एक समय था जब नाट्य साहित्य मुख्यतः अभिनय के लिए लिखा जाता था। कालिदास, भवभूति और शुद्रक आदि अनेक नाटककारों की सारी रचनाएं अभिनय सुलभ है। नाटक की सार्थकता उसकी अभिनेयता में है अन्यथा वह साहित्य की एक विशिष्ट लेखन शैली बनकर रह जाती। नाटक वास्तव में लेखक, अभिनेता और …
Read More »मैय्या मोरी मैं नहीं माखन खायो
भारतवर्ष ने जहां एक ओर विदेशी आक्रांताओं का दंश झेला, अत्याचार सहे वहीं दूसरी ओर इस पुण्यभूमि पर अनेकों महापुरुषों, ऋषि-मुनियों ने जन्म लिया। इस देवभूमि को तो साक्षात भगवानों की माता कहलाने का भी गौरव प्राप्त है और हम भरतवंशियों को भगवानों का वंशज कहलाने का परम सौभाग्य मिला …
Read More »संतान की कुशलता की कामना का पर्व : कमरछठ
लोकपर्व-खमरछठ (हलषष्ठी) माताओं का संतान के लिए किया जाने वाला, छत्तीसगढ़ राज्य की अनूठी संस्कृति का एक ऐसा पर्व है जिसे हर वर्ग, हर जाति मे बहूत ही सद्भाव से मनाया जाता है तथा संतान के सुखी जीवन की कामना की जाती है। हलषष्ठी को हलछठ, कमरछठ या खमरछठ भी …
Read More »बीहड़ वन में गुफ़ा निवासिनी सुंदरा दाई
सनातन संस्कृति में देवी – देवताओं की पूजा -अर्चना का इतिहास आदि काल से ही रहा है। भारत की संस्कृति विश्व में महत्वपूर्ण स्थान रखती है। भारत वर्ष में अलग -अलग जगहों पर मंदिरों में विराजी आदि देवी शक्तियों की गाथाएं और जन श्रुतियाँ जनमानस के साथ आस्था और विश्वास …
Read More »महर महर करे भोजली के राउर : भोजली तिहार
श्रावण मास में जब प्रकृति अपने हरे परिधान में चारों ओर हरियाली बिखेरने लगती है तब कृषक अपने खेतों में बीज बोने के पश्चात् गांव के चौपाल में आल्हा के गीत गाने में मग्न हो जाते हैं। इस समय अनेक लोकपर्वो का आगमन होता है और लोग उसे खुशी खुशी …
Read More »शिव का अघोरी रूप एवं महिमा
श्रावण मास में शिवार्चना पर विशेष आलेख त्रिदेवों में एक शिव का रूप और महिमा दोनों ही अनुपमेय है। वेदों में शिव को रुद्र के नाम से सम्बोधित क्रिया गया तथा इनकी स्तुति में कई ऋचाएं लिखी गई हैं। सामवेद और यजुर्वेद में शिव-स्तुतियां उपलब्ध हैं। उपनिषदों में भी विशेषकर …
Read More »नाग पंचमी का व्यापक अर्थ एवं मीमांसा
श्रावण मास के श्रुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को भारत में नाग पंचमी मनाने की परम्परा है। हमारी सनातन परम्परा में नागों को देवता माना गया है, इसलिए इनकी पूजा के लिए एक दिन निर्धारित किया गया है। नाग पंचमी का संबंध सिर्फ एक सर्प विशेष से नहीं है प्रत्युत …
Read More »खुशहाली एवं समृद्धि का प्रतीक हरेली एवं हरेला त्यौहार
भारत कृषि प्रधान देश होने के साथ – साथ उत्सव प्रधान भी है। यहाँ अधिकतर त्यौहार कृषि कार्य पर आधारित हैं, प्रत्येक त्यौहार किसी न किसी तरह कृषि कार्य से जुड़ा हुआ है। छत्तीसगढ़ में जब धान की बुआई सम्पन्न हो जाती है तब सावन माह की अमावश को कृषि …
Read More »उत्सवप्रिय छत्तीसगढ़ का हरेली तिहार
सावन का महीना अपनी हरितिमा और पावनता के कारण सबका मन मोह लेता है। सर्वत्र व्याप्त हरियाली और शिवमय वातावरण अत्यंत अलौकिक एवं दिव्य प्रतीत होता है। लोकजीवन भी इससे अछूता नहीं रहता। छत्तीसगढ़ में चौमासा श्रमशील किसानों के लिए अत्यंत व्यस्तता का समय होता है। खेती किसानी का कार्य …
Read More »जनकपुरी से जुड़ा है हरेली का तिहार
सावन माह की अमावस्या को छत्तीसगढ़ में हरेली पर्व मनाया जाता है। इस पर्व के साथ जुड़ी हुई अनेक मान्यताएं लोक में प्रचलित हैं। एक मान्यतानुसार यह कृषि पर्व राजा जनक द्वारा हल चलाने के फलस्वरुप माँ सीता के प्रकट होने से जुड़ा हुआ है। ऋषि-मुनियों के रक्त से भरा …
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