आदिशक्ति जगदंबा भवानी माता भिन्न-भिन्न नाम रूपों में विभिन्न स्थानों पर विराजित हैं। छत्तीसगढ़ में माता की विशेष कृपा है। यहां माता रानी बमलाई, चंद्रहासिनी, महामाया, बिलाई माता, मावली दाई के रूप में भक्तों की पीड़ा हरती है। ऐसा ही करूणामयी एक रूप रानी माता के नाम से विख्यात है। …
Read More »शक्ति का उपासना स्थल खल्लारी माता
छत्तीसगढ़ अंचल की शाक्त परम्परा में शक्ति के कई रुप हैं, रजवाड़ों एवं गाँवों में शक्ति की उपासना भिन्न भिन्न रुपों में की जाती है। ऐसी ही एक शक्ति हैं खल्लारी माता। खल्लारी में माता जी की पूजा अर्चना तो प्रतिदिन होती ही है चैत और कुआंर कि नवरात्रि में …
Read More »जशपुर का परम्परागत दशहरा
भारत एवं छत्तीसगढ़ राज्य के कई रियासतकालीन दशहरा उत्सव प्रसिद्ध हैं, इन्ही में एक छत्तीसगढ़ के जशपुर का ऐतिहासिक एवं रियासतकालीन दशहरा महोत्सव भी आता है। अन्य क्षेत्रों की भांति शारदीय नवरात्रि के पहले ही दिन से यहां का ऐतिहासिक दशहरा उत्सव प्रारंभ होता है। जशपुर राजपरिवार यहाँ एक महत्वपूर्ण …
Read More »बस्तर का पचहत्तर दिनों तक चलने वाला प्रसिद्ध दशहरा
बस्तर अंचल में आयोजित होने वाले पारंपरिक पर्वों में बस्तर दशहरा सर्वश्रेष्ठ पर्व है। इसका संबंध सीधे महिषासुरमर्दिनी माँ दुर्गा से जुड़ा है। पौराणिक वर्णन के अनुसार अश्विन शुक्ल दशमी को माँ दुर्गा ने अत्याचारी महिषासुर को शिरोच्छेदन किया था। इसी कारण इस तिथि को विजयादशमी उत्सव के रूप में …
Read More »डिडिनेश्वरी माई मल्हार : छत्तीसगढ़ नवरात्रि विशेष
छत्तीसगढ़ राज्य का सबसे प्राचीनतम नगर मल्हार, जिला मुख्यालय बिलासपुर से दक्षिण-पश्चिम में बिलासपुर से शिवरीनारायण मार्ग पर बिलासपुर से 17 किलोमीटर दूर मस्तूरी है, वहाँ से 14 किलोमीटर दूर दक्षिण दिशा में जोंधरा मार्ग पर मल्हार नामक नगर है। यह नगर पंचायत 21• 55′ उत्तरी अक्षांश और 82• 22′ …
Read More »जटियाई माता : छत्तीसगढ़ नवरात्रि विशेष
छत्तीसगढ़ अंचल में अनेक ग्राम्य देवी-देवताओं की उपासना की जाती है, इसके साथ ही यहाँ शाक्त उपासना की सुदृढ़ परम्परा दिखाई देती है। मातृशक्ति के उपासक धान की कोठी छत्तीसगढ़ का एक छोटा सा विकास खंड मुख्यालय है छुरा, जो गरियाबंद जिले में अवस्थित है। छुरा से लगभग 9 किमी …
Read More »पहाड़ी कोरवाओं की आराध्या माता खुड़िया रानी एवं दीवान हर्राडीपा का दशहरा
दक्षिण कोसल में शाक्त परम्परा प्राचीन काल से ही विद्यमान है, पुरातात्विक स्थलों से प्राप्त सप्त मातृकाओं, योगिनियों तथा महिषासुर मर्दनी की प्रतिमाएं इसका पुष्ट प्रमाण हैं। अगर हम सरगुजा से लेकर बस्तर तक दृष्टिपात करते हैं तो हमें प्रत्येक स्थान पर देवी सत्ता की दिखाई देती है। इन्हीं में …
Read More »महामाया देवी रतनपुर : छत्तीसगढ़
रतनपुर पूरे भारत वर्ष में न केवल ऐतिहासिक नगरी के रुप में प्रसिद्ध है, अपितु धार्मिक नगरी के रुप में भी प्रसिद्ध है। कलचुरि राजवंश के शासकों ने रतनपुर को अपनी राजधानी बनाकर पूरे छत्तीसगढ़ प्रदेश पर एक लम्बे समय लगभग 700 वर्षों तक शासन किया। जो भारतीय इतिहास में …
Read More »कोसीर की महिषासुरमर्दनी देवी
रायगढ़ जिले में सारंगढ़ से सोलह किलोमीटर की दूरी पर इस जिले का सबसे बड़ा गाँव कोसीर स्थित है। कोसीर की जनसंख्या लगभग दस हजार की है । गांव में जातिगत दृष्टि से जनजातीय समुदाय, सतनामी, वैष्णव, कहरा, केंवट, मरार, कलार, रावत, चन्द्रनाहू, कुर्मी, धोबी, नाई, लोहार, पनका, सारथी कुछ …
Read More »चम्पई माता एवं कलचुरीकालीन मोंहदीगढ़
इस प्रदेश के छत्तीसगढ़ नामकरण के पीछे कई मत हैं, कुछ विद्वान चेदी शासकों पर चेदिसगढ़ का अपभ्रंश बताते हैं तो कई विद्वानों का मत है कि मध्यकाल में कलचुरीकालीन छत्तीस गढ़ों को लेकर छत्तीसगढ़ का निर्माण हुआ। ये गढ़ कलचुरी शासन काल में प्रशासन की महत्वपूर्ण इकाई थे। कालांतर …
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