प्रागैतिहासिक काल के मानव संस्कृति का अध्ययन एक रोचक विषय है। छत्तीसगढ़ अंचल में प्रागैतिहासिक काल के शैलचित्रों की विस्तृत श्रृंखला ज्ञात है। पुरातत्व की एक विधा चित्रित शैलाश्रयों का अध्ययन है। चित्रित शैलाश्रयों के चित्रों के अध्ययन से विगत युग की मानव संस्कृति, उस काल के पर्यावरण एवं प्रकृति …
Read More »बहुआयामी प्रतिभा के धनी : डॉ बल्देव
06 अक्टूबर पुण्यतिथि विशेष आलेख बहुत से व्यक्ति किसी विधा-विशेष में दक्ष होते हैं, उन्हें हम उनकी विशेष विधा के कारण पहचानते हैं। कुछ व्यक्ति अनेक विधाओं में दक्ष होते हैं, उन्हें हम बहु-आयामी प्रतिभा के रूप में जानते हैं। बहुत से प्रतिभा-सम्पन्न व्यक्ति केवल अपनी प्रतिभा के प्रचार-प्रसार में …
Read More »छत्तीसगढ़ में संग्रहालय : अंतर्राष्ट्रीय संग्रहालय दिवस विशेष
‘संग्रह’ न केवल मनुष्य वरन अनेक जीवों की आदिम प्रवृत्ति है। इस जैविक प्रवृत्ति का उदय कदाचित् जीवितता के लिये हुआ हो, किन्तु अन्य जीव-जन्तुओं की संचयी प्रवृत्ति जीवन की मूलभूत आवश्यकता ‘भोजन-वस्त्र-आवास’ के इर्द-गिर्द केन्द्रित रही जबकि मनुष्य के बौद्धिक विकास के साथ उसकी संचयी-वृत्ति ने अनेक महत्वपूर्ण आयामों …
Read More »पूस पुन्नी भजन मेला : निराकार राम का साधक रामनामी सम्प्रदाय समाज
रामनामी समाज एक बड़ा सम्प्रदाय है जो छत्तीसगढ़ प्रदेश के मुख्यतः रायगढ़ ,सारंगढ़ ,बिलाईगढ़ , कसडोल , जांजगीर, बिलासपुर, जैजैपुर, मालखरौदा, चंद्रपुर, पामगढ़, नवागढ़, अकलतरा के सुदूर अंचल से शहर तक निवासरत हैं। रामनामी समाज की आबादी लगभग 5 लाख होगी जो 300 गांव से अधिक गांवों में निवास करते है …
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