ग़ज़ल इशारों की भाषा है। सूफ़ी नज़्मों और ग़ज़लों में भी इशारों-इशारों में रूहानी प्रेम के जरिए ईश्वर तक पहुँचने की बात होती है। सूफ़ी एक स्वभाव का नाम है। सूफ़ी रचनाओं का सार भी यही है कि ईश्वरीय प्रेम के लिए धरती पर इंसान और इंसान के बीच परस्पर …
Read More »युवा बैगा वनवासियों का प्रिय दसेरा नृत्य
वनवासी संस्कृति में उत्सव मनाने के लिए नृत्य प्रधान होता है। जब भी कोई उत्सव मनाते हैं वहाँ नृत्य एवं गान आवश्यक हो जाता है। ढोल की थाप के साथ सामुहिक रुप से उठते हुए कदम अद्भुत दृश्य उत्पन्न करते हैं। यह नृत्य युवाओं को प्रिय है क्योंकि इससे ही …
Read More »ऐसी चित्रकारी जहाँ देह बन जाती है कैनवास
भारत विभिन्नताओं का देश है, यहाँ आदिम जातियाँ, आदिम संस्कृति से लेकर आधुनिक संस्कृति भी दिखाई देती है। यहाँ उत्तर से लेकर दक्षिण तक एक ही कालखंड में विभिन्न मौसम मिल जाएंगे तो विभिन्न प्रकार के खान पान के साथ विभिन्न बोली भाषाओं भी सुनने मिलती हैं, इतनी विभिन्नताएं होते …
Read More »बरन-बरन तरु फुले उपवन वन : वसंतोत्सव विशेष
भारतवर्ष मे ऋतु परिवर्तन के साथ त्यौहार मनाने की परंम्परा है। ऋतुओं के विभाजन में बसंत ऋतु का विशेष महत्व है क्योंकि इस ॠतु का सौंदर्य अनुपम एवं छटा निराली होती है। शीत ऋतु की समाप्ति और ग्रीष्म ॠतु की आहट की धमक के बीच का काल वसंत काल होता …
Read More »सखि वसन्त आया
वसंतोन्माद में कोई वासंती गीत गा उठता है तो नगाड़ो की थाप के साथ अनहद बाजे बजने लगते हैं। जिस तरह विजयादशमी का त्यौहार सैनिकों के लिए उत्साह लेकर आता है और वे अपने आयुधों की पूजा करते हैं उसी तरह वसंत पंचमी का यह दिन विद्वानों के लिए अपनी पुस्तकों एवं व्यास पूर्णिमा का दिन होता है।
Read More »जानिए गुप्त नवरात्रि क्या है और क्यों मनाई जाती है।
शक्ति की उपासना प्राचीन काल से ही होते रही है। इसके प्रमाण हमें दक्षिण कोसल में मिलते है, यहाँ शाक्त सम्प्रदाय का भी खासा प्रभाव रहा है। सिरपुर से उत्खनन में प्राप्त चामुंडा की प्रतिमा इसका प्रमाण है। दक्षिण कोसल के अन्य स्थानों पर देवी पूजा के प्रमाण प्राचीन काल …
Read More »’तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूँगा, नारा देने वाले नेताजी सुभाषचंद्र बोस
(23 जनवरी, जयन्ती पर विशेष) स्वर्गीय श्री कपिल दा कहते थे, “मेरी दृष्टि में स्वामी विवेकानन्द के सन्देश के प्राण स्वर को समझकर कार्यान्वित करनेवाले तीन व्यक्तित्व हुए। उनमें से प्रथम हैं – भगिनी निवेदिता, दूसरे हैं महान स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाषचंद्र बोस और तीसरे हैं कन्याकुमारी स्थित विवेकानन्द शिला …
Read More »बुद्ध प्रतिमाओं की मुद्राएं
भारत में एक दौर ऐसा आया कि भगवान बुद्ध की प्रतिमाएं बहुतायत में निर्मित होने लगी। स्थानक बुद्ध से लेकर ध्यानस्थ बुद्ध की प्रतिमाएं स्थापित होने लगी। ज्ञात हो कि भारतीय शिल्पकला में हिन्दू एवं बौद्ध प्रतिमाओं में प्रमुखता से आसन एवं हस्त मुद्राएं अंकित की जाती है। हमें प्राचीन …
Read More »लोक संबंधों की आत्मा: झेंझरी
मानव जगत में मानवीय संबंधों के जुड़ाव से परिवार और समाज की रचना होती है। आदिम काल से लेकर निरन्तर यह जुड़ाव गतिशील रहा है। मनुष्य के इसी जुड़ाव और संबंध से परिवार और समाज की रचना हुई है। मनुष्य के इसी जुड़ाव और संबंध से मानवीय रिश्तों की बुनियाद …
Read More »स्वामी विवेकानन्द का जीवन और जगत को उनकी देन
(12 जनवरी, स्वामी विवेकानन्द जयन्ती पर विशेष) स्वामी विवेकानन्द भारत ही नहीं अपितु विश्व के महानतम आध्यात्मिक गुरुओं में से हैं। वे आध्यात्मिक चिंतक होने के साथ ही बहु आयामी विचारक, प्रभावशाली वक्ता, संवेदनशील समाज सुधारक, समाजसेवी और उत्कट राष्ट्रभक्त थे। उन्होंने भारतीय अध्यात्म से ऊर्जित गुरु रामकृष्ण के चिंतन …
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