सनातन परंपरा में मनाये जाने वाले तीज त्यौहार केवल उत्सव भर नहीं होते उनमें जीवन को सुन्दर बनाने का संदेश होता है। दशहरा उत्सव में भी संदेश है। यह संदेश है व्यक्ति, परिवार, समाज और राष्ट्र की समृद्धि का जो इसकी कथा और उसे मनाने के तरीके से बहुत स्पष्ट …
Read More »बस्तर अंचल में रामलीला मंचन की परम्परा
वर्तमान बस्तर अंचल को रामायण काल में दण्डकारण्य क्षेत्र के नाम से संबोधित किया जाता था। तब का दण्डकारण्य ओड़िसा जैपुर स्टेट, आंध्रप्रदेश का गोदावरी, महाराष्ट्र का चांदा, भण्डारा छत्तीसगढ़ का सिहावा, नगरी और कांकेर से वर्तमान बस्तर तक विस्तृत फैला हुआ था। इस महाअरण्य में ऋषि-मुनि तपस्या करते थे। …
Read More »बिंझवार समाज की कुल देवी विंध्यवासिनी माई
भारतीय संस्कृति में आदि काल से ही देवी देवताओं का मानव समाज में महत्त्व रहा है, भारत भूमि देवी-देवताओं तथा ऋषि मुनियों के संस्मरणों से समृद्ध है। सनातन धर्म को मानने वाले सभी समाजों एवं जातियों में मातृ शक्ति की उपासना किसी न किसी रुप में प्राचीन काल से होती …
Read More »छत्तीसगढ़ के प्रमुख शक्ति स्थल
छत्तीसगढ़ में देवियां ग्रामदेवी और कुलदेवी के रूप में पूजित हुई। विभिन्न स्थानों में देवियां या तो समलेश्वरी या महामाया देवी के रूप में प्रतिष्ठित होकर पूजित हो रही हैं। राजा-महाराजा, जमींदार और मालगुजार भी शक्ति उपासक हुआ करते थे। वे अपनी राजधानी में देवियों को ‘‘कुलदेवी’’ के रूप में …
Read More »आदि शक्ति माँ सरई श्रृंगारिणी देवी
तीन दिनों से लगातार बारिश की झड़ी के मध्य अचानक कार्यक्रम बना कि कहीं भ्रमण पर जाया जाए। तभी मुझे सरई श्रृंगार का ध्यान आया, बहुत दिनों से वहां जाने का विचार था परंतु अवसर नहीं मिल पा रहा था, आज बारिश की झड़ी ने यह अवसर हमें दे दिया। …
Read More »छत्तीसगढ़ी लोकगीतों में नदियों का महत्व
भारतीय संस्कृति में नदियों का बड़ा सम्मान जनक स्थान है। नदियों को माँ कहकर इनकी पूजा की जाती है। ये हमारा पोषण अपने अमृत समान जल से करती हैं। अन्य सभ्यताओं में देखें तो उनमें नदियों का केवल लौकिक महत्व है। लेकिन भारत में लौकिक जीवन के साथ– साथ पारलौकिक …
Read More »ग्रामीण संस्कृति का केन्द्र पीपल चौरा
पीपल का वृक्ष मौन रहकर भी अपने अस्तित्व के साथ गाँव का इतिहास, भूगोल और सम्पूर्ण सामाजिकता को समेटे हुये रहता था। गाँव का इतिहास इस वृक्ष के साथ बनता रहा था। गाँव का भूगोल यहाँ से प्रारम्भ होकर यहीं खत्म होता था, यहाँ की सामाजिकता का यह वृक्ष गवाह …
Read More »छत्तीसगढ़ का प्रमुख पर्व : तीजा तिहार
तीजा तिहार छत्तीसगढ़ के मुख्य एंव लोक पर्वों में से एक हैं, पौराणिक मान्यतानुसार यह त्यौहार बड़े हर्षो उल्लास से महिलाओं द्वारा मनाया जाता है। मुख्यत:यह त्यौहार नारी शक्ति को समर्पित है। इसे हरितालिका तीज भी कहा जाता है, छत्तीसगढ़ी भाषा तीजा कहते है। तीजा त्यौहार से पहले अमावश को …
Read More »जिजीविषा और तप के बीज : हरितालिका तीज
उत्सवधर्मी एवं अनूठी भारतीय सांस्कृतिक परम्पराओं के लिए लोकप्रसिद्ध रंग निराले है जो जीवन दर्शन भी देते है और जीने को उमंग के साथ सलीके से जीना भी सिखाते है। भारतीय संस्कृति के सावन भादो मास हरित खुशहाली के साथ त्योहारों की लड़ियाँ ले कर आते है जिनके अपने विशिष्ट …
Read More »छत्तीसगढ़ का प्रमुख कृषि पर्व : पोला
खेती किसानी में पशुधन के महत्व को दर्शाने वाला पोला पर्व छत्तीसगढ़ के सभी अंचलों में परंपरागत रूप से उत्साह के साथ मनाया जाता है खेती किसानी में पशु धन का उपयोग के प्रमाण प्राचीन समय से मिलते हैं पोला मुख्य रूप से खेती किसानी से जुड़ा त्यौहार है भादो …
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