पूस माह की शुक्ल पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस त्यौहार को समाज के सभी वर्ग परम्परागत रुप से …
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पूस पुन्नी भजन मेला : निराकार राम का साधक रामनामी सम्प्रदाय समाज
रामनामी समाज एक बड़ा सम्प्रदाय है जो छत्तीसगढ़ प्रदेश के मुख्यतः रायगढ़ ,सारंगढ़ ,बिलाईगढ़ , कसडोल , जांजगीर, बिलासपुर, जैजैपुर, मालखरौदा, चंद्रपुर, पामगढ़, नवागढ़, अकलतरा के सुदूर अंचल से शहर तक निवासरत हैं। रामनामी समाज की आबादी लगभग 5 लाख होगी जो 300 गांव से अधिक गांवों में निवास करते है …
Read More »दक्षिण कोसल : कल और आज -1
पृथ्वी की उत्पत्ति के उपरांत ही देश, काल के अनुसार ही दुनिया भर में स्थानों के नाम समय-समय पर बदलते रहे है। हमारे लेख का विषय छत्तीसगढ़, जिसे दक्षिण कोसल का नाम इतिहासकार देते हैं और आज भी दक्षिण कोसल ही छत्तीसगढ़ क्षेत्र की पहचान के रूप में मान्य है। …
Read More »स्वामीजी का वाङ्गमय पढ़कर मेरी देशभक्ति हजारों गुना बढ़ गई है : महात्मा गांधी
नवयुग के निर्माता स्वामी विवेकानन्दजी ने कहा था, “मैं भविष्य को नहीं देखता, न ही उसे जानने की चिन्ता करता हूं। किन्तु, एक दृश्य मैं अपने मन:चक्षुओं से स्पष्ट देख रहा हूं, यह प्राचीन मातृभूमि एक बार पुन: जाग गई है और अपने सिंहासन पर आसीन है – पहले से …
Read More »ऐसा भव्य जलप्रपात जिसके सामने बाहूबली भी लगता है बौना
प्रकृति ने बस्तर में जी भर कर अपना सौंदर्य लुटाया है, अद्वितीय प्राकृतिक खुबसूरती ने बस्तर को पर्यटकों का लाडला बनाया है। यहाँ की हरी-भरी वादियाँ, गगनचुम्बी चोटियाँ, खूबसूरत झरने किसी भी व्यक्ति का मनमोह लेते हैं। बस्तर में दंतेवाड़ा जिला भी पर्यटन स्थलों के मामले में अग्रणी है। दंतेवाड़ा …
Read More »भक्त शिरोमणी माता राजिम जयंती पर विशेष
छत्तीसगढ़ का प्रयाग राजिम एक पवित्र सांस्कृतिक एवं एतिहासिक नगरी है जो अपने आप में गौरवशाली पुरातन इतिहास व परम्पराओं को आत्मसात किये हुये है । इसे भगवान विष्णु की नगरी भी कहा जाता है । विशेषकर माघ पूर्णिमा से शिवरात्रि तक सांस्कृतिक एकता के पवित्र बंधन में बंधे हुए …
Read More »राम भजो भाई, गोबिन्द भजो भाई का संकीर्तन कर समाज को बुराईयों के प्रति जागृत करने वाली माता राजमोहनी देवी
समाज में किसी के जनोत्थान एवं समाज सेवा के कार्य इतने अधिक हो जाएं कि समाज उसे देवतुल्य स्थान दे दे। यह समाज सेवा की पराकाष्ठा ही मानी जाती है, खैर लोक देवताओं की मान्यता एवं स्थापना भी ऐसे ही होती है। हम आपको बताने जा रहे हैं सरगुजा की …
Read More »देहि शिवा वर मोहि इहै, शुभ करमन ते कबहू न टरौं
गुरु गोविंद सिंह सिर्फ़ सिख समुदाय के ही नहीं, सारी मानवता के चहेते हैं। उनकी दूरदर्शिता अकल्पनीय है, उन्होंने भविष्य को देखते हुए श्री ग्रंथ साहिब को गुरु मानने की आज्ञा दी तथा खालसा पंथ की स्थापना की। आज्ञा भयी अकाल की, तभे चलायो पंथ। सब सिखन को हुकम है, …
Read More »जानिए ऐसा मेला जो बारातियों सहित वर-वधु पक्ष के पत्थर में बदलने की स्मृति में भरता है।
अंचल में किसान धान की फ़सल कटाई, मिंजाई और कोठी में धरने के बाद एक सत्र की किसानी करके फ़ुरसत पा जाता है और दीवाली मनाकर देवउठनी एकादशी से अंचल में मड़ई मेलों का दौर शुरु हो जाता है। ये मड़ई मेले आस्था का प्रतीक हैं और सामाजिक संस्था को …
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