हमारे देश भारत एवं विदेशों में भी आदि शक्ति जगतजननी मां जगदंबा शक्तिपीठों में विराजमान हैं। जहाँ उन्हें कई नाम एवं कई रूपों में बारहों महीने पूजा जाता हैं और चैत कुंवार के नवरात्रि में विशेष पूजा अर्चना की जाती है। जहां श्रद्धालु जन भारी संख्या में मनोकामना पूर्ति हेतु …
Read More »प्राचीन नगर चम्पापुर एवं चम्पई माता
छत्तीसगढ़ नाम से ही ध्वनित होता है कि यह गढ़ों का प्रदेश है। छत्तीसगढ़ में बहुत सारे गढ़ हैं जो विभिन्न जमीदारों एवं शासकों के अधीन रहे हैं, जिनका प्रमाण हमें अभी तक मिलता है। इन गढ़ों में तत्कालीन शासकों द्वारा पूजित उनकी कुलदेवी की जानकारी भी मिलती है। ऐसा …
Read More »जहाँ प्रतिदिन भालू उपस्थिति देते हैं : मुंगई माता
हमारे गाँव के बड़े बुजुर्गों ने जब से होश संभाला तब उन्होंने देखा कि उनके पूर्वज ग्राम की पहाड़ी पर पूजन सामग्री लेकर आदि शक्ति मां जगदम्बा भवानी की नित्य पूजा अर्चना करते रहते हैं और अपने ग्राम्य जीवन की सुख-शांति, खुशहाली की कामना करते हैं। आज भी इसी रीति …
Read More »लोकदेवी पतई माता
भारत में प्रकृति रुपी देवी देवताओं पूजा सनातन काल होती आ रही है क्योंकि प्रकृति के साथ ही जीवन की कल्पना की जा सकती है, प्रकृति से विमुख होकर नहीं। भारत देश का राज्य प्राचीन दक्षिण कोसल वर्तमान छत्तीसगढ़ और भी अधिक प्रकृति के सानिध्य में बसा है। प्राचीन ग्रंथों …
Read More »नवागाँव वाली छछान माता
छछान माता नवागांव वाली भी आदि शक्ति मां भवानी जगतजननी जगदम्बा का रूप और नाम है। छछान माता छत्तीसगढ़ प्रान्त के जिला महासमुंद मुख्यालय से तुमगांव स्थित बम्बई कलकत्ता राष्ट्रीय राजमार्ग पर महासमुंद से लगभग 22 किलोमीटर दूरी पर सीधे हाथ की ओर लगभग 300 फीट ऊंची पहाड़ी पर स्थित …
Read More »शक्ति का उपासना स्थल खल्लारी माता
छत्तीसगढ़ अंचल की शाक्त परम्परा में शक्ति के कई रुप हैं, रजवाड़ों एवं गाँवों में शक्ति की उपासना भिन्न भिन्न रुपों में की जाती है। ऐसी ही एक शक्ति हैं खल्लारी माता। खल्लारी में माता जी की पूजा अर्चना तो प्रतिदिन होती ही है चैत और कुआंर कि नवरात्रि में …
Read More »छत्तीसगढ़ी संस्कृति में मितान परम्परा
“जाति और वर्ग भेद समाप्त कर सामाजिक समरसता स्थापित करने वाली परम्परा” जग में ऊंची प्रेम सगाई, दुर्योधन के मेवा त्यागे, साग बिदूर घर खाई, जग में ऊंची प्रेम सगाई। जीवन में प्रेम का महत्व इतना होता है कि वह मनुष्य की जीवन लता को सींचता है और पुष्ट कर …
Read More »दक्षिण कोसल की संस्कृति में पैली-काठा का महत्व
दक्षिण कोसल (छत्तीसगढ़) प्रांत प्राचीनकाल से दो बातों के लिए प्रसिद्ध है, पहला धान की खेती और दूसरा माता कौसल्या की जन्मभूमि याने भगवान राम की ननिहाल। यहाँ का कृषक धान एवं राम, दोनों से जुड़ा हुआ है। यहाँ धान की खेती प्रचूर मात्रा में होती है, इसके साथ ही …
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