नदी-कछार, जंगल-पहार, खेत-खार, पशु-पक्षी यानी कि प्रकृति ने मेरे बालमन को सदैव अपनी ओर आकर्षित किया है। 40 वर्षों तक पढ़ते-पढ़ाते स्कूल में बच्चों के बीच रहा। सेवा-निवृत्ति के बाद आज भी मेरे अंतस मे बाल स्वभाव नित हिलोरें लेता है। बच्चों को देखकर मन स्मृतियों में खो जाता है। …
Read More »नरोधी नर्मदा जहाँ झिरिया से बुलबुलों में निकलता है जल
लोक गाँवों में बसता है। इसलिए लोक जीवन में सरसता है। निरसता उससे कोसों दूर रहती है। लोक की इस सरसता का प्रमुख कारण, प्रकृति से उसका जुड़ाव है। लोक प्रकृति की पूजा करता है। आज भी गाँवों में जल को वह चाहे नदी हो, या तालाब का, किसी झरने …
Read More »रमणीय बुजबुजी एवं नथेला दाई
प्रकृति बड़ी उदार है। प्रकृति के सारे उपादान लोक हित के लिए हैं। नदी जल देती है। सूरज और चांँद प्रकाश देते हैं। पेड़ फूल, फल और जीवन वायु देते हैं। प्रकृति का कण-ंउचयकण लोक हितकारी है। इसलिए प्रकृति और पर्यावरण को सुरक्षित रखना हमारी जिम्मेदारी है। परन्तु अपने कर्तव्यों …
Read More »छत्तीसगढ़ का सीतानदी अभयारण्य
सीतानदी अभयारण्य की स्थापना 1974 में हुई थी एवं इसका क्षेत्रफ़ल 553 .36 वर्ग किमी है। यहाँ की विशेषताओं में 1600 मिलीमीटर वार्षिक वर्षा, तापमान न्यूनतम 8.5 से अधिकतम 44.5 डिग्री सेल्सियस पर रहता है। सीतानदी के आधार पर अभयारण्य को सीतानदी नाम दिया गया है। जो कि अभयारण्य में …
Read More »एक ऐसा स्थान जहाँ के पत्थर बोलते हैं
भारत में बहुत सारे स्थान ऐसे हैं जहाँ बोलते हुए पत्थर पाये जाते हैं, पत्थरों पर आघात करने से धातु जैसी ध्वनि निकलती है। छत्तीसगढ़ के सरगुजा का ठिनठिनी पखना हो या कर्णाटक के हम्पी का विट्ठल मंदिर या महानवमी डिबा के पास का हाथी। इन पर चोट करने से …
Read More »बस्तर की प्राचीन राजधानी बड़ेडोंगर
बस्तर का प्रवेश द्वार केशकाल आपको तब मिलेगा जब आप बारा भाँवर (बारह मोड़ों) पर चक्कर काटते हुए पहाड़ पर चढेंगे। केशकाल क्षेत्र में अनेक प्राकृतिक झरने, आदि-मानव द्वारा निर्मित शैलचि़त्र, पत्थर से बने छैनी आदि प्रस्तर युगीन पुरावशेष यत्र-तत्र बिखरे पड़े हैं। साल वृक्षों का घना जंगल, ऊँची- ऊँची …
Read More »प्रकृति का अजूबा मंडीप खोल : छत्तीसगढ़
प्रकृति ज्ञान और आनंद का स्रोत है। प्रकृति मनुष्य को सदैव अपनी ओर आकर्षित करती है। प्रकृति के आकर्षण ने मनुष्य की जिज्ञासा व उत्सुकता को हरदम प्रेरित किया है। इसी प्रेरणा के फलस्वरूप मनुष्य प्रकृति के रहस्यों को जान-समझ कर ही ज्ञानवान बना है। प्रकृति के हर उपादान उसे …
Read More »सुरही नदी के तीर देऊर भाना के पुरातात्विक अवशेष
गंडई की सुरही नदी सदानीरा है। बड़ी-बड़ी नदियाँ भीषण गर्मी में सूख जाती हैं, परन्तु सुरही नदी में जल प्रवाह बारहों महीने बना रहता है। सुरही नदी अपने उद्गम बंजारी से लेकर संगम कौहागुड़ी (शिवनाथ नदी) तक अनेकों पुरातातविक स्थलों को अपने आँचल में सेमेटी हुई है। गंडई अंचल अपनी …
Read More »प्राकृतिक सुषमा से आच्छादित जिला जशपुर : पर्यटन
पर्यटन की दृष्टि से जशपुर जिला नैसर्गिक वातावरण से समृद्ध है, अगर निस्रर्ग के समीप कुछ दिन व्यतीत करना है तो आप जशपुर का चयन कर सकते हैं। जशपुर में सुंदर पाटों (पठारों) के वन एवं प्राकृतिक झरनों के साथ मंदिर देवाला भी हैं, जो कि पुरातात्विक महत्व के हैं, …
Read More »बस्तर के सितरम गाँव का मंदिर जहाँ नाग हैं विरासत के पहरेदार
बात सितरम गाँव की है जिसके निकट एक पहाड़ी टीले पर बस्तर की एक चर्चित प्राचीन परलकोट जमींदारी का किला अवस्थित था। यह स्थान वीर गेन्दसिंह की शहादत स्थली के रूप में भी जाना जाता है चूंकि यहीं एक इमली के पेड़ पर लटका कर आंग्ल-मराठा शासन (1819 से 1842 …
Read More »