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दक्षिण कोसल के प्रागैतिहासिक काल के शैलचित्र

प्रागैतिहासिक काल के मानव संस्कृति का अध्ययन एक रोचक विषय है। छत्तीसगढ़ अंचल में प्रागैतिहासिक काल के शैलचित्रों की विस्तृत श्रृंखला ज्ञात है। पुरातत्व की एक विधा चित्रित शैलाश्रयों का अध्ययन है। चित्रित शैलाश्रयों के चित्रों के अध्ययन से विगत युग की मानव संस्कृति, उस काल के पर्यावरण एवं प्रकृति …

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चरैवेति है मंत्र हमारा

जो बढ़ते जाते हैं प्रतिदिन, वे चरण हमारे हैं। श्रम से हमने इस जगती के भाग सँवारे हैं।। चरैवेति है मंत्र हमारा, यही है सुख का धाम।सतकर्मों का लक्ष्य हमारा, रखे हमें अविराम। मत समझो तुम राख हमें, जलते अंगारे हैं। जो प्रतिदिन बढ़ते जाते,वे चरण हमारे हैं।श्रम से हमने …

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आस्था और विश्वास का केन्द्र : नर्मदा

सदियों से भारत अनेक संस्कृतियों का सगम स्थल रहा है। विभिन्न संस्कृतियाँ यहां आईं, पुष्पित, पल्लवित हुई और भारतीय संस्कृतियों का संगम स्थल रही। धार्मिक व ऐतिहासिक दृष्टि से प्रसिध्द हुई और अपने साथ आज भी किसी न किसी कहानी को लिए हुए उस युग का गौरवगान कर रही है। …

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पुसौर के धातु शिल्पकार एवं बर्तन उद्योग

किसी ज़माने में राजे -महाराजे भले ही सोने -चाँदी के बर्तनों में भोजन करते रहे हों, लेकिन उस दौर में सामान्य प्रजा के घरों में काँसे और पीतल के बर्तनों का ही प्रचलन था। आधुनिक युग में भी अधिकांश भारतीय घरों में काँसे और पीतल के बर्तनों की खनक लम्बे …

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लोक देवता करमपाठ

आदिकाल से ग्रामदेव डीह-डिहारिन आदि दैवीय शक्तियों की विशेष कृपा दृष्टि, अनुकम्पा जन सामान्य पर बनी रहती थी और आज़ भी बनी रहती है। एक खास अवसर पर इन देवी-देवताओं की पूजा आराधना श्रृद्धालु ग्रामवासियों द्वारा की जाती है। ऐसा ही एक देवस्थान लखनपुर- मुख्यालय से महज तीन किमी की …

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उठो-उठो ऐ सोने वालों, तुम्हें जगाने आये हैं।

राष्ट जागरण धर्म हमारा, वही निभाने आये हैं।उठो-उठो ऐ सोने वालों, तुम्हें जगाने आये हैं। दुश्मन ताक रहा है, छोर पार वो बैठा है।ललचाया सा उसका मुँह है, देखो कैसे ऐंठा है।नीयत उसकी ठीक नही है, तुम्हें बताने आये हैं।1। राष्ट जागरण धर्म हमारा, वही निभाने आये हैं।उठो-उठो ऐ सोने …

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​मध्यकालीन अंधकार में प्रकाश स्तंभ गुरु नानकदेव

एक राष्ट्र के रूप में भारत ने आज तक की अपनी निंरतर ऐतिहासिक यात्रा में अनेक उतार-चढ़ाव देखे हैं। इतिहास बताता है कि देश के सांस्कृतिक-आध्यात्मिक आधार के कारण किसी एक आध्यात्मिक विभूति की उपस्थिति ने समाज को पतन से उबारा है। तत्कालीन समाज में व्याप्त अज्ञानता, रूढ़ि और कर्मकांड …

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छत्तीसगढ़ का सीतानदी अभयारण्य

सीतानदी अभयारण्य की स्थापना 1974 में हुई थी एवं इसका क्षेत्रफ़ल 553 .36 वर्ग किमी है। यहाँ की विशेषताओं में 1600 मिलीमीटर वार्षिक वर्षा, तापमान न्यूनतम 8.5 से अधिकतम 44.5 डिग्री सेल्सियस पर रहता है। सीतानदी के आधार पर अभयारण्य को सीतानदी नाम दिया गया है। जो कि अभयारण्य में …

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पंजाब की संत परम्परा के प्रथम संत : संत नामदेव

धर्मभुमि भारत में मानव जाति को मार्गदर्शन देने के लिए समय – समय पर संत धरती पर अवतरित होते रहते हैं जो अपने ज्ञान से लोगों का मार्गदर्शन करते हैं तथा उन्हें जीवन की सही राह बताते हैं। ये संत किसी जाति विशेष के न होकर पूरी मानव जाति के …

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ईसाई षड़यंत्रों के लिए बड़ी चुनौती थे भगवान बिरसा मुंडा

जनजातीय गौरव दिवस विशेष आलेख वन में रहनेवाले जनजातियों (वनवासियों) को एकत्र कर अंग्रेजी शासकों के दमनकारी एवं कठोर कानून के खिलाफ व्यापक आंदोलन चलाने वाले बिरसा मुंडा आज अपने अनुयायियों के बीच ‘भगवान’ के रूप में पूजे जाते हैं और देशभर में उन्हें वनवासियों का प्रेरणाप्रद नेता माना जाता …

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