हमारा देश सनातन काल से सौर, गाणपत्य, शैव, वैष्णव, शाक्त आदि पंच धार्मिक परम्पराओं का वाहक रहा है। यहाँ पर्वों एवं त्यौहारों की कोई कमी नहीं है, सप्ताह के प्रत्येक दिन किसी न किसी देवी-देवता को समर्पित होते हैं। विक्रम संवत की प्रत्येक तिथियाँ भी अपनी विशिष्टता लिए हुए हैं। …
Read More »तरेंगा राज की महामाई
दाऊ कल्याण सिंह की नगरी एवं तरेंगा राज शिवनाथ नदी के तट पर राजधानी रायपुर से 70 किलोमीटर एवं बिलासपुर से 60 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह गांव मां महामाया की नगरी के नाम से प्रसिद्ध है, मान्यता के अनुसार मां महामाया का मंदिर प्राचीन है, मंदिर के …
Read More »अज्ञात पंचसागर शक्तिपीठ
आदि शक्ति मां के 51 शक्ति पीठ कहे गए हैं। पुराणों में माता के शक्तिपीठों का नाम दिये गये हैं उनमें से दो शक्तिपीठ अज्ञात कहें गये हैं। ‘पंचसागर शक्तिपीठ’ छत्तीसगढ़ में विद्यमान हैं। पौराणिक आख्यानों के अनुसार पंचसागर शक्तिपीठ का जो वर्णन मिलता है वैसा ही स्वरूप छत्तीसगढ़ के …
Read More »बेटी की पीड़ा
हाय विधाता इस जगती में, तुमने अधम बनाये क्यों?नरभक्षी दुष्टों के अंतस, कुत्सित काम जगाये क्यों ? उन अंधों के तो नजरों में, केवल भोग्या नारी है।उन मूर्खों को कौन बताये,बेटी सबसे न्यारी है।। नारी के ही किसी उदर से, जन्म उन्होंने पाया है ।और कलंकित कर नारी को, माँ …
Read More »छत्तीसगढ़ में पर्यटन के विविध आयाम
जानिए पर्यटन के चार आधार, सुरक्षा, साधन, आवास आहार। भारतीय गणराज्य का नवनिर्मित प्रदेश छत्तीसगढ़ है तथा इससे पूर्व यह मध्यप्रदेश का भाग था। प्रकृति ने इस भू-भाग को अपने हाथों से दुलार देकर संवारा है। जब हम भमण करते है तो ज्ञात होता है कि प्रकृति की लाडली संतान …
Read More »जीवन का सुख
पं. दीनदयाल उपाध्याय द्वारा संघ शिक्षा वर्ग, बौद्धिक वर्ग मैसूर, मई 19, 1967 को दिया गया व्याख्यान प्रत्येक व्यक्ति अपने जीवन में सुख की भावना लेकर चलता है। मानव ही नहीं, तो प्राणिमात्र सुख के लिए लालयित है। दुःख को टालना और सुख को प्राप्त करना, यह एक उसकी स्वाभाविक …
Read More »मझवार वनवासियों में होती है पितर छंटनी
भारत में पितृ पूजन एवं तर्पण की परम्परा प्राचीन काल से चली आ रही है, विभिन्न ग्रथों में इस पर विस्तार से लिखा भी गया है और पितृ (पितरों) के तर्पण की जानकारी मिलती है। सनातन समाज में अश्विनी मास के कृष्ण पक्ष प्रतिपदा तिथि से अमावस्या तक पितृपक्ष मनाया …
Read More »मुख से राम तू बोल के देख
भीतर अपने टटोल के देख।मुख से राम तू बोल के देख। स्पष्ट नजर आयेगी दुनिया,अंतस द्वार तू खोल के देख। राम नाम का ले हाथ तराजू,खुद को ही तू तोल के देख। है कीमत तेरा कितना प्यारे,जा बाजार तू मोल के देख। कितना मीठा कड़ुवा है तू,ले पानी खुद घोल …
Read More »सकल सृष्टि के कर्ता – भगवान विश्वकर्मा
वैदिक साहित्य ने सृष्टि का कर्ता भगवान विश्वकर्मा को माना है, इनके के अनेक रूप बताए जाते हैं- दो बाहु वाले, चार बाहु एवं दस बाहु वाले तथा एक मुख, चार मुख एवं पंचमुख वाले। देवों के देव भगवान श्री विश्वकर्मा ने सदैव कर्म को ही सर्वोपरि बतलाया है। यह …
Read More »हिन्दी को समृद्ध करती लोकभाषाएँ
भाषा भावों और विचारों के आदान-प्रदान का माध्यम होती है। हिंदी एक प्रवाहमान, सशक्त भाषा है। हिंदी पहले साधारण बोलचाल की भाषा से धीरे-धीरे विकसित हो कर सम्पर्क एवं साहित्य की भाषा बनी। सम्पर्क भाषा बनने में स्थानीय क्षेत्रीय बोलियों का बड़ा योगदान होता है, इन बोलियों के बहुतेरे शब्द …
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