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बहुआयामी प्रतिभा के धनी : डॉ बल्देव

06 अक्टूबर पुण्यतिथि विशेष आलेख बहुत से व्यक्ति किसी विधा-विशेष में दक्ष होते हैं, उन्हें हम उनकी विशेष विधा के कारण पहचानते हैं। कुछ व्यक्ति अनेक विधाओं में दक्ष होते हैं, उन्हें हम बहु-आयामी प्रतिभा के रूप में जानते हैं। बहुत से प्रतिभा-सम्पन्न व्यक्ति केवल अपनी प्रतिभा के प्रचार-प्रसार में …

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कचना धुरवा की अमर प्रेम कहानी

बहुत पुरानी बात है जब बालाघाट लांजीगढ़ रियासत के राजा सिंहलसाय ध्रुव थे। राजा राजा की रानी गागिन अपूर्व सुंदरी थी। लांजीगढ़ पहाड़ी और दुर्गम जंगलों से घिरा था। यहां गेहूं ज्वार और बाजरा की खेती होती थी, भरपूर फसल होने के कारण लांजीगढ़ एक मजबूत रियासत मानी जाती थी। …

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पत्थर और छेनियाँ

जो पत्थरों से जितना रहे दूरउतने रहे असभ्यउतने रहे क्रूर। जो पत्थरों से करते रहे प्यारचिनते रहे दीवारबन बैठे सरदार। फेंकते रहे पत्थर होते रहे दूर, नियति ने सपने भीकिये चूर चूर। पत्थरों को रगड़ पैदा की आग,उन्ही की बुझी भूख,उन्ही के जागे भाग। जिन्होंने फेंक पत्थरछीनना चाहा, हथियाना चाहा,वे …

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भारत माता के बहादुर लाल : लाल बहादुर शास्त्री

बात वर्ष 1928 की है, एक 24 वर्षीय नवयुवक का विवाह होने जा रहा था। नवयुवक था अत्यंत आदर्शवादी। अपने तत्वों के अनुसार जीवन जीने वाला। समाज में समानता स्थापित हो इसलिए उसने अपना उपनाम का भी त्याग कर दिया था। काशी विद्यापीठ से स्नातक पदवी प्राप्त करने के पश्चात् …

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जनजातियों के नृत्य, नाट्य और उत्सवों में मुखौटे

पहले पहल शायद आदि मानव ने अपने आप को प्रकृति के अनुकूल बनाने के लिए मुखौटों का उपयोग किया होगा, वह इसलिए कि शिकार करना आसान हो। और फिर मुखौटे आदिम जनजीवन की धार्मिक अवधारणाओं को भी अभिव्यक्ति देते रहे। जनजातियों के नृत्य, नाट्य और पारंपरिक उत्सवों में मुखौटों का …

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छत्तीसगढ़ पर्यटन के विभिन्न आयाम

पर्यटन दिवस विशेष आलेख पर्यटन की दृष्टि से हम देखें तो छत्तीसगढ़ प्रकृति की लाडली संतान है। जिस तरह एक माता अपनी संतानों में से किसी एक संतान से विशेष अनुराग एवं स्नेह रखती है, उसी तरह प्रकृति भी छत्तीसगढ़ की धरती से अपना विशेष अनुराग प्रकट करती है। इस …

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नमामि गंगे

(आधार छंद – वीर छंद ) सुरसरी गंगे पतित पावनी, जन-जन का करती उद्धार। सदा धवल विमले शुभ शीतल, महिमा जिसकी अपरंपार। क्यों मानव अब भस्मासुर बन, नाच रहा है कचरा डाल।विकट कारखाने शहरों का, मिला रहे हैं मल विकराल। पावन जल को जहर बनाना , कर देंगे जब भी …

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पंडित दीनदयाल उपाध्याय : एक युगदृष्टा

आत्मविश्वास,कर्मठता, दृढ़निश्चय, लगन , निष्ठा, त्याग, समाज कल्याण और राष्ट्रीय एकता एवं अखंडता जैसे शब्द जहाँ बहुतायत श्रेष्ठ व्यक्तित्व के लोगों का मान बढ़ाते हैं, वहीं पंडित दीन दयाल उपाध्याय जी के जीवन से जुड़कर इन शब्दों की महत्ता और भी बढ़ जाती है। पंडित दीन दयाल उपाध्याय का जन्म …

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माता कौशल्या के जीवन पर पहला उपन्यास : कोशल नंदिनी

प्राचीन महाकाव्यों के प्रसिद्ध पात्रों पर उपन्यास लेखन किसी भी साहित्यकार के लिए एक चुनौतीपूर्ण और जोख़िम भरा कार्य होता है। चुनौतीपूर्ण इसलिए कि लेखक को उन पात्रों से जुड़े पौराणिक प्रसंगों और तथ्यों का बहुत गहराई से अध्ययन करना पड़ता है। इतना ही नहीं, बल्कि उसे उन पात्रों की …

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कोडाखड़का घुमर का अनछुआ सौंदर्य एवं शैलचित्र

बस्तर अपनी नैसर्गिक सुन्दरता के लिए प्रसिद्ध है। केशकाल को बस्तर का प्रवेश द्वार कहा जाता है, यहीं से बस्तर की प्राकृतिक सुन्दरता अपनी झलक दिखा जाती है। बारह मोड़ों वाली घाटी, ऊँचे-ऊँचे साल के वृक्ष, टाटमारी, नलाझर, मांझिनगढ़ और कुएमारी जैसे अनेक मारी (पठार) हैं। मारी में अनेक शैलचित्र, …

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