भारत में पितृ पूजन एवं तर्पण की परम्परा प्राचीन काल से चली आ रही है, विभिन्न ग्रथों में इस पर विस्तार से लिखा भी गया है और पितृ (पितरों) के तर्पण की जानकारी मिलती है। सनातन समाज में अश्विनी मास के कृष्ण पक्ष प्रतिपदा तिथि से अमावस्या तक पितृपक्ष मनाया …
Read More »बस्तर की वनवासी संस्कृति का महत्वपूर्ण अंग : साजा वृक्ष
बस्तर में निवासरत विभिन्न जाति एवं जनजाति के लोग प्रकृति आधारित जीवन-यापन करते है। ये लोग आदिकाल से प्रकृति के सान्निध्य में रहते हुये उसके साथ जीने की कला स्वमेव ही सीख लिए हैं। यहाँ के रहवासियों का मुख्य व्यवसाय वनोपज, लघुवनोपज संग्रहण कर उसे बेच कर आय कमाना है। …
Read More »कल्प वृक्ष सल्फी से जुड़े बस्तर के वनवासी आर्थिक – सामाजिक सरोकार
बस्तर के ग्रामीण परिवेश में सल्फी का अत्यधिक महत्व है। यह वृक्ष जिस घर में होता है, उस घर का कुछ वर्षो में आर्थिक रूप से काया कल्प हो जाता है। प्रकृति के साथ सन्तुलन बनाते हुये बस्तर का ग्रामीण इसे सहेजने की कला स्वमेव सीख गया है। इसलिये अपने …
Read More »