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शिव द्वार का प्रहरी कीर्तिमुख

मंदिरों में एक ऐसा मुख दिखाई देता है, जो वहाँ आने वाले प्रत्येक भक्त के मन में कौतुहल जगाता है, वे उसे देखकर आगे बढ़ जाते हैं और मन में प्रश्न रहता है कि ऐसी भयानक आकृति यहाँ क्यों स्थापित की गई? फ़िर सोचते हैं कि शिवालयों में भयावह आकृति …

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संग्रहालय दिवस पर हुआ ऑनलाइन व्याख्यान का आयोजन

सेंटर फ़ॉर स्टडी ऑन होलिस्टिक डेवलपमेंट, रायपुर नामक संस्था एवं वेबपोर्टल दक्षिण कोसल टुडे के संयुक्त तत्वाधान में अंतरराष्ट्रीय संग्रहालय दिवस 18 मई 2020 सोमवार को सिसको वेबेक्स मीटिंगस् एप के माध्यम ऑनलाईन व्याख्यान का आयोजन किया गया जिसमें मुख्य वक्ता डॉ प्रवीण कुमार मिश्र, क्षेत्रीय निदेशक भारतीय पुरातत्त्व एवं …

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पद्मश्री विष्णु श्रीधर वाकणकर की मल्हार (छत्तीसगढ़) यात्रा : एक संस्मरण

बात तब की है जब छत्तीसगढ़ अविभाजित मध्यप्रदेश का हिस्सा था। उज्जैन में एक 1987 में शोध संगोष्ठी का आयोजन हुआ था। मेरे पिताजी स्वर्गीय श्री गुलाब सिंह ठाकुर जी और राष्ट्रपति पुरस्कृत शिक्षक स्वर्गीय श्री रघुनंदन प्रसाद पांडेय जी शिविर में भाग लेने और शोधपत्र वाचन करने उज्जैन गए …

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छत्तीसगढ़ में संग्रहालय : अंतर्राष्ट्रीय संग्रहालय दिवस विशेष

‘संग्रह’ न केवल मनुष्य वरन अनेक जीवों की आदिम प्रवृत्ति है। इस जैविक प्रवृत्ति का उदय कदाचित् जीवितता के लिये हुआ हो, किन्तु अन्य जीव-जन्तुओं की संचयी प्रवृत्ति जीवन की मूलभूत आवश्यकता ‘भोजन-वस्त्र-आवास’ के इर्द-गिर्द केन्द्रित रही जबकि मनुष्य के बौद्धिक विकास के साथ उसकी संचयी-वृत्ति ने अनेक महत्वपूर्ण आयामों …

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परिवार मनुष्य की प्रथम पाठशाला

अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस विशेष परिवार मनुष्य की प्रथम पाठशाला है यह एक ऐसी सामाजिक संस्था है जो सदस्यों के प्रेम, स्नेह एवं भाईचारा पूर्वक निर्वाहन करते हुए उनके आपसी सहयोग व समन्वय से क्रियान्वित होती है। सुसंस्कार, मर्यादा, सम्मान, समर्पण, आदर, अनुशासन आदि किसी भी सुखी-संपन्न एवं खुशहाल परिवार के …

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प्राचीन काल से अद्यतन सेवारत : नर्स दिवस विशेष

प्राचीन काल से परिचारक या परिचारिकाओं की सेवा लेने का चलन हमें प्रतिमा शिल्प एवं अन्य स्थानों में दिखाई देता है। देवी-देवताओं, राजा-महाराजाओं एवं तत्कालीन विशिष्ट नागरिक इनकी सेवा लेते थे। ये परिचारक और परिचारिकाएं प्राचीन काल में मंदिरों, देवालयों की भित्ति में अपना स्थान पाते रहे हैं। वर्तमान में …

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छत्तीसगढ़ में लोक नाट्य की विधाएं

छत्तीसगढ़ का लोकनाट्य मूलः ग्राम्य जन-जीवन और लोक कलाकारों का उत्पाद है। यह गाँवों से निकलकर नगरों और महा नगरों तक पहुँचा और ख्याति प्राप्त करते हुए एक लम्बी यात्रा की। छत्तीसगढ़ ही नहीं देश के अन्य प्रांतों के भी लोकनाट्य वाचिक परंपरा के ही उद्भव हैं। वाचिक परंपरा से …

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माताओं उठो ! विजय प्राप्त करो !!

महिलाओं को अपना समय व ऊर्जा, गप्पें हांकने में, अफवाहें फैलाने में, दूसरों का दोष निकालने में, भौतिक सम्पदा के लिए मुकाबला करने में, झूठा स्तर बनाए रखने में और घमण्ड इत्यादि में व्यर्थ नहीं गंवाना चाहिए। इससे चारों ओर अप्रसन्नता फैलेगी व ईर्ष्या का प्रादुर्भाव होगा। इन सब पर …

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दुखों से मुक्त होने का नया एवं सरल मार्ग दिखाने वाले भगवान बुद्ध

महात्मा बुद्ध का जन्म लगभग 2500 वर्ष पूर्व (563 वर्ष ई. पू.), हिन्दू पंचांग के अनुसार वैशाख पूर्णिमा को (वर्तमान में दक्षिण मध्य  नेपाल) की तराई में स्थित लुम्बिनी नामक वन में हुआ पिता का नाम – राजा शुद्धोधन उनकी माता का नाम – माया। बुद्ध के गर्भ में आते …

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