कार्तिक एकादशी से छत्तीसगढ़ के गाँवों और नगरों की गलियों में उल्लास और आनंद से सराबोर राउतों की टोलियाँ अपने संग गड़वा बाजा की मनमोहक थाप पर झूमते-नाचते हुए जब निकलती हैं तब समझिये राउत समाज का देवारी पर्व प्रारंभ हो गया है। इस पर्व में राउत नाचा का आयोजन …
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राम वनगमन पथ की रामलीलाओं पर छत्तीसगढ़ का पहला संदर्भ ग्रंथ प्रकाशित
दक्षिण कोसल यानी प्राचीन छत्तीसगढ़ को मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम का ननिहाल माना जाता है। लोक प्रचलित मान्यता है कि इस अंचल में उनकी माता कौशल्या का मायका रहा है।इस नाते भगवान श्रीराम छत्तीसगढ़ वासियों के भांजे हुए। उनके साथ मामा -भांजा का यह रिश्ता सैकड़ों-हजारों वर्षों से यहाँ के …
Read More »इतिहास एवं पुरातत्व के आईने में महासमुंद
महासमुंद जिला बने 27 माह 25 दिन ही हुए थे कि राज्यों के पुनर्गठन पश्चात 01 नवंबर 2000 को छत्तीसगढ़ देश का 26वां राज्य बना। 06 जुलाई 1998 के पूर्व यह रायपुर जिले का एक तहसील हुआ करता था। 1873-74 में भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण के अधिकारी जे.डी. बेगलर जब मध्य …
Read More »गौधन अलंकरण एवं शृंगार : सुहई
भारतीय समाज में गोधन अलंकर एवं पूजा की परंपरा है। तदनुरूप राउत जाति के लोग भी गौ पूजा अलंकरण में विश्वास करते है। वृद्ध और युवा पीढ़ी के मध्य विचारों में किसी प्रकार का कोई परिवर्तन न आने के कारण दोनों पीढ़ियों के द्वारा समान रूप से परंपरागत ढंग से …
Read More »राष्ट्ररक्षा का भाव ही वनवासी समाज का मूल स्वभाव
“यदि मेरे पास शक्ति है तथा मैं इसका प्रयोग कर सकता हूँ तो मुझे धर्म-परिवर्तन को रोकना चाहिए। हिंदू परिवारों में मिशनरी के आगमन का अर्थ वेशभूषा, तौर-तरीके, भाषा, खान-पान में परिवर्तन के कारण परिवार का विघटन है।” -गांधीजी ‘हरिजन’, 5 नवम्बर 1935 स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव अर्थात 75 वीं …
Read More »धर्म-संस्कृति रक्षक भगवान बिरसा मुंडा
जनजातीय अधिकारों के लिए संघर्ष करने वाले भगवान बिरसा मुंडा का जन्म 15 नवम्बर को को झारखंड के जनजाति दम्पति सुगना और करमी के घर हुआ था। मुंडा समाज को जल, जमीन, जंगल का हक दिलाने के लिए संघर्ष करते-करते मात्र 25 वर्ष की आयु में लोगों ने उनको भगवान …
Read More »जनजातीय काव्य में वन जीवन की अभिव्यक्ति
किसी भी देश या प्रदेश के जनजातीय कविता को समझने के लिए उस देश की उस प्रदेश की लोक संस्कृति को जानना बहुत जरूरी होता है। हमारी संस्कृति अपनी भाषाओं और उपभाषाओं में बिखरी हुई है। हर राज्य की जनजातीय कविता भाषा और संस्कृति के आधार पर निहित है। यहां …
Read More »मनुष्य की पहचान उसके अच्छे गुणों से : गुरु नानक देव
कार्तिक पूर्णिमा गुरु नानक जयंती विशेष सिक्ख धर्म के संस्थापक आदि गुरु नानक देव जी मानवीय कल्याण के प्रबल पक्षधर थे। जिन्होंने समकालीन सामाजिक, राजनैतिक और धार्मिक परिस्थितियों की विसंगतियों, विडम्बनाओं, विषमताओं धार्मिक आडम्बरों , कर्मकांडों, अंधविश्वासों तथा जातीय अहंकार के विरुद्ध लोक चेतना जागृत की तथा इसके साथ ही …
Read More »आरोग्य का पर्व आंवला नवमी
प्रकृति के साथ मानव का जुड़ाव जन्मजात है, वह किसी न किसी रुप में प्रकृति के साथ जुड़ा रहना चाहता है। हिन्दू धार्मिक मान्यताएँ प्रकृति के साथ जुड़ी हुई हैं। सनातन धर्म प्रकृति के अनुरुप आचरण करना एवं जीना सिखाता है। प्रकृति के अनुरुप जीवन यापन करने के लिए आयुर्वेद …
Read More »छत्तीसगढ़ी भाषा और साहित्य : कितना पुराना है इतिहास?
छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना दिवस एक नवम्बर 2022 पर विशेष भारत के प्रत्येक राज्य और वहाँ के प्रत्येक अंचल की अपनी भाषाएँ, अपनी बोलियाँ, अपना साहित्य, अपना संगीत और अपनी संस्कृति होती है । ये रंग -बिरंगी विविधताएँ ही भारत की राष्ट्रीय पहचान है, जो इस देश को एकता के मज़बूत …
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