‘संग्रह’ न केवल मनुष्य वरन अनेक जीवों की आदिम प्रवृत्ति है। इस जैविक प्रवृत्ति का उदय कदाचित् जीवितता के लिये हुआ हो, किन्तु अन्य जीव-जन्तुओं की संचयी प्रवृत्ति जीवन की मूलभूत आवश्यकता ‘भोजन-वस्त्र-आवास’ के इर्द-गिर्द केन्द्रित रही जबकि मनुष्य के बौद्धिक विकास के साथ उसकी संचयी-वृत्ति ने अनेक महत्वपूर्ण आयामों …
Read More »परिवार मनुष्य की प्रथम पाठशाला
अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस विशेष परिवार मनुष्य की प्रथम पाठशाला है यह एक ऐसी सामाजिक संस्था है जो सदस्यों के प्रेम, स्नेह एवं भाईचारा पूर्वक निर्वाहन करते हुए उनके आपसी सहयोग व समन्वय से क्रियान्वित होती है। सुसंस्कार, मर्यादा, सम्मान, समर्पण, आदर, अनुशासन आदि किसी भी सुखी-संपन्न एवं खुशहाल परिवार के …
Read More »प्राचीन काल से अद्यतन सेवारत : नर्स दिवस विशेष
प्राचीन काल से परिचारक या परिचारिकाओं की सेवा लेने का चलन हमें प्रतिमा शिल्प एवं अन्य स्थानों में दिखाई देता है। देवी-देवताओं, राजा-महाराजाओं एवं तत्कालीन विशिष्ट नागरिक इनकी सेवा लेते थे। ये परिचारक और परिचारिकाएं प्राचीन काल में मंदिरों, देवालयों की भित्ति में अपना स्थान पाते रहे हैं। वर्तमान में …
Read More »छत्तीसगढ़ में लोक नाट्य की विधाएं
छत्तीसगढ़ का लोकनाट्य मूलः ग्राम्य जन-जीवन और लोक कलाकारों का उत्पाद है। यह गाँवों से निकलकर नगरों और महा नगरों तक पहुँचा और ख्याति प्राप्त करते हुए एक लम्बी यात्रा की। छत्तीसगढ़ ही नहीं देश के अन्य प्रांतों के भी लोकनाट्य वाचिक परंपरा के ही उद्भव हैं। वाचिक परंपरा से …
Read More »देश की अर्थव्यवस्था पर अंतराष्ट्रीय विशेषज्ञ श्री एस गुरुमूर्ति जी का वक्त्व LIVE
माताओं उठो ! विजय प्राप्त करो !!
महिलाओं को अपना समय व ऊर्जा, गप्पें हांकने में, अफवाहें फैलाने में, दूसरों का दोष निकालने में, भौतिक सम्पदा के लिए मुकाबला करने में, झूठा स्तर बनाए रखने में और घमण्ड इत्यादि में व्यर्थ नहीं गंवाना चाहिए। इससे चारों ओर अप्रसन्नता फैलेगी व ईर्ष्या का प्रादुर्भाव होगा। इन सब पर …
Read More »दुखों से मुक्त होने का नया एवं सरल मार्ग दिखाने वाले भगवान बुद्ध
महात्मा बुद्ध का जन्म लगभग 2500 वर्ष पूर्व (563 वर्ष ई. पू.), हिन्दू पंचांग के अनुसार वैशाख पूर्णिमा को (वर्तमान में दक्षिण मध्य नेपाल) की तराई में स्थित लुम्बिनी नामक वन में हुआ पिता का नाम – राजा शुद्धोधन उनकी माता का नाम – माया। बुद्ध के गर्भ में आते …
Read More »देवऋषि नारद : लोक-कल्याण संचारक और संदेशवाहक
भारतवर्ष का हिमालय क्षेत्र सदैव से ऋषि-मुनियों तथा संतों को आकर्षित करने वाला रहा है। ऋषि अष्टावक्र, देवऋषि नारद, महर्षि व्यास, परसुराम, गुरु गोरखनाथ, मछिंदरनाथ इत्यादि ने हिमालय को अपनी साधना हेतु चुना। अतएव हिन्दू संस्कृति में देवऋषि नारद का शास्त्रों में वर्णन मिलता है कि वे ब्रह्मा जी के …
Read More »रामचरित मानस में वर्णित ॠषि मुनि एवं उनके आश्रम
भारत सदैव से ऋषि मुनियों की तपो भूमि रहा, उनके द्वारा विभिन्न ग्रंथों की रचना की गई। उन्होंने ही हिमालय के प्रथम अक्षर से हि एवं इंदु को मिला कर भारत को हिंदुस्तान नाम दिया। हिन्दू धर्म ग्रंथों के दो भाग श्रुति और स्मृति हैं। श्रुति सबसे बड़ा ग्रन्थ है …
Read More »अद्भुत मेधाशक्ति सम्पन्न पुराविद : पद्मश्री श्री विष्णु श्रीधर वाकणकर
जन्म शताब्दी विशेष लेख आज हम पद्मश्री श्री विष्णु श्रीधर वाकणकर जी जिसे हम हरिभाऊ के नाम से भी जानते हैं, की जन्मशताब्दी मना रहें हैं। इस महामना का जन्म आज ही के दिन ४ मई १९१९ को मध्यप्रदेश के नीमच नामक स्थान पर हुआ था। आपके माता जी श्रीमती …
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