दक्षिण कोसल के प्राचीन मंदिरों में अलंकृत अप्सराओं की प्रतिमाएं स्थापित हैं, विभिन्न कालखंड के इन शिल्पों से हमें तत्कालीन सौंदर्य प्रसाधनों की जानकारी मिलती है। आभूषणों के अलंकरण के साथ वस्त्रालंकरण एवं केशगुंथन की विभिन्नता दिखाई देती है। प्राचीन से अद्यतन सौंदर्य अभिवृद्धि के उपायों पर दृष्टिपात करते हैं। …
Read More »Monthly Archives: July 2019
आज़ाद था, आज़ाद हूँ, आज़ाद ही मरूंगा
‘दे दी हमें आजादी बिना खड्ग बिना ढाल, साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल।’ यह गीत बचपन से सुनते आए थे। इस गीत के माध्यम से यह बताया गया है कि स्वतंत्रता की प्राप्ति अहिंसा से हुई। जब स्वतंत्रता की प्राप्ति अंहिसा से हुई तो क्या क्रांतिकारी बेवजह जान …
Read More »क्या आप जानते हैं तंत्र-मंत्र से गांव कब क्यों और कैसे बांधा जाता है?
सावन माह लगते ही सवनाही तिहार मनाने का समय आ गया। सावन के पहले रविवार से गाँव-गाँव में सवनाही मनाने का कार्य प्रारंभ हो चुका है। इस दौरान ग्रामवासी गाँव एवं खार (खेत) में स्थिति समस्त देवी-देवताओं की आराधना कर उन्हें प्रसन्न करने का यत्न करते हैं, जिससे गाँव में …
Read More »छत्तीसगढ़ राज्य आंदोलन को गति देने में निर्णायक भूमिका निभाने वाले डॉ .खूबचन्द बघेल
क्या लोग थे वो ,जिन्होंने अपनी पूरी ज़िन्दगी जनता के नाम कर दी और जो आजीवन आम जनता के हितों के लिए संघर्ष करते रहे ,जिन्होंने अपनी ज़िन्दगी का एक -एक पल देश और समाज की सेवा में लगा दिया ,जिन्होंने अपने संघर्षों से इतिहास बनाया और जिनका जीवन ही …
Read More »भारतीय प्रतिमा शिल्प पर कालखंड का प्रभाव
शिल्पकला में समय के अनुसार परिवर्तन दिखाई देता है। अगर हम निरीक्षण करते हैं तो छठवीं शताब्दी से लेकर अद्यतन यह परिवर्तन स्पष्ट दिखाई देता है। शिल्प के विषय में शिल्पकार निर्माण की स्वतंत्रता भी रखते तो शास्त्र सम्मत प्रतिमाओं का निर्माण भी करते थे। प्रतिमा शिल्प के वस्त्राभूषण अलंकरण, …
Read More »फ़ुल बक मुन की खगोलीय घटना देखिए छाया चित्रों में
दक्षिण कोसल में चंद्रग्रहण लगभग सभी स्थानों पर दिखाई दिया। खगोलीय घटना को दर्ज करने के लिए हमने अभनपुर में लुनर एक्लिप्स के चित्र लिए। यह चित्र खगोल शास्त्र के विद्यार्थियों के शोध के कार्य में सहयोगी होंगे। चंद्र ग्रहण प्रारंभ – Photo – 01.31 AM जब भी सूर्य ग्रहण …
Read More »जानिए ऐसे राजा के विषय में जिसकी शौर्य गाथाओं के साथ प्रेम कहानी सदियों से लोक में प्रचलित है
प्राचीन कथालोक में कई गाथाएं हैं, जो दादी-नानी की कथाओं का विषय रहा करती थी। अंचल में हमें करिया धुरवा, सिंघा धुरवा, कचना घुरुवा आदि कई कथाएं सुनाई देती हैं। ये तत्कालीन दक्षिण कोसल में छोटे राजा हुए हैं, जिनके पराक्रम की कहानियाँ जनमानस में आज भी प्रचलित हैं। यह …
Read More »बरषा काल मेघ नभ छाए, बीर बहूटी परम सुहाए
मानस में भगवान श्री राम, लक्ष्मण जी से कहते हैं – बरषा काल मेघ नभ छाए। गरजत लागत परम सुहाए। ग्रीष्म ॠतु की भयंकर तपन के पश्चात बरसात देवताओं से लेकर मनुष्य एवं चराचर जगत को सुहानी लगती है। वर्षा की पहली फ़ुहार के साथ प्रकृति अंगड़ाई लेती है और …
Read More »बस्तर का गोंचा महापर्व : रथ दूज विशेष
बस्तर अंचल में रथयात्रा उत्सव का श्रीगणेश चालुक्य राजवंश के महाराजा पुरूषोत्तम देव की जगन्नाथपुरी यात्रा के पश्चात् हुआ। लोकमतानुसार ओड़िसा में सर्वप्रथम राजा इन्द्रद्युम्न ने रथयात्रा प्रारंभ की थी, उनकी पत्नी का नाम ‘गुण्डिचा’ था। ओड़िसा में गुण्डिचा कहा जाने वाला यह पर्व कालान्तर में परिवर्तन के साथ बस्तर …
Read More »रींवा गढ़ का पुरातात्विक उत्खनन
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से 25 किमी की दूरी पर रींवा गढ़ में एक टीले का उत्खनन हो रहा है। यहाँ उत्खनन के द्वारा इतिहास की किताब के अज्ञात पृष्ठ अनावृत हो रहे हैं। खुरपी से खुरचकर धरती की परतों के नीचे छिपा इतिहास परतों से बाहर लाया रहा है। …
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