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सुरही नदी के तीर देऊर भाना के पुरातात्विक अवशेष

गंडई की सुरही नदी सदानीरा है। बड़ी-बड़ी नदियाँ भीषण गर्मी में सूख जाती हैं, परन्तु सुरही नदी में जल प्रवाह बारहों महीने बना रहता है। सुरही नदी अपने उद्गम बंजारी से लेकर संगम कौहागुड़ी (शिवनाथ नदी) तक अनेकों पुरातातविक स्थलों को अपने आँचल में सेमेटी हुई है। गंडई अंचल अपनी …

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छत्तीसगढ़ का लोक साहित्य एवं वाचिक परम्परा

छत्तीसगढ़ नवोदित राज्य है। किन्तु हाँ की लोक संस्कृति अति प्राचीन है। यहाँ बोली जाने वाली भाषा छत्तीसगढ़ी है, जो अपनी मधुरता और सरलता के लिए जग विदित है। अर्द्ध मागधी अपभ्रंश से विकसीत पूर्वी हिन्दी की एक समृद्ध बोली है छत्तीसगढ़ी, जो अब भाषा के रूप में प्रतिष्ठित हो …

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दर्पण के ज़रिए समझिये समाज की सच्चाई

भारत जैसे बड़े देश में व् दुनिया भर में मीडिया को लोकतंत्र का चौथा अथवा महत्वपूर्ण स्तम्भ बताया जाता है. मीडिया मतलब हर वह माध्यम है जिससे जनता तक जानकारियाँ, विचार व् नीतियाँ पहुँच सके. इस मीडिया के तंत्र में समाचार पत्र, पुस्तक, पत्रिकाएं, टेलीवीजन, रेडियो, इन्टरनेट इत्यादि हैं. टीवी …

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गंडई का शिवालय जहाँ पाषाण बोलते हैं

छत्तीसगढ़ प्राचीनकाल से आस्था का केन्द्र बिंदु रहा है। यहां सिरपुर, शिवरीनारायण, राजिम, मल्हार, रतनपुर, पाली,  ताला, भोरमदेव, आरंग, जांजगीर, देवबलौदा, बारसूर, जैसे अनेक पुरातात्विक स्थलों का अपना पृथक-पृथक ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और पुरातात्विक महत्व है। यहां के मंदिरों में उत्कीर्ण शिल्पांकन तत्कालीन समाज की धार्मिक व सांस्कृतिक स्थितियों के जीवन्त …

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वासंती नवसस्येष्टि पर्व : होलिकोत्सव

हमारा भारत देश उत्सवों एवं पर्वों का देश है, यहाँ की संस्कृति में बारहों मास उल्लास की व्यवस्था है। ॠतुओं के अनुसार एवं ॠतु परिवर्तन पर त्यौहार मनाए जाते हैं, जो समाज को सांस्कृतिक शिक्षा देते हैं तथा संस्कृति को समृद्ध करते हैं। फ़ाल्गुन मास की पूर्णिमा को होली मनाई …

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बाणासुर की नगरी बारसूर

पर्यटन अथवा देशाटन प्रत्येक व्यक्ति को आकर्षित करता है। पर्यटन अथवा देशाटन के बिना जीवन को अधूरा कहा जा सकता है। इसी परिप्रेक्ष्य में अगर छत्तीसगढ़ को देखा जाए तो यहाँ की नैसर्गिक छटा अपने आप में अद्भुत है, उसमें भी बस्तर क्षेत्र की बात ही कुछ और है। जिनको …

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रहस्य और रोमांच से परिपूर्ण ताला की कलाकृतियाँ

देवरानी-जेठानी मंदिर ताला हमारे देश के गिने-चुने पुरातात्वीय धरोहरों में से एक है जो भारतीय कला परंपरा के गौरवशाली स्वर्णिम अध्याय में दुर्लभ और विलक्षण कलाकृतियों के लिए विख्यात है। छत्तीसगढ़ के महत्वपूर्ण पुरातत्वीय स्थलों में ताला का नाम विगत शताब्दी के आठवें दशक से जुड़ा है तभी से यह …

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गाँव का रक्षक घुड़सवार देवता : बस्तर अंचल

एक फ़िल्म का गीत याद आता है, अंधेरी रातों में सुनसान राहों पर, हर ज़ुल्म मिटाने को एक मसीहा निकलता है…… कुछ ऐसी कहानी बस्तर के लोकदेवता राजा राव की है। खडग एवं खेटक धारण कर, घोड़े पर सवार होकर राजाराव गाँव की सरहद पर तैनात होते हैं और सभी …

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प्राकृतिक सुषमा से आच्छादित जिला जशपुर : पर्यटन

पर्यटन की दृष्टि से जशपुर जिला नैसर्गिक वातावरण से समृद्ध है, अगर निस्रर्ग के समीप कुछ दिन व्यतीत करना है तो आप जशपुर का चयन कर सकते हैं। जशपुर में सुंदर पाटों (पठारों) के वन एवं प्राकृतिक झरनों के साथ मंदिर देवाला भी हैं, जो कि पुरातात्विक महत्व के हैं, …

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सिंधड़ी दा, सेवण दा सखी शाहबाज कलंदर : संत झूलेलाल

भारत में विभिन्न धर्मों, समुदायों और जातियों का समावेश है इसलिए यहाँ अनेकता में एकता के दर्शन होते हैं। यह हमारे देश के लिए गर्व की बात है कि यहाँ सभी धर्मों के त्यौहारों को प्रमुखता से मनाया जाता है चाहे वह दीपावली हो, ईद हो, क्रिसमस हो या भगवान …

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