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छत्तीसगढ़ की लोक परम्परा में धान्य संस्कृति

छत्तीसगढ़ भारत के हृदय भाग में पूर्व की ओर उत्तर से दक्षिण एक पट्टी के रूप में स्थित है। यह क्षेत्रफल की दृष्टि से देश का नवाँ बड़ा राज्य है। जनसंख्या की दृष्टि से यह देश का सत्रहवाँ राज्य है। इसका कुल क्षेत्रफल 135,194 वर्ग किलोमीटर है। जनसंख्या 2,55,40,196 है। …

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दक्षिण कोसल में रामायण से संबंधित पुरातात्विक साक्ष्य विषय पर संगोष्ठी सम्पन्न : वेबीनार रिपोर्ट

‘दक्षिण कोसल में रामायण से संबंधित पुरातात्विक साक्ष्य’ विषय पर एक दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय वेब संगोष्ठी का आयोजन सेंटर फॉर स्टडी एंड हॉलिस्टिक डेवलपमेंट छत्तीसगढ़ तथा ग्लोबल इनसाइक्लोपीडिया ऑफ रामायण उत्तर प्रदेश के संयुक्त तत्वाधान में दिनाँक 26 साथ 2020 को शाम 7:00 से 8:30 के मध्य सम्पन्न हुआ। वेब संगोष्ठी …

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हिन्दू पुनर्जागरण के स्तंभ हुलसी के तुलसी

तुलसीदास ऐसे समय में प्रकट हुए जब हिन्दू समाज अंधकार में डूबा हुआ था और जीवन की चमक खो रहा था। विदेशी आक्रमणकारी भारत भूमि पर आक्रमणकर शासन स्थापित करने में लगे हुए थे और वे शासन करने की दृष्टि से अपने समर्थन के आधार को व्यापक बनाने के लिए …

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बस्तर के जनजातीय समाज में बड़ों का सम्मान

बस्तर के जनजातीय समाज में भी अपने बुजुर्गों का सम्मान करने की परम्परा विद्यमान है, यह आदिम संस्कृति का आधारभूत सिद्धान्त है कि गाँव या समाज में सभी बड़ों का उचित तरीके से सम्मान किया जाये, जनजातीय समाज समय-समय पर अपने कार्य व्यवहार से इसे प्रदर्शित भी करता है। घर …

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दक्षिण कोसल की रामलीला एवं उसका सामाजिक प्रभाव : वेबीनार रिपोर्ट

दक्षिण कोसल की रामलीला एवं उसका सामाजिक प्रभाव विषय पर एक दिवसीय वेब संगोष्ठी का आयोजन सेंटर फॉर स्टडी ऑन होलिस्टिक डेवलपमेंट छत्तीसगढ़ तथा ग्लोबल इनसाइक्लोपीडिया ऑफ रामायण उत्तर प्रदेश के संयुक्त तत्वाधान में दिनांक 19 जुलाई 2020 को हुआ। वेब संगोष्ठी में स्वागत उद्बोधन अयोध्या शोध संस्थान उत्तर प्रदेश …

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सरगुजा के जनजातीय समाज पर रामायण का प्रभाव : वेबीनार रिपोर्ट

सरगुजा के जनजातीय समाज पर रामायण का प्रभाव विषय पर अंतरराष्ट्रीय वेबीनार का आयोजन इनसाइक्लोपीडिया ऑफ रामायण उत्तर प्रदेश एवं सेंटर फ़ॉर स्टडी ऑन होलिस्टिक डेवलपमेंट छत्तीसगढ़ के संयुक्त तत्वाधान में 12 जुलाई 2020 रविवार को सायं 6:30 से 8:30 बजे तक किया गया। इस वेबीनार का उद्घाटन उद्बोधन अयोध्या …

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हिन्दी ग़ज़ल का संक्षिप्त इतिहास एवं नवछंद विधान “हिंदकी”

हिन्दी ग़ज़लों का इतिहास बहुत पुराना है। जिस तरह आज की उर्दू ग़ज़लों का विकास एक बहर वाली कविता, जिसे अरबी में बैत एवं फ़ारसी में शेर कहते हैं के साथ शुरू हुआ था, ठीक उसी तरह हिन्दी ग़ज़लों का विकास भी दोहेनुमा कविता से शुरू हुआ था। हिन्दी ग़ज़ल …

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छत्तीसगढ़ के अलिखित साहित्य में रामकथा : वेबीनार रिपोर्ट

ग्लोबल इन्सायक्लोपीडिया ऑफ रामायण उत्तर प्रदेश एवं सेंटर फ़ॉर स्टडी ऑन होलिस्टिक डेवलपमेंट छत्तीसगढ़ के संयुक्त तत्वाधान में दिनाँक 5/7/2020 को शाम 7:00से 8:30 बजे के मध्य “छत्तीसगढ़ के अलिखित साहित्य में रामकथा” विषयक अंतर्राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन हुआ। जिसमें उद्घाटन उद्बोधन डॉ योगेन्द्र प्रताप सिंह जी, संचालक अयोध्या शोध …

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भगवा ध्वज को गुरु का दर्जा : गुरु पूर्णिमा विशेष

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने भगवा ध्वज को अपना गुरू माना है तथा गुरू पूर्णिमा के अवसर पर देश भर में गुरू दक्षिणाओं के कार्यक्रम होते हैं। प्रश्न यह है कि संघ ने भगवा धवज को ही अपना गुरू क्यों माना है? गुरु दक्षिणा संघ की प्रत्येक शाखा ‘व्यास पूर्णिमा’/ गुरू …

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छत्तीसगढ़ी लोक-संस्कृति में हाना

वाचिक परम्पराएं सभी संस्कृतियों का एक महत्वपूर्ण अंग होती हैं। लिखित भाषा का प्रयोग न करने वाले लोक समुदाय में संस्कृति का ढांचा अधिकतर मौखिक परम्परा पर आधारित होता है। कथा, गाथा, गीत, भजन, नाटिका, प्रहसन, मुहावरा, लोकोक्ति, मंत्र आदि रूपों में मौखिक साधनों द्वारा परम्परा का संचार ही वाचिक …

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