दक्षिण कोसल की रामलीला एवं उसका सामाजिक प्रभाव विषय पर एक दिवसीय वेब संगोष्ठी का आयोजन सेंटर फॉर स्टडी ऑन होलिस्टिक डेवलपमेंट छत्तीसगढ़ तथा ग्लोबल इनसाइक्लोपीडिया ऑफ रामायण उत्तर प्रदेश के संयुक्त तत्वाधान में दिनांक 19 जुलाई 2020 को हुआ। वेब संगोष्ठी में स्वागत उद्बोधन अयोध्या शोध संस्थान उत्तर प्रदेश …
Read More »जंगल सत्याग्रह 1930 की वर्षगांठ : हरेली तिहार
हरेली का त्यौहार छत्तीसगढ़ में प्राचीनकाल से धूमधाम से मनाया जाता है, इस दिन किसान अपने कृषि उपकरणों की पूजा के साथ देवताधामी को सुमरता है और बाल गोपाल गेड़ी चढ़कर उत्सव मनाते हैं। गांवों में इस दिन विभिन्न खेलकूदों का आयोजन किया जाता है। रोटी, पीठा, चीला के स्वाद …
Read More »छत्तीसगढ़ का हरेली तिहार और खेल की लोक परम्परा
लोक संस्कृति का वैभव लोक जीवन के क्रिया-व्यवहार में परिलक्षित होता है। यदि समग्र रूप से समूचे भारतीय लोक जीवन को देखें तो आँचलिकता व स्थानीयता के आधार पर, चाहे वह पंजाब हो, या असम हो, कश्मीर हो या केरल, महाराष्ट्र हो या पश्चिम बंगाल, गुजरात हो या राजस्थान, उत्तर …
Read More »छत्तीसगढ़ में पारंपरिक देहालेखन गोदना और अंतर्भाव
लोक-व्यवहार ही कालांतर में परंपराएँ बनती हैं और जीवन से जुड़ती चली जाती हैं। जब पीढ़ी-दर-पीढ़ी उनका निर्वाह किया जाता है तब वह आगे चलकर संस्कृति का हिस्सा बन जाती हैं। वास्तव में लोक-व्यवहार ही एक है जो कि संस्कृति को जीवंत स्वरूप प्रदान करती है। लोक-परंपराएँ यूँ ही नहीं …
Read More »सरगुजा के जनजातीय समाज पर रामायण का प्रभाव : वेबीनार रिपोर्ट
सरगुजा के जनजातीय समाज पर रामायण का प्रभाव विषय पर अंतरराष्ट्रीय वेबीनार का आयोजन इनसाइक्लोपीडिया ऑफ रामायण उत्तर प्रदेश एवं सेंटर फ़ॉर स्टडी ऑन होलिस्टिक डेवलपमेंट छत्तीसगढ़ के संयुक्त तत्वाधान में 12 जुलाई 2020 रविवार को सायं 6:30 से 8:30 बजे तक किया गया। इस वेबीनार का उद्घाटन उद्बोधन अयोध्या …
Read More »दक्षिण कोसल की संस्कृति में पैली-काठा का महत्व
दक्षिण कोसल (छत्तीसगढ़) प्रांत प्राचीनकाल से दो बातों के लिए प्रसिद्ध है, पहला धान की खेती और दूसरा माता कौसल्या की जन्मभूमि याने भगवान राम की ननिहाल। यहाँ का कृषक धान एवं राम, दोनों से जुड़ा हुआ है। यहाँ धान की खेती प्रचूर मात्रा में होती है, इसके साथ ही …
Read More »हिन्दी ग़ज़ल का संक्षिप्त इतिहास एवं नवछंद विधान “हिंदकी”
हिन्दी ग़ज़लों का इतिहास बहुत पुराना है। जिस तरह आज की उर्दू ग़ज़लों का विकास एक बहर वाली कविता, जिसे अरबी में बैत एवं फ़ारसी में शेर कहते हैं के साथ शुरू हुआ था, ठीक उसी तरह हिन्दी ग़ज़लों का विकास भी दोहेनुमा कविता से शुरू हुआ था। हिन्दी ग़ज़ल …
Read More »प्रकृति की अनुपम भेंट कांगेर वैली एवं उसकी अद्भुत गुफ़ाएं
कांगेर वैली राष्ट्रीय उद्यान छत्तीसगढ़ प्रदेश के बस्तर जिले के जिला मुख्यालय जगदलपुर में स्थित है। राष्ट्रीय उद्यान को कांगेर नदी से अपना नाम मिलता है, जो उत्तर-पश्चिम से दक्षिण पूर्व दिशा में केंद्र से बहती है। वर्ष 1982 में वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम 1972 के तहत राष्ट्रीय उद्यान अधिसूचित किया …
Read More »छत्तीसगढ़ के अलिखित साहित्य में रामकथा : वेबीनार रिपोर्ट
ग्लोबल इन्सायक्लोपीडिया ऑफ रामायण उत्तर प्रदेश एवं सेंटर फ़ॉर स्टडी ऑन होलिस्टिक डेवलपमेंट छत्तीसगढ़ के संयुक्त तत्वाधान में दिनाँक 5/7/2020 को शाम 7:00से 8:30 बजे के मध्य “छत्तीसगढ़ के अलिखित साहित्य में रामकथा” विषयक अंतर्राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन हुआ। जिसमें उद्घाटन उद्बोधन डॉ योगेन्द्र प्रताप सिंह जी, संचालक अयोध्या शोध …
Read More »भगवा ध्वज को गुरु का दर्जा : गुरु पूर्णिमा विशेष
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने भगवा ध्वज को अपना गुरू माना है तथा गुरू पूर्णिमा के अवसर पर देश भर में गुरू दक्षिणाओं के कार्यक्रम होते हैं। प्रश्न यह है कि संघ ने भगवा धवज को ही अपना गुरू क्यों माना है? गुरु दक्षिणा संघ की प्रत्येक शाखा ‘व्यास पूर्णिमा’/ गुरू …
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