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छत्तीसगढ़ अंचल का प्रमुख पर्व रथयात्रा

छत्तीसगढ़ में भगवान जगन्नाथ का प्रभाव सदियों से रहा है, यह प्रभाव इतना है कि छत्तीसगढ़ के प्रयाग एवं त्रिवेणी तीर्थ राजिम की दर्शन यात्रा बिना जगन्नाथ पुरी तीर्थ की यात्रा अधूरी मानी जाती है। मान्यतानुसार जगन्नाथ पुरी की यात्रा के पश्चात राजिम तीर्थ की यात्रा करना आवश्यक समझा जाता …

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साहस, निर्भीकता और अविचल राष्ट्र भावना की प्रतीक ”वंदनीय लक्ष्मी बाई केलकर”

बंगाल विभाजन के विरुद्ध हो रहे आंदोलन के दिनों में 6 जुलाई 1905 को नागपुर में कमल नामक बालिका का जन्म हुआ तब किसे पता था कि भविष्य में यह बालिका नारी जागरण के एक महान संगठन का निर्माण करेगी। जहां अधिकांश महिला संगठन अपने अधिकारों तथा प्रतिष्ठा के बारे …

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जिनके नाम से मनाया जाता है डॉक्टर्स दिवस : डॉ बिधान चंद्र राय

जन्म दिवस एवं पुण्यतिथि विशेष आलेख भारत में एक जुलाई डॉक्टर्स दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह तिथि सुप्रसिद्ध चिकित्सक और स्वाधीनता सेनानी डॉ. बिधान चंद्र राय की जन्मतिथि है। डॉक्टर बिधान चंद्र राय उन विरले लोगों में से है जिनका एक जुलाई की तिथि को जन्म हुआ, …

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नया सत्र शिक्षण शिक्षा का…

नया सत्र शिक्षण शिक्षा का । ज्ञान, ध्यान और दीक्षा का ।। अबोध, अज्ञान और चंचल मन । गीली मिट्टी सा कोमल तन ।। शीतल शांत संस्कारी आंगन । विद्यालय हो बाल मन दर्पण ।। गुरुओं की प्रेम की भाषा । बाल मन में हो अभिलाषा ।। मिले उन्हें ऐसा …

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छत्तीसगढ़ी कविताओं में मद्य-निषेध

शराब, मय, मयकदा, रिन्द, जाम, पैमाना, सुराही, साकी आदि विषय-वस्तु पर हजारों गजलें बनी, फिल्मों के गीत बने, कव्वालियाँ बनी। बच्चन ने अपनी मधुशाला में इस विषय-वस्तु में जीवन-दर्शन दिखाया। सभी संत, महात्माओं, ज्ञानियों और विचारकों ने शराब को सामाजिक बुराई ही बताया है। छत्तीसगढ़ी कविताओं में मदिरा का गुणगान …

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नारी शक्ति की अपरिमितता का द्योतक हैं, कालजयी वीरांगना रानी दुर्गावती

(24 जून को 460 वें बलिदान दिवस के पूर्ण होने, तदनुसार 461वें बलिदान दिवस पर सादर समर्पित) *गोंडवाना साम्राज्य का स्वर्ण युग *————– रानी दुर्गावती ने लगभग 16 वर्ष शासन किया और यही काल गोंडवाना साम्राज्य का स्वर्ण युग था।गोंडवाना साम्राज्य राजनैतिक, सामाजिक, आर्थिक, धार्मिक, सांस्कृतिक,कला एवं साहित्य के क्षेत्र …

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देहि शिवा वर मोहि इहै, शुभ करमन ते कबहू न टरौं

गुरु गोविंद सिंह सिर्फ़ सिख समुदाय के ही नहीं, सारी मानवता के चहेते हैं। उनकी दूरदर्शिता अकल्पनीय है, उन्होंने भविष्य को देखते हुए श्री ग्रंथ साहिब को गुरु मानने की आज्ञा दी तथा खालसा पंथ की स्थापना की। आज्ञा भयी अकाल की, तभे चलायो पंथ। सब सिखन को हुकम है, …

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चार दाग से सतगुरु न्यारा, अजरो अमर शरीर : कबीर जयंती विशेष

कबीर पंथ के चौदहवे आचार्य पंथ श्री गृन्धमुनिनाम साहब ने अपने ग्रंथ ‘सद्गुरु कबीर ज्ञान पयोनिधि’ की प्रस्तावना में लिखा है,- “संसार के लोग राख के ढेर पर ही पैर रखकर चलते हैं- जलती आग पर नहीं, किन्तु जो इसके ठीक विपरीत होते हैं, आग पर चलकर अग्नि परीक्षा देते …

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प्राचीन भारतीय योग विज्ञान सर्व काल में उपयोगी

युञ्ज्यते असौ योग:, योग शब्द संस्कृत के युञ्ज धातु से बना है जिसका अर्थ है जुड़ना, मिलना या एकजुट होना। योग, विश्व को प्राचीन भारतीय परंपरा एवं संस्कृति की अनुपम देन है। योग द्वारा मनुष्य अपने शरीर एवं मन-मस्तिष्क को आत्मबल प्रदान कर प्रकृति के साथ सामंजस्य बनाता है। योग सम्पूर्ण …

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13 जून 1922 क्राँतिकारी नानक भील का बलिदान : सीने पर गोली खाई

किसानों के शोषण के विरुद्ध आँदोलन चलाया स्वतंत्रता के बाद भी अँग्रेजों के बाँटो और राज करो षड्यंत्र के अंतर्गत सोचने वालों के लिये बलिदानी नानक भील एक बड़ा उदाहरण है । बलिदानी नानक भील वनवासी थे लेकिन उन्होंने एक सशक्त किसान आँदोलन चलाया । प्रथम विश्व युद्ध के दौरान …

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