छछान माता नवागांव वाली भी आदि शक्ति मां भवानी जगतजननी जगदम्बा का रूप और नाम है। छछान माता छत्तीसगढ़ प्रान्त के जिला महासमुंद मुख्यालय से तुमगांव स्थित बम्बई कलकत्ता राष्ट्रीय राजमार्ग पर महासमुंद से लगभग 22 किलोमीटर दूरी पर सीधे हाथ की ओर लगभग 300 फीट ऊंची पहाड़ी पर स्थित हैं। माता जी दर्शन करने सार्वजनिक बस से या निजी सड़क वाहन से पहुंचा जाता है।
राष्ट्रीय राजमार्ग पर ही महासमुंद से मंदिर जाते समय दाहिने तरफ माताजी का नाम लिखा हुआ भव्य स्वागत द्वार है। स्वागत द्वार से ही सामने देखने पर सीमेंट निर्मित बहुत बड़ा गोलाकार ग्लोब निर्मित है। उसके उपर चार भुजाधारी शिवजी की मूर्ति बनाई गई है। स्वागत द्वार से ही मंदिर की अध निर्मित सीढियां दिखाई पड़ती हैं। सीढियां ऐसी है जिसमें खुले पत्थर रखे गए हैं जिससे माताजी के मंदिर तक पहुंचा जा सके।पहाड़ी से घूमकर एक और मार्ग है जो ढलान नुमा है जिस पर सीढ़ी नहीं है। पहाड़ी के नीचे ही शिवलिंग की चौड़ी है और भैरव बाबा का छोटा सा मंदिर है। पहाड़ी के ऊपर दानदाताओं के आर्थिक सहयोग से वर्तमान में भव्य मंदिर निर्माणाधीन है।
माता छछान माता मंदिर के आसपास पहाड़ी पर माता जी के विभिन्न रूप की मूर्ति छोटे छोटे मंदिर में स्थापित किये गये हैं। जिनमें काली माता, विंध्यवासिनी माता, पाताल भैरवी माता, बिलई माता, माता चंडी, भोलेनाथ, नाथल दाई, रतनपुर महामाया प्रमुख हैं। कई माताएं पहाड़ी के गुफाओं में विराजमान हैं। पहाड़ी पर बेल, कर्रा, भिरहा, सेनहा, धौरा के वृक्षों के प्राकृतिक जंगल विद्यमान हैं।
नवगांव निवासी 75 वर्षीय श्री मोहन निर्मलकर जी और 60 वर्षीय श्री दीवान सिंह पटेल (अघरिया पटेल) जी बताते हैं कि इस पर्वत पर छछान माता की पूजा अर्चना 100 वर्ष से भी पूर्व से हो रही है पर यहाँ पर चैत कुंवार नवरात्रि पर्व में ज्योति कलश स्थापना 2000 ई. से अनवरत जारी है। तब से पुजारी श्री दीवान सिंह पटेल जी सेवारत हैं। सम्पूर्ण कार्यक्रम को ग्राम नवागांव के ग्राम समिति सामुहिक रूप से संचालित कर रही है। वर्तमान नवरात्रि में मंदिर के ज्योति कक्ष में श्रद्धालुओं द्वारा 43 मनोकामना ज्योति कलश स्थापित किया गया है।
पुजारी श्री दीवान जी ही बताते हैं कि एक रात्रि को छछान माता ग्राम के ही श्री निरंजन ध्रुव को स्वप्न में दिखाई दी कि माता जी पहले बिल्ली का रूप धारण करती हैं, फिर गाय का रूप लेती हैं, फिर माता जी बन जाती हैं, फिर चिड़िया बन गई, फिर गिद्ध वाहिनी बन गई, अंत में छछान माता का स्थायी रूप धारण कर पहाड़ी पर विद्यमान हो जाती हैं। इस तरह उन्होंने स्वप्न में देखा कि माता जी क्षण क्षण में अन्यान्य रूप धारण करती है। शायद इसी वजह से माता जी का नाम छछान माता पड़ा होगा।
माता जी की भक्ति महिमा का प्रतिफल के सम्बंध में श्री दीवान जी बताते हैं कि आज से 20 वर्ष पूर्व उनकी दो बिटिया थी तब विंध्यवासिनी माता जी ने स्वप्न दिया कि तुम मेरी पूजा प्रतिष्ठा में लग जाओ मैं तुम्हें पुत्र रत्न प्राप्ति का आशीर्वाद देती हूं। माता जी कहना मानकर श्री दीवान जी पूजा अर्चना में लग गये और उन्हें माताजी के आशीर्वाद से पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई। तब से श्री दीवान जी अनवरत माताजी की पूजा में लगे हैं और दानदाताओं से दान प्राप्त कर कर के विभिन्न प्रतिमाओं को एवं मंदिर को स्थापित किये हैं।
माता जी की कृपा महिमा को लेकर छपोरा ग्राम निवासी 50 वर्षीय श्री रंजन कुमार ध्रुव अपनी आपबीती कहते हैं कि आज से लगभग 4 वर्ष पुर्व अपने दुघरा ग्राम मानपुर दसहरा पक्ष में नवाखाई के लिए गये थे। रात्रि में अपने घर वापस लौट रहे थे जैसे ही नवागांव छछान माता मंदिर के पास पहुंचे थे हल्की हल्की बारिश हो रही थी। साक्षात देखते हैं कि माता जी दुर्गा का रूप धारण कर शेर पर सवार होकर श्री रंजन को दिखाई देती हैं और अपने गोद में बिठाकर पहाड़ी पर ले जाती हैं। पहाड़ी से ऊपर नीचे तक झूले की तरह झुलाती हैं। माता जी श्री रंजन को कभी पहाड़ी से नीचे फेक देती हैं और नीचे स्वयं गोद में झोक लेती हैं। पुनः ऊपर रंजन जी को पहाड़ी पर फेकती हैं पुनः झोकती हैं श्री रंजन जी डरकर बेहोश हो जाते हैं। जब होश आया तब माता जी स्थान बताई की इस स्थान पर चौड़ी बनाकर मेरी मूर्ति स्थापित कर पूजा अर्चना करो ।रंजन जी इस आपबीती को मंदिर समिति को बताए तब समिति ने अनुमति दे दी। तब से रंजन जी छछान माता मंदिर पहाड़ी के नीचे माताजी की चौड़ी बनवाकर मूर्ति स्थापित कर अनवरत पूजा अर्चना कर रहे हैं।
इस आप बीती पर विश्वास करना न करना श्रद्धा एवं आस्था का विषय है पर इस सब आपबीती के उपरांत वे तमाम तर्क वितर्क एवं वैज्ञानिक मान्यताओं से परे सभी अनवरत माताजी की पूजा अर्चना में लगे हैं। माता जी का मंदिर सुंदर पहाड़ी के ऊपर प्राकृतिक वन अद्वितीय छाया में प्रवेश पर प्राकृतिक गुफा सुरंग एवं प्रकृति का मनमोहक सानिध्य माता जी के स्थान को और मनोरम एवं रमणीय बनाते हैं। दोनों नवरात्रि में श्रद्धालुओं का दर्शन हेतु ताता लगा रहता है। अन्य दिवस भी श्रद्धालु जन आकर छछान माता जी की पूजा अर्चना करते हैं।
श्री मोहन निर्मलकर जी,श्री दीवान सिंह पटेल जी,एवं श्री रंजन कुमार ध्रुव जी का जानकारी हेतु आभार,,,
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