टेसू के फ़ूलों एवं नगाड़ों का चोली-दामन का साथ है, जब टेसू फ़ूलते हैं तो अमराई में बौरा जाती है और नगाड़े बजने लगते हैं। पतझड़ का मौसम होने के कारण पहाड़ों पर टेसू के फ़ूल ऐसे दिखाई देते हैं जानो पहाड़ में आग लग गई हो। विरही नायिका के …
Read More »Monthly Archives: February 2019
पांच पैर वाला सुअर एवं सोनई डोंगर के योद्धा भाई
कथा कहानियों में से इतिहास निकल कर सामने आता है। एक बार की बात है, पलासिनी (जोंक) नदी के किनारे डूंडी शाह एवं कोंहंगी शाह नामक भाईयों ने आठ एकड़ भूमि पर चने की फ़सल उगाई थी। इस फ़सल को कोई जानवर रात्रि में आकर नष्ट कर जाता था। भाईयों …
Read More »जानिए बस्तर की जनजातीय भाषा भतरी एवं उसकी व्याकरणिक संरचना
बस्तर की जनजातीय अथवा लोक-भाषाओं की चर्चा करते हुए अनायास ही इन लोक भाषाओं में प्रचलित रही लोक कथाओं की सुध आ जाती है। और फिर जब लोक कथाओं की बात हो तो इन पर बात करते हुए मुझे अपनी नानी स्व. चन्द्रवती वैष्णव (खोरखोसा) और छोटे नाना स्व. तुलसीदास …
Read More »त्रिवेणी तीर्थ का राजिम कुंभ अब पुन्नी मेला
माघ पूर्णिमा को मेले तो बहुत सारे भरते हैं, परन्तु राजिम मेले का अलग ही महत्व है। राजिम को छत्तीसगढ़ का प्रयाग कहा जाता है, यहाँ पैरी, सोंढूर एवं महानदी मिलकर त्रिवेणी संगम का निर्माण करती हैं। भारतीय संस्कृति में जहाँ तीन नदियों का संगम होता वह स्थान तीर्थ की …
Read More »क्या बस्तर की वनवासी संस्कृति में पुनर्जन्म को मान्यता है?
बस्तर के वनवासियों की पहचान उनकी अद्भुत अलौकिक संस्कृति और मान्य परम्परायें हैं। जो पीढ़ी दर पीढ़ी हस्तान्तरित होकर यहाँ तक पहुँची है। भारतीय दर्शन की तरह आदिवासी समाज की भी मान्यता है कि पुनर्जन्म होता है। मृत्यु, सत्य और अटल है, जो जन्म लेता है उसकी मृत्यु होती है। …
Read More »कौन थे वे जिन्होंने मूर्तिपूजा प्रारंभ की एवं पूजा पद्धति का विकास कब हुआ?
विश्व में विभिन्न धर्मावलम्बी निवास करते हैं, सब निज धर्म का पालन करते हैं। ये धर्मावलम्बी दो भागों में बंटे हैं साकार और निराकार। साकार माने मूर्ति पूजक एवं निराकार माने प्रकृति पूजक। हमेशा विवाद इन दोनों में ही होते रहता है। लोगों में मन में जिज्ञासा यह रहती है …
Read More »ऐसा प्राचीन यंत्र जिसका प्रयोग वर्तमान में भी हो रहा है
सभ्यता के विकास के क्रम में मनुष्य ने आवश्यतानुसार जीवन एवं दैनिक कार्यों को सरल एवं सहज बनाने के लिए यंत्रों एवं उपस्करों का निर्माण किया। जैसे-जैसे आवश्यकता हुई एवं समझ विकसित हुई यंत्रों का अविष्कार हुआ। पुराविद कहते हैं कि गाड़ी के पहिये से पहले कुम्हार के चाक के …
Read More »देखिए हिंगलाज देवी की भादो जात्रा (वीडियो)
छत्तीसगढ़ के बस्तर अंचल की केशकाल घाटी के नीचे बीहड़ वन में गौरगांव से 6 किमी की दूरी पर हिंगलाज माता का स्थान है। यहाँ प्रतिवर्ष भादो जात्रा का आयोजन किया जाता है, जिसमें 56 गांव के सोरी कुल के आदिवासी भाग लेते हैं। देवी हिंगलाज पौराणिक परम्परा से आती …
Read More »कौन हैं वे लोग जिनका मानव समाज को सभ्य एवं उन्नत बनाने में महत्वपूर्ण योगदान है?
आदि मानव ने सभ्यता के सफ़र में कई क्रांतिकारी अन्वेन्षण किए, कुछ तो ऐसे हैं जिन्होने जीवन की धारा ही बदल दी। प्रथम अग्नि का अविष्कार था। सोचकर ही देखिए कि अग्नि का अविष्कार कितना क्रांतिकारी बदलाव लेकर आया तत्कालीन समाज में। अग्नि के अविष्कार के बाद मिट्टी में से …
Read More »जानिए कुंभ मेला कब से और क्यों भरता है?
बहरहाल पुनः प्राचीन नाम के साथ प्रयागराज के संगम तट पर कुंभ मेला शुरू हो चुका है और इस समय इसकी भव्यता और दिव्यता दोनों ही चर्चा का विषय बने हुये हैं। नाम परिवर्तन के आकर्षण मे अथवा अर्धकुंभ की व्यापकता को बढ़ाने के लिए अब यह सर्वत्र कुम्भ मेले …
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