दक्षिण कोसल में चंद्रग्रहण लगभग सभी स्थानों पर दिखाई दिया। खगोलीय घटना को दर्ज करने के लिए हमने अभनपुर में लुनर एक्लिप्स के चित्र लिए। यह चित्र खगोल शास्त्र के विद्यार्थियों के शोध के कार्य में सहयोगी होंगे।
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जब भी सूर्य ग्रहण या चंद्रग्रहण होता है वैज्ञानिक इस अवधि में इन ग्रहों के लेकर विभिन्न शोध करते हैं। ग्रहण चढ़ते हुए एवं उतरते हुए बनने वाली कलाओं के प्रति जिज्ञासा होने के कारण मुझे ग्रहण काल के चित्र लेने का शौक है।
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इस बार यह खगोलीय घटना 16-17 जुलाई 2019 की दरम्यानी रात को घटित हुई। मैंने चंद्र के रंग में बदलाव देखने की दृष्टि से पहला चित्र रात आठ बजकर दस मिनट पर लिया था। उसके पश्चात दूसरा चित्र रात साढ़े बारह बजे। चंद्रग्रहण रात 1 बजकर 31 मिनट शुरू हो गया और मैं इसकी कलाओं के चित्र सुबह साढ़े चार बजे तक लेता रहा। ग्रहण की कुल अवधि 2.59 घंटे बताई गई थी।
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इसके पूर्व भी मै विगत सात साल से चंद्रग्रहण की फ़ोटोग्राफ़ी कर रहा हूँ, इसके साथ ही प्रतिमाह पूर्णिमा के चांद की फ़ोटो अवश्य लेता हूँ इससे पता चलता है कि किस माह में चांद कितने डिग्री पृथ्वी से घूमा हुआ दिखाई देता। प्रत्येक पूर्णिमा को चित्र लेने के बाद अध्ययन करने से पता चला कि चांद के एक बड़ा क्रेटर है वह अपनी जगह बदल लेता है। इस क्षेत्र के जानकार लोग इसके विषय में बता सकते है।
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जब लगभग एक तिहाई चंद्र ग्रास बन गया तब उसके बाद मैं डायमंड रिंग बनने की प्रतिक्षा में बैठा रहा। थोड़ी देर बाद देखा तो वहीं से चंद्रग्रहण मोक्ष की ओर बढ़ चुका था। तब मुझे स्पष्ट हुआ कि यह आंशिक चंद्रग्रहण है।
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खगोलशास्त्रियों पूर्व में बताया था कि यह पूरा चंद्र ग्रहण नहीं है, दरअसल, फुल बक मून का 65 फीसद पृथ्वी के अंब्र में प्रवेश किया। चंद्रग्रहण की यह घटना अपने आप ऐतिहासिक है। इस बार के चंद्र ग्रहण की दो खास बातें हैं। पहली यह कि 149 साल बाद गुरु पूर्णिमा के दिन चंद्र ग्रहण लगा है। गुरुपूर्णिमा के चांद को दुनिया में मून, मीड मून, राइप कॉर्न मून, बक मून और थंडर मून के नाम से भी जाना जाता है।
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आंशिक चंद्र ग्रहण तब होता है जब सूरज और चांद के बीच पृथ्वी घूमते हुए आती है, लेकिन वे तीनों एक सीधी लाइन में नहीं होते। ऐसी स्थिति में चांद की छोटी सी सतह पर पृथ्वी के बीच के हिस्से की छाया पड़ती है, जिसे अंब्र कहते हैं। चांद के बाकी हिस्से में पृथ्वी के बाहरी हिस्से की छाया पड़ती है, जिसे पिनम्ब्र कहते हैं। इस दौरान चांद के एक बड़े हिस्से में हमें पृथ्वी की छाया नजर आने लगती है।
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चंद्रग्रहण के चित्रों का आनंद लीजिए और ज्ञात हो कि अगला चंद्रग्रहण 10 जनवरी 2020 में होगा एवं इस वर्ष कुल चार चंद्र ग्रहण खगोल शास्त्री बता रहे हैं। दक्षिण कोसल की वेबसाईट पर आपको 2020 के भी चंद्रग्रहण देखने मिलेंगे।
आलेख एवं छायाचित्र
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ग़ज़ब भाई साहब ।
चंदा मामा और पृथ्वी पर उनके भांजे भांजियाँ धन्य हो गए ।
निकोन वालों को तो अपना ब्रांड एम्बेसडर घोषित कर देना चाहिए आपको बल्कि इस कैमरे की एड अब दुरबीन कैटेगरी में भी शुरू कर देनी चाहिए ।
बहुत अच्छी जानकारी और अद्भुत चित्र…. पूरी रात चाँद के घटते बढ़ते रूप को कैमरे में कैद करना सचमुच बड़े ही धैर्य और लगन का प्रतिफल है। बहुत आभार और धन्यवाद ….
हमेशा से ग्रहण को लेकर जिज्ञासा रही है।
वो अलग बात है की इतना ध्यान से ना देखा ना पड़ा,
पर आपकी पोस्ट के कारण कोशिश की देखने की कल रात,
आपकी फ़ोटोज़ मैं बेहद ख़ूबसूरत नज़र आ रहा है।
अद्भुत
कैसे घटना बडना आपने दिखलाया है।
👌🙏
धन्यवाद आपका इतनी अच्छी जानकारी के लिए
🙏🙏