विभाजन विभिषिक स्मृति दिवस 14 अगस्त : विशेष आलेख देश का विभाजन एक अमानवीय त्रासदी थी जो अपने साथ भारतवर्ष का दुर्भाग्य भी लेकर आई थी। विश्व इतिहास के किसी दौर में ऐसा कोई दूसरा उदाहरण नहीं है कि आप आजादी के लिए संघर्ष करें, आंदोलन चलाएं और जब आजाद …
Read More »छत्तीसगढ में मित्रता का प्राचीन पर्व
पौराणिक काळ से ही देवी देवताओ की पूजा, प्रकृति के रूप में किसी न किसी पेड पौधे , फळ फुल आदि के रूप में पुरी आस्था के साथ किया जाता है। इसी पर आधारित ग्रामीण आंचलो में भोजली बोने की परंपरा पुरे श्रद्धा के साथ किया जाता है। श्रावण मास …
Read More »विराट भारत का महा संकल्प दिवस : श्रावणी पर्व
भारत की कृषिप्रधान और ऋषि परम्परा की संस्कृति में त्योहारों और पर्व उत्सवों का विशेष महत्वपूर्ण स्थान प्राचीन काल से ही रह है। यहां बाराहोमास ऋतु, तिथि, कर्म, धर्मानुसार पर्व और उपासना का विशेष महत्व रहा है ताकि जीवन मे रंग और उत्स बना रहे यद्यपि कुछ पर्वों के मनाने …
Read More »नारी पर केन्द्रित बस्तर की महागाथा लछमी जगार
बस्तर अंचल अपनी सांस्कृतिक सम्पन्नता के लिए देश ही नहीं, अपितु विदेशों में भी चर्चित है। क्षेत्र चाहे रुपंकर कला का हो या कि प्रदर्शनकारी कलाओं या फिर मौखिक परम्परा का। प्रकृति के अवदान को कभी न भुलाने वाला बस्तर का जन मूलत: प्रकृति का उपासक है। उसके सभी पर्वों …
Read More »नागों का उद्भव एवं प्राचीन सभ्यताओं पर प्रभाव
नागपंचमी विशेष आलेख प्राचीनकाल में नागों की सत्ता पूरी दुनिया पर थी, जिसके प्रमाण हमें आज भी मिलते हैं। भूगोल की शायद ऐसी कोई संस्कृति या सभ्यता न हो जहाँ नागों का वर्चस्व या प्रभाव न दिखाई देता हो। चाहे भारतीय संस्कृति/सभ्यता हो, चाहे माया सभ्यता हो चाहे मिश्र की …
Read More »पर्यावरण संरक्षण का संदेश देता हरेली तिहार
प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त कर करने के लिए छत्तीसगढ़ में मनाया जाता है हरेली का त्यौहार। छत्तीसगढ़ का पहला त्यौहार हरेली सावन मास की अमावस्या को मनाया जाता है। खेती किसानी का काम जब संपन्न हो जाता है और इस दिन कृषि औजारों को साफ कर उनकी पूजा की …
Read More »छत्तीसगढ़ में चौमासा
जेठ की भीषण तपन के बाद जब बरसात की पहली फ़ुहार पड़ती है तब छत्तीसगढ़ अंचल में किसान अपने खेतों की अकरस (पहली) जुताई प्रारंभ कर देता है। इस पहली वर्षा से खेतों में खर पतवार उग आती है तब वर्षा से नरम हुई जमीन पर किसान हल चलाता है …
Read More »छत्तीसगढ़ी साहित्य अउ साहित्यकार
एक हजार साल से भी पुराना है छत्तीसगढ़ी भाषा और साहित्य का इतिहास भारत के प्रत्येक राज्य और वहाँ के प्रत्येक अंचल की अपनी भाषाएँ, अपनी बोलियाँ, अपना साहित्य, अपना संगीत और अपनी संस्कृति होती है। ये रंग -बिरंगी विविधताएँ ही भारत की राष्ट्रीय पहचान है, जो इस देश को …
Read More »नृत्य, नाटक का विकास एवं सीता बेंगरा
मानव जीवन में नृत्य, अभिनय का महत्व हमें आदिमानवों की शरणस्थली शैलाश्रयों में चित्रित शैलचित्रों से ज्ञात होता है। हजारों हजार साल प्राचीन शैलचित्रों में आदिमानवों ने अपनी कला बिखेरते हुए तत्कालीन समय की गतिविधियों को चित्रित किया, जिससे हमें वर्तमान में उनके जीवन के विषय में ज्ञाता होता है। …
Read More »मानव इतिहास को सहेजती गोत्र प्रणाली
जो समाज अपने पूर्वजों के बारे में जानकारी नहीं रखता, अपने पुरखों की सांस्कृतिक विरासत का संरक्षण न कर उन्हें भूल जाता है ,वहां समाजीकरण में अत्यंत वीभत्स दृश्य पैदा होते है और अंततः विप्लप या आतंक का कारण बनते है। प्राचीन भारतीय मनीषी इस मनोवैज्ञानिक सत्य से भलीभांति परिचित थे …
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