भारत जमीन का टुकड़ा नहीं, जीता जागता राष्ट्रपुरुष है. हिमालय मस्तक है, कश्मीर किरीट है, पंजाब और बंगाल दो विशाल कंधे हैं. पूर्वी और पश्चिमी घाट दो विशाल जंघायें हैं. कन्याकुमारी इसके चरण हैं, सागर इसके पग पखारता है. यह चन्दन की भूमि है, अभिनन्दन की भूमि है, यह तर्पण …
Read More »Yearly Archives: 2019
जन-जागरण तथा सामाजिक क्रांति के अग्रदूत : पंडित सुन्दरलाल शर्मा
छत्तीसगढ़ केवल एक जनजातीय क्षेत्र ही नहीं है। यह एक ऐसा वैचारिक केन्द्र भी रहा है,जहाँ से एक सामाजिक परिवर्तन का सूत्रपात हुआ। शोषित उपेक्षित दलित समाज को मुख्यधारा में जोड़नेे का कार्य जहां से प्रारंभ हुआ, वह छत्तीसगढ़ ही है। इसमें पंडित सुन्दरलाल शर्मा की एक महती भूमिका रही …
Read More »कलचुरी नरेश कर्णदेव जिन्हें इंडियन नेपोलियन कहा गया
अमरकंटक मेकलसुता रेवा का उद्गम स्थल है, यह पुण्य स्थली प्राचीन काल से ही ॠषि मुनियों की साधना स्थली रही है। वैदिक काल में महर्षि अगस्त्य के नेतृत्व में ‘यदु कबीला’ इस क्षेत्र में आकर बसा. वैदिक ग्रंथों के अनुसार विश्वामित्र के 50 शापित पुत्र भी यहाँ आकर बसे। उसके …
Read More »लाला जगदलपुरी का व्यक्तित्व एवं कृतित्व हरिहर वैष्णव की कलम से
लाला जगदलपुरी बस्तर-साहित्याकाश के वे सूर्य हैं, जिनकी आभा से हिन्दी साहित्याकाश के कई नक्षत्र दीपित हुए और आज भी हो रहे हैं। ऐसे नक्षत्रों में शानी, डॉ. धनञ्जय वर्मा और लक्ष्मीनारायण “पयोधि” के नाम अग्रगण्य हैं। 17 दिसम्बर 1920 को जगदलपुर में जन्मे दण्डकारण्य के इस ऋषि, सन्त और …
Read More »जिनकी रचनाओं ने राष्ट्रीयता और देशप्रेम की भावना जगाई : राष्ट्रकवि पुण्यतिथि
आज राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त की पुण्यतिथि है। इनका जन्म 3 अगस्त 1886 को छोटे से कस्बे चिरगांव में हुआ था जो झांसी से 35 किमी की दूरी पर है। राष्ट्रजीवन की चेतना को मंत्र स्वर देने वाले राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त को साहित्य जगत में दद्दा के नाम से जाना जाता …
Read More »जिनके चौबीस गुरु थे : भगवान दत्तात्रेय
भगवान दत्तात्रेय की माता अनुसइया एवं पिता अत्रि थे। दत्तात्रेय को विष्णु का अवतार माना जाता है। दत्तात्रेय के अन्य दो भाई चंद्र देव और ऋषि दुर्वाशा थे। चंद्रमा को ब्रह्मा और ऋषि दुर्वाशा को शिव का रूप ही माना जाता है। जिस दिन दत्तात्रेय का जन्म हुआ आज भी …
Read More »सोनाखान के बलिदानी वीरनारायण सिंह : पुण्यतिथि विशेष
स्वतंत्रता संग्राम की चिंगारी भारत में सुलग रही थी और राजे-रजवाड़े अंग्रेजी दमन के कारण अंग्रेजों के खिलाफ़ लामबंद हो रहे थे। उस समय यह स्वतंत्रता आन्दोलन पूरे भारत में फ़ैल रहा था। छत्तीसगढ़ अंचल भी इससे अछूता नहीं था। यहाँ भी 1857 के आन्दोलन में स्वतंत्रता की चाह लिए …
Read More »संस्कृत ग्रंथ ‘रामायण’ का तमिल में अनुवाद : चक्रवर्ती राजगोपालाचारी
चक्रवर्ती राजगोपालाचारी का जन्म दिसम्बर माह की दस तारीख को 1878 में मद्रास के थोरपल्ली ग्राम में हुआ था। आप राजनेता, वकील, लेखक, स्वतंत्रता सेनानी, भारत के अंतिम गवर्नर जनरल होने के साथ दार्शनिक भी थे। राजगोपालचारी को कांग्रेस के जनरल सेक्रेटरी के रूप में भी चुना गया था। अंतिम …
Read More »युद्ध के मैदान से आया जीवन दर्शन : गीता जयंती विशेष
आज महत्वपूर्ण तिथि है, मार्गशीर्ष शुक्ल एकादशी का बहुत बड़ा महत्व है, द्वापर युग में इसी दिन भगवान कृष्ण ने अर्जुन को भगवद् गीता का उपदेश दिया था। इसलिए यह तिथि गीता जयंती के नाम से प्रसिद्ध है और यह तिथि भगवत् गीता के अवतरण दिवस के रुप में मनाई …
Read More »व्यक्ति स्वतंत्रता एवं व्यक्ति विकास के पक्षधर दलितों के मसीहा : डॉ बाबा साहेब आम्बेडकर
स्वतंत्रता पूर्व के कालखंड में महात्मा गांधी एवं डॉ बाबा साहेब अम्बेडकर का प्रभावशाली व्यक्तित्व राजनीतिक शक्तियों तथा समाज सुधार का प्रतिबिंब था। दोनों ही नेतृत्व उच्च शिक्षित एवं अपनी राजनैतिक सामाजिक प्रतिबद्धता के साथ समाज के दलितो एवं वंचितों के सर्वांगीण विकास एवं उन्नति के लिए जीवनपर्यंत संघर्षरत रहे। …
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