शिकार द्वारा मनोरंजन वैदिक काल से समाज में विद्यमान रहा है एवं प्राचीन काल के मनोरंजन के साधनों का अंकन मंदिरों की भित्तियों में दिखाई देता है। मंदिरों की भित्तियों में अंकित मूर्तियों से ज्ञात होता है कि प्राचीन काल के समाज में किस तरह के मनोरंजन के साधन प्रचलित …
Read More »दक्षिण कोसल में मूर्तिकला का उद्भव एवं विकास
प्राचीन भारत में प्रतिमा तथा मूर्ति निर्माण की परंम्परा अत्यतं प्राचीन है, हड़प्पा सभ्यता की कला विश्व प्रसिद्ध है इसके बाद ऐतिहासिक काल के विभिन्न राजवंशों यथा मौर्य, शुगं, कुषाण, सातवाहन तथा गुप्त आदि ने कला को खूब पुष्पित एवं पल्लवित किया। पूर्व मध्य कालीन मूर्तिकला एवं प्रतिमा निर्माण की …
Read More »भारत के इतिहास से छेड़छाड़ : सत्य शोधन की आवश्यकता
काव्य मीमांसा में राजशेखर ने एक मत देते हुए कहा है कि- “इतिहास पुराणाभ्यां चक्षुर्भ्यामिव सत्कविः. विवेकांजनशुद्धाभ्यां सूक्ष्मप्यर्थमीक्षते !”अर्थात इतिहास लेखन में जितनी दक्षता और सतर्कता अपेक्षित होती है संभवतया उतनी अन्य विधाओं में प्रायः नही होती।” मेरे विचार में यह इतिहास के बारे में शत प्रतिशत सही वक्तव्य है …
Read More »शोषित नदियों की आँखों से, अश्रुधार झरते देखा
जीवनदात्री पर लोगों को, घोर जुल्म करते देखा है ।शोषित नदियों की आँखों से, अश्रुधार झरते देखा है । बड़े-बड़े बाँधों की बेड़ी, बँधी पाँव में सरिताओं के। ढोने को कचरे की ढेरी , सिर लादी नगरों- गाँवों के। रोग प्रदूषण का है जकड़ा, तिल-तिल कर मरते देखा है। शोषित …
Read More »छत्तीसगढ़ में भव्यता से मनाया जाने वाला पर्व : रथयात्रा
छत्तीसगढ़ में रथयात्रा का पर्व धूमधाम से मनाया जाता है, यह पर्व उड़ीसा एवं छत्तीसगढ़ राज्य की सांझी संस्कृति की एक मिसाल के रुप में व्याप्त है। छत्तीसगढ़ की संस्कृति में रथयात्रा पर्व उतना ही महत्व रखता है, जितना उड़ीसा की संस्कृति में। यहाँ प्राचीन काल से यह पर्व उल्लासपूर्वक …
Read More »प्रेम का प्रतीक अनूठा मंदिर
छत्तीसगढ़ में प्रेम को समर्पित एक प्राचीन मंदिर है, दक्षिण कोसल के शासक राजा हर्षगुप्त की स्मृति संजोए हुए महारानी वासटा देवी ने बनवाया था लक्ष्मण मंदिर। लगभग सोलह सौ साल पहले प्राचीन नगरी श्रीपुर में निर्मित मंदिर आज भी अपने अनुपम वैभव को समेटे हुए है। महारानी वासटा देवी …
Read More »छत्तीसगढ़ी कविताओं में मद्य-निषेध
शराब, मय, मयकदा, रिन्द, जाम, पैमाना, सुराही, साकी आदि विषय-वस्तु पर हजारों गजलें बनी, फिल्मों के गीत बने, कव्वालियाँ बनी। बच्चन ने अपनी मधुशाला में इस विषय-वस्तु में जीवन-दर्शन दिखाया। सभी संत, महात्माओं, ज्ञानियों और विचारकों ने शराब को सामाजिक बुराई ही बताया है। छत्तीसगढ़ी कविताओं में मदिरा का गुणगान …
Read More »महिला सशक्तिकरण की मिसाल वीरांगना रानी दुर्गावती
‘‘यत्र नार्यस्तु पूजयंते, रमंते तत्र देवता,‘‘ अर्थात जहाँ नारी का सम्मान होता है वहाँ देवताओं का वास होता है। भारतीय संस्कृति में नारी को देवी का स्थान दिया गया है। देश में माँ दुर्गा को शक्ति की देवी, लक्ष्मी को धन की देवी, सरस्वती को विद्या और ज्ञान की देवी …
Read More »योग मानव जाति के लिए संजीवनी
भारतीय मनीषियों एवं ॠषियों ने मन की एकाग्रता एवं शरीर के सुचारु संचालन के लिए योग जैसे शक्तिदायक क्रिया की प्रादुर्भाव किया। जिसका उन्होंने पालन कर परिणाम जग के समक्ष रखा तथा इसे योग का नाम देकर विश्व के मनुष्यों को निरोग, स्वस्थ एवं बलशाली बनाने का रसायन दिया। वर्तमान …
Read More »छत्तीसगढ़ में पत्रकारिता के युग प्रवर्तक साहित्यकार पण्डित माधवराव सप्रे
सच्चाई की धार पर चलने वाली पत्रकारिता का रास्ता हमेशा से ही काफी चुनौतीपूर्ण रहा है। देश और समाज की भलाई के लिए उच्च आदर्शो के साथ किसी पत्र – पत्रिका के सम्पादन और प्रकाशन में कितनी दिक्कतें आती हैं, इसे पण्डित माधवराव सप्रे जैसे मनीषी पत्रकार की संघर्षपूर्ण जीवन …
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