हमारे गाँव के बड़े बुजुर्गों ने जब से होश संभाला तब उन्होंने देखा कि उनके पूर्वज ग्राम की पहाड़ी पर पूजन सामग्री लेकर आदि शक्ति मां जगदम्बा भवानी की नित्य पूजा अर्चना करते रहते हैं और अपने ग्राम्य जीवन की सुख-शांति, खुशहाली की कामना करते हैं। आज भी इसी रीति परम्परा से ग्राम बावनकेरा के निकट मुंगई माता जी की पूजा अर्चना करते चले आ रहे हैं।
मुंगई माता को भी आदिशक्ति माँ दुर्गा का ही रूप माना जाता हैं। वर्तमान में भी श्रद्धालुजन अत्यधिक संख्या में पूर्वजों की तरह माता मुंगई की पूजा अर्चना करते हैं। ग्राम के बुजुर्ग भी बताते हैं कि आदिकाल से उन्होंने अपने बुजुर्गो को भी यहीं पूजा करते देखा और स्वयं भी माता की पूजा में लग गये और यही जिम्मेदारी अपनी अगली पीढ़ी को दे रहे हैं। माता मुंगई की पूजा अर्चना कब से प्रारंभ हुई होगी यह निश्चित कर पाना मुश्किल है।
माता मुंगई का मंदिर छत्तीसगढ़ प्रान्त के जिला महासमुंद से 40 किलोमीटर दूर मुंबई कोलकाता राष्ट्रीय राजमार्ग पर झलप जाते समय दाहिने हाथ की ओर बावनकेरा से लगा हुआ पहाड़ी पर लगभग 200 फीट ऊंचाई पर स्थित है। यहाँ दर्शन करने पहुँचने के लिए सार्वजनिक बस से या निजी सड़क वाहन से पहुंचा जा सकता है। मुंगई ग्राम मात्र 10 से 15 घर का छोटा सा वनवासी ग्राम है, जो माता जी के नाम पर ही बसा है।
मुंगई माता मंदिर पहाड़ी पर चढ़ने के लिए 216 पक्की सीढियां हैं । प्रत्येक सीढ़ी लगभग 10 इंच ऊंची आधा मीटर चौड़ी और 2 मीटर लम्बी हैं। मंदिर पर जो भक्त चढ़ पाने में अक्षम हैं, वे नीचे में ही राष्ट्रीय राजमार्ग पर के किनारे स्थित माता जी का दर्शन लाभ प्राप्त कर मनोकामना पूर्ण कर सकते हैं। चैत्र मास एवं कुंवार मास के नवरात्रि पर्व पर नीचे मंदिर एवं ऊपर मंदिर में मनोकामना पूर्ण ज्योति कलश स्थापना की जाती है और भक्तगण बड़ी संख्या में पूरी आस्था के साथ मांदर, मंजीरे की ताल पर माता जी का यशगान कर सेवा करते हैं, जिसे छत्तीसगढ़ में जसगीत कहा जाता है।
मुंगई माता मंदिर के नीचे भाग में पास के ही ग्राम फुलवारी के कृषक श्री लोधी परिवार के द्वारा भव्य राम जानकी मंदिर का नवनिर्माण किया गया है। बगल में माता जी का नाम लिखा हुआ भव्य स्वागत द्वार बना हुआ है। नीचे ही ग्रामीण पूजन सामग्री और अन्य जलपान की वस्तुओं के ठेले लगाए रहते हैं। यहीं नीचे वाली मुंगई माता स्थित हैं। ऊपर पहाड़ी पर मुख्य मुंगई माता मंदिर के साथ-साथ दुर्गा माता मंदिर, शिवलिंग, गुफा एवं ज्योति भवन स्थित है। सबसे ऊपर चोटी पर एक छोटा सा मंदिर है जहाँ पर अर्ध परिक्रमा करने का स्थान बनाया गया है। वहाँ से नीचे पहाड़ी एवं गांव तथा राष्ट्रीय राजमार्ग का बहुत ही खूबसूरत नजारा देखने को मिलता है। पहाड़ी पर अधिकतर सागौन के ऊंचे ऊंचे वृक्षों का जंगल हैं।
ग्राम जोरा निवासी 42 वर्षीय पुजारी श्री तामेश्वर वैष्णव जी एवं मां मुंगई माता मंदिर समिति के सदस्य 50 वर्षीय चिरको ग्राम निवासी श्री विनायक राव जी बताते हैं कि यह मंदिर ग्राम बावनकेरा, मुंगई, चिरको, दर्रीपाली, जोरा, छिन्दौली तथा फुलवारी इत्यादि गांवो के सदस्यों की समिति से संचालित होता है। सभी ग्राम के निवासियों पर माता जी के प्रति अगाध श्रद्धा होने के कारण सभी बढ़ चढ़कर सहयोग करते हैं। सर्वप्रथम श्री लखन बाबा यादव जो उड़ीसा प्रान्त के निवासी थे सर्वप्रथम ग्राम चिरको में आकर बसे थे, उन्होंने ही इस समिति को गठित किया था। समिति के वर्तमान अध्यक्ष श्री धर्मदास साहू जी हैं जो छिन्दौली ग्राम के निवासी हैं।
पुजारी जी यह भी बताते हैं कि पास के ही ग्राम चिरको में 84 ग्राम के मालगुजार श्री गणपत राव दानी जी हुए, जिनका वर्तमान में आदिकवि महर्षि वाल्मीकि जी की नगरी तुरतुरिया छत्तीसगढ़ में आश्रम है। उन्होंने आसपास के मंदिरों में बहुत अधिक जमीन एवं अन्य वस्तु दान की हैं।
माता चंडी मंदिर घुंचापाली की तरह ही मुंगई माता मंदिर में भी 4-5 भालुओं का आगमन शाम 4-5 बजे होता है। भक्त जन भालुओं के लिए फ्रूटी लाते हैं। भालू उसे बड़े चाव से पीते हैं। नवरात्रि के अलावा अन्य दिवस शाम 4 बजे के बाद पहाड़ी वाली मंदिर पर जाना मना हो जाता है क्योंकि भालू और अन्य जंगली जानवरों का खतरा बना रहता है। यहाँ के भालू जंगली होने के बाद भी बिल्कुल पालतू और अहिंसक बर्ताव किया करते हैं किन्तु उनका खतरा तो बना ही रहता है।
मुंगई माता पर भक्तों की आस्था और प्राकृतिक पहाड़ी, गुफा, जंगल, शहरी कोलाहल से दूर शान्ति मय मनोरम वातावरण, दर्शकों के मन को मोह लेता है। एक बार माताजी का दर्शन करने वाले को बार बार जाने का मन करता है। वर्तमान में मंदिर की व्यवस्थाओं का संचालन और निर्माण तथा श्रद्धालुओं के लिए अन्य सुविधाओं की व्यवस्था मात्र मंदिर सेवा समिति के सदस्यों और दानदाता श्रद्धालुओं के दान के भरोसे पर ही संचालित है।
मंदिर पुजारी श्री तामेश्वर वैष्णव जी एवं समिति सदस्य श्री विनायक राव जी का जानकारी के आधार पर लेख तैयार किया गया।
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