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राम वनगमन पथ की रामलीलाओं पर छत्तीसगढ़ का पहला संदर्भ ग्रंथ प्रकाशित

दक्षिण कोसल यानी प्राचीन छत्तीसगढ़ को मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम का ननिहाल माना जाता है। लोक प्रचलित मान्यता है कि इस अंचल में उनकी माता कौशल्या का मायका रहा है।इस नाते भगवान श्रीराम छत्तीसगढ़ वासियों के भांजे हुए। उनके साथ मामा -भांजा का यह रिश्ता सैकड़ों-हजारों वर्षों से यहाँ के लोक मानस में रचा -बसा है । यह भी लोक मान्यता है कि भगवान श्रीराम का वन गमन पथ छत्तीसगढ़ से होकर गुजरा है। शायद इन्हीं सब कारणों से छत्तीसगढ़ के अधिकांश गाँवों में स्थानीय ग्रामीणों की रामायण मण्डलियाँ हैं और उनके द्वारा दशहरा और चैत्र नवरात्रि के दौरान रामलीलाओं का भी मंचन किया जाता है। इन रामलीलाओं में स्थानीय कलाकारों की नाट्य प्रतिभा, संगीत और गायन प्रतिभा अपनी पूरी रंगत के साथ उभरकर सामने आती है।चैत्र नवरात्रि के दिनों में नवधा रामायण में इन रामायण मण्डलियों द्वारा तुलसीदास जी के रामचरित मानस का भी सस्वर प्रस्तुतिकरण होता है। राज्य के कई गाँवों में रामलीलाओं और रामायण मण्डलियों की परम्परा पीढ़ी -दर-पीढ़ी चली आ रही है। इसी कड़ी में छत्तीसगढ़ में राम वनगमन पथ की रामलीलाओं की इस परम्परा पर आधारित एक महत्वपूर्ण संदर्भ ग्रंथ का पहली बार प्रकाशन हुआ है।

यह संदर्भ ग्रंथ हिंदी के सुप्रसिद्ध लेखक और हमारे ब्लॉगर मित्र ललित शर्मा (Kumar Lalit ) के लगभग दो वर्षों के अनवरत परिश्रम का उत्साहवर्धक सुपरिणाम है। वे छत्तीसगढ़ के अभनपुर(जिला -रायपुर)के निवासी हैं । उन्होंने विभिन्न जिलों में स्वयं जाकर और वहाँ के लोगों से सम्पर्क कर रामायण मण्डलियों और रामलीलाओं के बारे में जानकारियाँ एकत्रित की। जहाँ उनका जाना नहीं हो पाया ,वहाँ के बारे में उन्होंने आंचलिक साहित्यकारों से आलेख लिखने का आग्रह किया। कुछ आलेख उन्होंने स्वयं लिखे । इस प्रकार उनके परिश्रम से यह ग्रंथ आकार ले पाया ,जिसे अयोध्या शोध संस्थान -संस्कृति विभाग ,उत्तरप्रदेश की ओर से नई दिल्ली के प्रतिष्ठित वाणी प्रकाशन द्वारा प्रकाशित किया गया है। इस ग्रंथ का मुद्रण थॉमसन प्रेस लिमिटेड ने किया है। अयोध्या शोध संस्थान द्वारा रामायण पर एक विशाल विश्वकोश बनाने की तैयारी की जा रही है। इसी सिलसिले में संस्थान ‘ग्लोबल इनसाइक्लोपीडिया ऑफ द रामायण’ के अपने अंतरराष्ट्रीय प्रोजेक्ट के तहत भाई ललित शर्मा को छत्तीसगढ़ की रामायण मण्डलियों और रामलीलाओं पर संदर्भ ग्रंथ तैयार करने का प्रोजेक्ट दिया था ,जिसे उन्होंने बख़ूबी पूर्ण कर दिखाया।

हालांकि काफी परिश्रम के बाद उन्होंने छत्तीसगढ़ के राम वनगमन पथ 18 जिलों की सामग्री संकलित की, उनका यह सराहनीय प्रयास इस महत्वपूर्ण संदर्भ ग्रंथ के रूप में हमारे सामने है। इसे एक शोध -ग्रंथ भी माना जा सकता है। लगभग 226 पृष्ठों के इस ग्रंथ में ललित जी के 7 महत्वपूर्ण आलेख हैं, जिनमें (1)आमुख (2) छत्तीसगढ़: एक दृष्टि (3) राम वन गमन मार्ग (4)नाट्य शास्त्र एवं लोक नाट्य रामलीला (5)रामलीला में प्रयुक्त तकनीक और बदलता हुआ स्वरूप (6)रामलीला में पात्र चयन, प्रयुक्त मुखौटे और वस्त्राभूषण आदि(7) छत्तीसगढ़ में रामकथा की व्याप्ति शामिल हैं।

अगले पृष्ठों पर राम वनगमन पथ के जिन 18 जिलों की रामायण मण्डलियों और रामलीलाओं के बारे में लेखकों के आलेख शामिल किए गए हैं, उनकी जानकारी इस प्रकार है –

(1) जिला -रायपुर के अंतर्गत ग्राम निनवा की रामलीला मंडली पर चोवाराम वर्मा ‘बादल’ , आरंग की रामलीला पर खिलावन राम लोधी और हसदा की रामलीला पर व्यास नारायण साहू का आलेख।

(2) जिला -धमतरी के अंतर्गत ग्राम अछोटा की रामलीला पर पीयूष कुमार , ग्राम सलोनी की रामलीला पर कुलदीप सिन्हा और नगरी -सिहावा की रामलीला पर विक्की सलूजा का आलेख।

(3) जिला -महासमुंद के अंतर्गत बागबाहरा कला की राम लीला मंडली पर सुनील कुमार शुक्ला , अमलोर की रामलीला मंडली पर भारत सिंह ध्रुव ,लहंगर की रामलीला पर राधेश्याम सिन्हा, बावनकेरा की रामलीला पर बन्धु राजेश्वर खरे ,ग्राम उखरा की रामलीला पर विजय कुमार शर्मा, ग्राम गड़बेड़ा की रामलीला पर प्रीत राम सूर्य का आलेख।

(4) बिलासपुर जिले के अंतर्गत सकरी की रामलीला पर हरिसिंह क्षत्री और कंचनपुर सरैहा की रामलीला पर उमेन्द्र सिदार का आलेख।

(5)जांजगीर चाम्पा जिले के अंतर्गत पकरिया-झुलन की रामलीला पर रमाकांत सिंह का आलेख ,

(6) जिला -कोरबा के अंतर्गत ग्राम जर्वे की श्रीशारदा रामलीला मंडली पर मंडली द्वारा दी गयी जानकारी ,ग्राम कोथारी की रामलीला पर पंचम दास वैष्णव और जमनीपाली की रामलीला पर मनहरण लाल कंवर का आलेख।

(7)रायगढ़ जिले के अंतर्गत कोसीर की रामलीला पर लक्ष्मीनारायण लहरे ,रायगढ़ शहर की रामलीला पर प्रताप सिंह खोडियार तथा पुसौर की रामलीला पर स्वराज्य करुण का आलेख।

(8) जिला कांकेर के अंतर्गत ग्राम चन्वाड़ की रामलीला पर रामविशाल दादरा और ग्राम बनसर की रामलीला पर पुरुषोत्तम जैन का आलेख,

(9)जिला -कोंडागाँव के अंतर्गत ग्राम अरंडी , मारंगपुरी और पिपरा की रामलीलाओं पर घनश्याम सिंह नाग के आलेख

(10) जिला -नारायणपुर के अंतर्गत बखरू पारा की रामलीला पर घनश्याम पटेल का आलेख।

(11) जिला बलौदाबाजार के अंतर्गत भाटापारा की रामलीला पर ललित शर्मा, ग्राम तुरमा की रामलीला पर तीजराम पाल और कसडोल की रामलीला पर अनुराग मिश्रा का आलेख।

(12)जिला गरियाबंद के अंतर्गत कोचवाय की श्रीराम कृष्ण लीला मंडली और ग्राम कुटेना-पांडुका की रामलीला मंडली पर रीझे यादव के दो आलेख।

(13) जिला बालोद के अंतर्गत ग्राम बेलोदी की सत्य साईं रामलीला मंडली पर लिखन राम साहू और ग्राम निपानी की रामलीला मंडली पर हलालकोर साहू का आलेख।

(14) जिला सरगुजा के अंतर्गत धौरपुर की रामलीला पर श्रीमती रेखा पाण्डेय का आलेख

(15) जिला कबीरधाम(कवर्धा)के अंतर्गत ग्राम इंदौरी की रामलीला पर सालिग राम साहू, ग्राम सूखाताल और पलानसरी की रामलीलाओं पर श्रीकांत उपाध्याय के दो आलेख।

(16) जिला -बस्तर (जगदलपुर)के अंतर्गत ग्राम दुबे उमर गाँव की रामलीला पर घनश्याम सिंह नाग

(17) जिला -बलरामपुर के अंतर्गत रामचंद्रपुर की रामलीला पर पीयूष कुमार।

(18)जिला मुंगेली के अंतर्गत सहसपुर -चिल्फी बंगला की रामलीला पर जगदीश कुमार साहू का आलेख।

ग्रंथ के सम्पादक और लेखक ललित शर्मा का कहना है कि इन जिलों की जिन रामलीलाओं और मण्डलियों का उल्लेख उपरोक्त आलेखों में हुआ है ,उनके अलावा और भी कई रामायण मण्डलियाँ वहाँ के गाँवों में हो सकती हैं, लेकिन बहुत परिश्रम और आग्रह के बावज़ूद कई गाँवों के बारे में लोगों से जानकारी नहीं मिल पायी। उम्मीद की जानी चाहिए कि अगले संस्करणों में सबके सहयोग से इस कमी को दूर किया जा सकेगा और यह संदर्भ ग्रंथ इससे भी वृहद रूप में सामने आएगा।
और अंत में …


रामायण विश्वकोश निर्माण के इस अंतरराष्ट्रीय प्रोजेक्ट पर करने के दौरान कई चुनौतियाँ भी सामने आयीं। अयोध्या शोध संस्थान के निदेशक श्री योगेन्द्र प्रताप सिंह की देखरेख में यह प्रोजेक्ट उत्साह के साथ चल रहा था, तभी कोरोना की चपेट में आने पर उनका निधन हो गया। कोरोना काल में कई वेबीनारों में उनके विद्वतापूर्ण विचार सुनने को मिलते थे। आज इस ग्रंथ के साथ उनकी भी याद आ रही है। उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि सहित छत्तीसगढ़ की रामलीलाओं पर यह आलेख प्रस्तुत है।

आलेख

श्री स्वराज करुण,
वरिष्ठ पत्रकार एवं ब्लॉगर रायपुर, छत्तीसगढ़

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One comment

  1. विवेक तिवारी

    अब्बड़ सुग्घर समीक्षा आप दूनो ल बधाई अऊ शुभकामनाएं भईया💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐

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